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बांग्लादेश की अदालत ने शेख हसीना को सुनाई मौत की सजा, जानें किन 5 आरोपों में माना दोषी: फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति से लेकर UN तक जाने के हैं अधिकार

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार (17 नवंबर 2025) को मौत की सजा सुनाई गई है। शेख हसीना को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने कथित मानवता के खिलाफ अपराध में दोषी माना है। उन्हें साल 2024 में छात्र विद्रोह पर कार्रवाई का आदेश देने का दोषी बनाया गया है। इनमें से 2 मामलों में शेख हसीना को मौत की सजा और बाकी 3 मामलों पर उम्रकैद की सजा दी गई है।

ट्रिब्यूनल का यह फैसला पिछले साल जुलाई में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के एक साल से भी अधिक समय बाद आया है, जिसके कारण अगस्त 2024 में उनका 15 साल का शासन समाप्त हो गया था। हसीना अपने पद से हटने के बाद से भारत में रह रही हैं और उन पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया था।

शेख हसीना पर क्या-क्या आरोप हैं?

शेख हसीना के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने 01 जून 2025 को ICT को सौंपी चार्जशीट में मानवता के खिलाफ 5 गंभीर आरोप लगाए हैं, जो विशेष रूप से जुलाई और अगस्त 2024 में भड़के छात्र आंदोलन के समय हुई हिंसा से जुड़े हैं। इनमें सबसे पहला आरोप है कि 14 जुलाई 2024 को हसीना ने गनाभाबन (Ganabhaban) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भड़काऊ भाषण दिया था। उसके बाद ही सरकारी सुरक्षा बलों और आवामी लीग के समर्थकों ने छात्रों और नागरिकों पर हमला शुरू किया, जिसमें हत्या, हत्या की कोशिश, यातना और बाकी अमानवीय कृत्य शामिल हैं।

एक अन्य आरोप यह है कि शेशख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया। ट्रिब्यूनल ने यह कहा कि इसके बाद सुरक्षा बलों ने इन निर्देशों को लागू किया और यह आदेश कमांड ‘जिम्मेदारी’, ‘षडयंत्र’ और ‘सहयोग’ के दायरे में आता है।

शेख हसीना पर यह भी आरोप है कि 16 जुलाई 2024 को बांग्लादेश के रांगपुर में बेगम रोकिया यूनिवर्सिटी के सामने एक छात्र अबू सैयद को सुरक्षा बलों ने बहुत नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी। ICT ने माना कि यह हत्या शेख हसीना की प्रेरणा, निर्देश और षड्यंत्र के तहत की गई थी, यानी उन्होंने न केवल इसकी अनुमति दी बल्कि इसमें सीधे तौर पर सहयोग किया।

चौथा आरोप है कि 05 अगस्त 2024 को ढाका के चनखरपुल इलाके में प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी हुई और 6 लोगों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा पाँचवा आरोप है कि 05 अगस्त को ही आशुलिया पुलिस स्टेशन के सामने और आसपास के इलाकों में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई गई। कम से कम 5 लोग मारे गए और उनके शवों को जला दिया गया। एक घायल व्यक्ति को जिंदा छोड़ कर भी जलाने का आरोप है।

शेख हसीना के सहयोगी भी दोषी करार

इन सभी 5 आरोपों में शेख हसीना के अलावा तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस अधिकारी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जामान को मौत की सजा सुनाई है। वहीं अल-मामुन को 5 साल की जेल की सजा दी गई है क्योंकि उन्होंने राज्य के पक्ष में गवाही दी।

मौत की सजा के बाद शेख हसीना के पास क्या विकल्प?

शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अब जानते हैं कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री के पास इस सजा से बचने के लिए क्या-क्या विकल्प हैं। सबसे पहले शेख हसीना को कानूनी अधिकार है कि वे ICT के फैसले के खिलाफ बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सकती हैं।

ICT ने भी 453 पन्नों के अपने फैसले में यह स्पष्ट कहा है कि दोषियों को 30 दिन के भीतर अपील दर्ज करने का अधिकार है। यानी इस अपील को बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट की अपील विभाग (Appellate Division) में ले जाया जा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर अपील स्वीकार की जाती है तो वहाँ नए सबूत प्रस्तुत कर या फिर ट्रायल प्रक्रिया में गलती के आधार पर तर्क दिया जा सकता है। इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट चाहे तो वह नई सुनवाई का आदेश दे सकती है या ICT के फैसले को पलट भी सकती है।

राष्ट्रपति और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शेख हसीना कर सकती हैं माँग

इसके बाद शेख हसीना के पास रिव्यू पिटीशन (Review Petition) का भी विकल्प है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से यह अनुरोध किया जाता है कि वह अपने ही फैसले पर पुनर्विचार करे। लेकिन यह विकल्प केवल तभी सफल होता है जब नए सबूत सामने आएँ या अदालत में कोई बड़ी कानूनी गलती साबित हो जाए।

इसके अलावा शेख हसीना राष्ट्रपति के पास दया याचिका (Clemency) भी दायर कर सकती हैं। बांग्लादेश के संविधान के तहत राष्ट्रपति को सजा माफ करने, कम करने या बदलने का अधिकार है। यह पूरी तरह राजनीतिक फैसला होता है, इसीलिए यह देखना होगा कि राष्ट्रपति वर्तमान राजनीतिक माहौल और अंतरराष्ट्रीय दबाव को कैसे देखते हैं।

शेख हसीना के पास ‘कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप’ का भी विकल्प है। चूंकि वह फिलहाल बांग्लादेश में नहीं हैं, इसीलिए यह मुद्दा भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर सकता है। अगर वह चाहें तो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिक संगठनों, संयुक्त राष्ट्र (UN) या कूटनीतिक मंचों पर ट्रायल की निष्पक्षता पर सवाल उठा सकती हैं। हालाँकि, ICT एक घरेलू न्यायालय होने के चलते अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का प्रत्यक्ष हस्तक्षेप सीमित रहता है।

शेख हसीना के समर्थन में बांग्लादेश में प्रदर्शन

उधर, शेख हसीना के समर्थन में बांग्लादेश में व्यापक प्रदर्शन जारी है। देश में शेख हसीना के समर्थक सड़कों पर उतरकर मौजूदा यूनुस सरकार का विरोध कर रहे हैं। पिछले दिनों बांग्लादेश में कई जगहों पर धमाके हुए। यह सब कुछ ICT के फैसले से कुछ दिनों पहले से जारी है, जो शेख हसीना को मौत की सजा के आदेश के बाद तेज हो गया है।

मोहम्मद युनूस सरकार ने देश में शटडाउन का ऐलान कर दिया। इस बीच राजधानी ढाका में 15 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों पर शूट एट साइट का आदेश जारी किया गया है। पिछले 7 दिनों में 28 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बांग्लादेश में एक बार फिर गृह युद्ध जैसे हालात हैं।

इससे पहले आवामी लीग ने रविवार (16 नवंबर 2025) की रात को शेख हसीना का एक ऑडियो मैसेज जारी किया था। इसमें शेख हसीना ने अपने समर्थकों को सरकार के बैन के बावजूद डटकर प्रदर्शन जारी रखने के लिए प्रेरित किया था।

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