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असीम मुनीर बनेगा डिफेंस फोर्सेस का प्रमुख, SC की शक्तियों में कटौती और नई ताकतवर FCC अदालत का गठन: जानें पाकिस्तान के 27वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक की ABCD

पाकिस्तानी फौज के हाथों में देश की कमान सौंपने के लिए शहबाज शरीफ सरकार सीनेट में लड़ाई लड़ रही है। दरअसल, सरकार संविधान में 27वाँ विधेयक को संशोधित करने की तैयारी में है। शनिवार (09 नवंबर 2025) को ही पाकिस्तान के सीनेट में 27वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया गया। इसके तहत पाकिस्तानी फौज में चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) पद बनाया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी फील्ड मार्शल असीम मुनीर को मिलेगी।

संशोधित बिल में पाकिस्तान की फौज, नेवी और एयरफोर्स को सीधे असीम मुनीर के ही आदेश पर चलने का अधिकार देता है। पूरे पाकिस्तान के सैन्य बलों में CDF को सर्वोच्च माना जाएगा। इससे असीम मुनीर की शक्तियाँ भी बढ़ जाएँगी। फिर यही असीम मुनीर पाकिस्तान में खुलेआम आतंकवाद को पनाह देगा, जो फील्ड मार्शल की तारीफ करते नहीं थकते हैं। ये पद भारत की नकल कर लाया गया है, जैसा यहाँ थलसेना का प्रमुख CDS होता है।

संशोधन विधेयक को लेकर जहाँ पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि संशोधन से देश के प्रशासन और न्यायपालिका में संरचनात्मक सुधार लाएगा, वहीं विपक्ष और कानूनी विशेषज्ञों का आरोप है कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता, प्रांतीय स्वायत्तता और नागरिक शासन की शक्ति कमजोर होगी।

क्या है 27वाँ संवैधानिक संशोधन?

सीनेट में पेश किया गया 27वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक पाकिस्तान के संविधान में कई अहम बदलाव लाने की कोशिश है। प्रस्ताव में प्रमुख तौर पर संविधान के 5 अनुच्छेदों के संशोधन की बात कही गई है, इनमें अनुच्छेद 160 (3a), 213, 243, 191a और 200 में परिवर्तन शामिल हैं। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इससे देश की वित्तीय व्यवस्था, न्यायिक शक्तियों और प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति में बड़े बदलाव किए जाएँगे।

सरकार ने जो संशोधन ड्राफ्ट प्रस्तावित किया है, उसके अनुसार अनुच्छेद 160 (3a) में संघीय राजस्व में प्रांतो की हिस्सेदारी की सुरक्षा की संवैधानिक गारंटी वापस ली जा सकती है। इससे केंद्र को वित्तीय नियंत्रण (fiscal control) बढ़ेगा और प्रान्तों की स्वायत्तता (provincial autonomy) कम हो सकती है।

आर्टिकल 191a में न्यायिक पुनर्संरचना (judicial restructuring) के बदलाव का प्रस्ताव है। इसमें नया ‘संवैधानिक न्यायालय’ (Constitutional Court) बनाने की बात कही गई है, जिसमें केवल संविधान संबंधित मुद्दों की पैरवी की जाएगी। ये प्रस्ताव न्यायालयों का ढाँचा बदलेगा, खासकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट पर बोझ कम करेगा। यानि यह ‘संवैधानिक कोर्ट’ पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय कहलाएगा।

पाकिस्तान में चुनाव और न्यायपालिका कार्यों में बदलाव

संशोधन पाकिस्तान में चुनाव और न्यायपालिका पर भी असर डालता है। विधेयक के संशोधन में आर्टिकल 213 के तहत निर्वाचन चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव का सुझाव दिया गया है। इससे चुनावी संस्थाओं की संयोजना (structure) बदल सकती है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है।

वहीं अनुच्छेद 200 में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के स्थानांतरण (transfer) संबंधित जुड़े प्रावधानों में बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं। इससे न्यायपालिका पर सरकार का नियंत्रण होगा। लेकिन सरकार का कहना है कि संशोधन से न्यायाधीशों की स्वतंत्रता, उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया आदि पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे न्यायपालिका के स्वायत्तता का प्रश्न उठता है।

27वाँ संशोधन में पाकिस्तानी फौज के लिए बड़ा बदलाव

इस संशोधन का सबसे अहम अनुच्छेद 243 है, जिस पर बहस छिड़ी हुई है। इस अनुच्छेद में प्रस्तावित संशोधन में पाकिस्तान की सैन्य सेवाओं में शीर्ष समन्वय कार्यालय ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) के अध्यक्ष पद को 27 नवंबर 2025 को समाप्त कर देता है। इसी दिन वर्तमान CJCSC जनरल साहिर शमशाद मिर्जा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।

सीनेट में संशोधित बिल पेश करने वाली पाकिस्तान की सरकार में कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने बताया कि अब CJCSC पद पर कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी क्योंकि फील्ड मार्शल असीम मुनीर सभी सुरक्षाबलों के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालेंगे, जो देश के पहले CDF बनेंगे। ये पद तीनों डिफेंस फोर्सेस को कमांड करेगा।

संशोधन के तहत, पाकिस्तान के राष्ट्रपति देश की आर्मी, नेवी और एयर फोर्स के चीफ प्रधानमंत्री की सलाह से ही नियुक्त कर सकेंगे, लेकिन संवैधानिक तौर पर CDF ही तीनों डिफेंस फोर्सेस का प्रमुख माना जाएगा।

न्यूक्लियर मिशन में CDF की भूमिका

सेना का नया कमांडर CDF की भूमिका पाकिस्तान के न्यूक्लियर मिशन में भी अहम होगी। कमांडर ही पाकिस्तान न्यूक्लियर और रणनीतिक श्त्रागार की देखरेख करेगा। Dawn की रिपोर्ट के अनुसार, कमांडर एक आर्मी ऑफिसर ही होना चाहिए, जिसे CDF की कहने पर प्रधानमंत्री ने नियुक्त किया हो।

इसके अलावा यह संशोधित विधेयक पाकिस्तानी फौज में फाइव-स्टार रैंक वाले ऑफिसर को विशेष अधिकार भी प्रस्तावित करता है, इनमें फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ एयर फोर्स और फ्लेट के एडमिरल शामिल हैं।

पाकिस्तानी फौज पर मेहरबान शहबाज शरीफ सरकार

इसके अलावा पाकिस्तान की फौजपरस्त सरकार का यह संशोधित विधेयक पाकिस्तानी फौज में फाइव-स्टार रैंक वाले ऑफिसर को विशेष अधिकार भी प्रस्तावित करता है, इनमें फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ एयर फोर्स और फ्लेट के एडमिरल शामिल हैं।

इन आर्मी ऑफिसर का जीवनभर के लिए वर्दी, रैंक और औदा बना रहेगा। रिटायरमेंट के बाद भी सरकार इन्हें अलग जिम्मेदारी प्रधान करेगी। ये ऑफिसर राष्ट्रपति के समान संवैधानिक छूट का आनंद ले सकते हैं। सबसे अहम संशोधन है कि इन्हें केवल संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश कर ही पद से हटाया जा सकता है।

27वें संवैधानिक संशोधन विधेयक पर पाकिस्तान में राजनीतिक बवाल

पाकिस्तान की शहबाज शऱीफ द्वारा सीनेट में पेश किए गए इस 27वें संवैधानिक संशोधन विधेयक पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियाँ बिलावल भुट्टो जरदारी की PPP, इमरान खान की PT और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम इसे ‘लोकतंत्र की कब्र’ बता रही हैं। उनका आरोप है कि यह संशोधन सेना और केंद्र सरकार की असीमित शक्तियाँ देने के लिए लाया गया है।

वहीं कई बार एसोसिएशनों ने इसे न्यायपालिका के खिलाफ साजिश करार दिया है। पाकिस्तान के कानूनी विश्लेषक अली दयाल ने कहा, “इस संशोधन के बाद पाकिस्तान दो हिस्सों में बंठ जाएँगा। एक संवैधानिक अदालत के हाथ में संविधान होगा और दूसरे के पास राजनीतिक सत्ता।”

पाकिस्तानी सीनेट में 27वाँ संशोधन विधेयक मंजूर होने में मुश्किल

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार कैबिनेट की मंजूरी से संसद में 27वाँ संवैधानिक संशोधन विधेयक ले तो आई लेकिन विधेयक को कानून बनाने में मुश्किल झेल रही है। दरअसल, शहबाज शरीफ सरकार को पाकिस्तानी संसद की निचली सदन में बहुमत है लेकिन ऊपरी सदन में सीनेट में विधेयक को मंजूरी के लिए विपक्ष की सहायता की जरूरत है।

इस बीच शहबाज शरीफ सरकार PPP को मनाने में लगी हुई है। PPP के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने खुलासा किया कि खुद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत PML-N के नेता ने संवैधानिक रिफॉर्म को सपोर्ट करने के लिए PPP से गुजारिश की है।

हालाँकि, सीनेट में पेश किए जाने के बाद विधेयक को पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली और सीनेट की कानून और न्याय संबंधी स्थायी समितियों के संयुक्त समीक्षा और विचार के लिए भेजा गया। संयुक्त समिति की बैठक के दौरान, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के दो सदस्यों और सीनेटर ने इस बैठक का बहिष्कार किया। उन्होंने कहा कि ड्राफ्ट लिस्ट में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो 26वें संशोधन विधेयक में पहले ही नामंजूर किया गया था।

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