देश से प्रतिभाओं का पलायन, आरक्षण की जड़ें और मेरिट का सवाल: राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास के सामने सबसे बड़ी चुनौती
आज जब हमारे वायुसेना प्रमुख एयर चीफ माशर्ल अमर प्रीत सिंह जैसे शीषर्स्थ सैन्य अधिकारी सार्वजनिक मंच से इस बात को लेकर चिंता जताते हैं कि देश की प्रतिभाएँ बड़ी…
पीड़ित पर ही ‘गंगा जमुनी तहजीब’ ढोने का भार, ‘द वायर’ के पत्रकार उमर राशिद और उसके ‘लव जिहाद’ का एक सबक यह भी: वामपंथी चोंचलों के आगे धरी रह जाती है ‘फेमिनिज्म की क्रांति’
द वायर के पत्रकार उमर राशिद पर लगे गंभीर आरोपों ने एक डरावना पैटर्न उजागर किया है। खासकर लेफ्ट-लिबरल विचारधारा से जुड़ी महिलाओं के मामले में, जिसमें उन्होंने अपने साथ…
1 महिला ने 8 पर किया रेप का केस, सारे निकले फर्जी… गैंगरेप का 1 केस निकला ‘निजी दुश्मनी’ में फँसाने की साजिश: क्या मर्द होना अब अपराध बन चुका है?
दिल्ली की अदालतों में दर्ज बलात्कार मामलों से जुड़ी एक आरटीआई ने हमारी न्याय व्यवस्था की काली सच्चाई को बेपर्दा कर दिया है। 2017 से 2024 के बीच दर्ज 3,097…
कभी हथौड़ा लेकर ‘शक्ति प्रदर्शन’ , कभी शिक्षकों से बदसलूकी: गली के गुंडों की फोटोकॉपी बने छात्र नेता, अब बिगड़ैल राजनीति पर अंकुश समय की जरूरत
पिछले दिनों दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रौनक खत्री, जोकि कॉन्ग्रेस समर्थित छात्र संगठन NSUI से संबद्ध हैं, ने दिल्ली विश्वविद्यालय मुख्य परिसर स्थित जवाहर वाटिका के ताले हथौड़े…
दरगाह की डेग से चर्च की वाइन तक में दिखती है ‘सेवा’, पर नजर नहीं आता संतों-मंदिरों का परोपकार… क्योंकि हम मजहब देख नहीं करते इलाज, मदद के नाम पर नहीं करते धर्मांतरण
दरगाह की बड़ी डेग में बनने वाले ‘मीठे राइस’ और चर्च में दी जाने वाली ‘लाल वाइन’ तो सोशल मीडिया पर अक्सर लोगों का ध्यान खींचते हैं लेकिन क्या कभी…
गली-गली घूम रहे लव जिहादी, शहर दर शहर पसर रहे ‘मुस्लिम गैंग’: अजमेर से ब्यावर तक हिंदू बच्चियों के शिकार का मॉडल वही, कब जागेंगी एजेंसियाँ
साल 1992 का अजमेर सेक्स स्कैंडल और 2025 में ब्यावर में लड़कियाँ फँसाने पर बवाल। दोनों घटनाओं के बीच 33 साल का वक्त बीता है लेकिन इतने लंबे अंतराल के…
ऐसे लोग खत्म कर रहे हैं पत्रकारों का सम्मान क्या कुछ पत्रकार प्लस ठेकेदारों ने पत्रकारों के सम्मान को खत्म करने का ही ठेका ले लिया?
*ऐसे लोग खत्म कर रहे हैं पत्रकारों का सम्मान* क्या कुछ पत्रकार प्लस ठेकेदारों ने पत्रकारों के सम्मान को खत्म करने का ही ठेका ले लिया? पत्रकारिता के गिरते स्तर…
पुरुष भी होते हैं क्रूरता के शिकार… दिल्ली HC का ये सिर्फ फैसला नहीं, बल्कि आंदोलन की शुरुआत: समाज भी बदले अब सोच, मर्दों के अधिकारों पर हो बात
दिल्ली HC ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा कि पुरुष भी महिलाओं की तरह क्रूरता और हिंसा से समान सुरक्षा के हकदार हैं। यह फैसला उन…
मीडिया का असली कार्य, जिम्मेदारी और निष्पक्षता – एक जरूरी सुधार की दिशा में
मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। यह वह शक्ति है जो समाज के हर पहलू को उजागर करती है, जनता तक सच्चाई पहुँचाती है, और सरकार व अन्य…
धार्मिक विवादों की समय से सुनवाई के लिए जरूरी है रिलीजियस ट्रिब्यूनल: कोर्ट और सरकार को अब इस दिशा में सोचने की क्यों है जरूरत, जानिए
धर्म की रक्षा में न्याय का आधार ही समाज को एकता और शांति प्रदान करता है। सरकार को धार्मिक स्थलों से संबंधित विवादों के समाधान के लिए एक अलग ट्रिब्यूनल…