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क्या है भारत का IndiaAI मिशन, Meity ने जिसके लिए जारी किए दिशा-निर्देश: 7 सूत्र और 6 बिंदुओं को विस्तार से पढ़कर सब समझिए

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने बुधवार (5 नवंबर 2025) को IndiaAI मिशन के तहत ‘इंडिया AI गवर्नेंस गाइडलाइन्स’ लॉन्च कीं। यह पहल देश में सुरक्षित, जिम्मेदार और समावेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल की दिशा में एक अहम कदम है।

इस कार्यक्रम में देश के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद और MeitY के सचिव एस कृष्णन सहित IndiaAI मिशन के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। यह लॉन्चिंग India-AI Impact Summit 2026 से पहले हुई है, जो भारत की जिम्मेदार AI गवर्नेंस में बढ़ती नेतृत्व भूमिका को दर्शाती है।

नई गाइडलाइन्स का उद्देश्य एक मजबूत गवर्नेंस ढाँचा तैयार करना है ताकि नवाचार को बढ़ावा देते हुए AI तकनीक का सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग किया जा सके और इससे समाज या व्यक्ति को होने वाले जोखिमों को कम किया जा सके।

इस फ्रेमवर्क के चार मुख्य घटक हैं –

1. सात मार्गदर्शक सिद्धांत (सूत्र) – जो भारत की नैतिक और जिम्मेदार AI नीति की नींव तय करते हैं।

2. छह स्तंभों पर आधारित सिफारिशें – जो AI गवर्नेंस के विभिन्न पहलुओं को कवर करती हैं।

3. कार्रवाई योजना (Action Plan) – जिसमें अल्पकालिक, मध्यमकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्यों का खाका तैयार किया गया है।

4. व्यावहारिक दिशानिर्देश (Practical Guidelines) – जो उद्योग, डेवलपर्स, नियामक और अन्य हितधारकों के लिए पारदर्शी और जवाबदेह एआई उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई हैं। इन गाइडलाइन्स के माध्यम से भारत का लक्ष्य है कि AI तकनीक का विकास न केवल नवाचार और प्रगति के लिए हो, बल्कि सुरक्षा, पारदर्शिता और नैतिकता को भी प्राथमिकता दी जाए।

सात मार्गदर्शक सिद्धांत (सूत्र)

भारत की नई AI शासन रूपरेखा (AI Governance Framework) को सात मूलभूत सिद्धांतों या ‘सूत्रों’ पर आधारित किया गया है, जिन्हें सभी क्षेत्रों और तकनीकों में लागू किया जाएगा।

ये सूत्र RBI की FREE-AI समिति की सिफारिशों से लिए गए हैं और भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाए गए हैं। समिति का मानना है कि यही सिद्धांत देश में सुरक्षित, जिम्मेदार और मानव-केंद्रित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास की दिशा तय करेंगे।

नीचे इन सात मार्गदर्शक सूत्रों का सरल रूप में विवरण दिया गया है –

1. विश्वास ही है आधार (Trust is the Foundation): AI के पूरे मूल्य-श्रृंखला में तकनीक, उसे विकसित करने वाले संगठन, निगरानी संस्थान और उपयोगकर्ता सभी में विश्वास (Trust) जरूरी है। यदि लोगों को AI पर भरोसा नहीं होगा, तो इसका व्यापक लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए तकनीक के हर स्तर पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ भरोसे को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

2. जन प्रथम (People First): AI का केंद्र मानव होना चाहिए। इसका अर्थ है कि AI सिस्टम ऐसे बनाए जाएँ जो लोगों को सशक्त करें, उनकी मूल्यों और आवश्यकताओं के अनुरूप हों और अंतिम निर्णय पर मानव नियंत्रण (human oversight) बना रहे। ‘पीपल-फर्स्ट’ दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि तकनीक इंसानों की सेवा में रहे, न कि उन पर हावी हो।

3. संयम की बजाय नवाचार (Innovation over Restraint): AI का विकास नवाचार (Innovation) पर आधारित होना चाहिए, न कि अनावश्यक प्रतिबंधों पर। हालाँकि सुरक्षा और जिम्मेदारी जरूरी हैं, लेकिन तकनीक के प्रयोग को केवल डर या सावधानी के कारण रोकना उचित नहीं। उत्तरदायी नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत किया जाना चाहिए।

4. न्याय और समानता (Fairness & Equity): AI का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचना चाहिए। सिस्टम में किसी तरह का भेदभाव या पक्षपात नहीं होना चाहिए। AI का प्रयोग समावेशी विकास (inclusive development) के लिए किया जाए ताकि कोई भी व्यक्ति या समुदाय पीछे न रह जाए।

5. जवाबदेही (Accountability): AI से जुड़ी हर इकाई, डेवलपर, उपयोगकर्ता, संस्था की जवाबदेही स्पष्ट होनी चाहिए। जो भी जोखिम या नुकसान की संभावना है, उसके अनुसार जिम्मेदारी तय की जाए। नीतिगत, तकनीकी और बाजार-आधारित उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी बिना जिम्मेदारी के काम न करे।

6. समझने योग्य डिजाइन (Understandable by Design): AI सिस्टम इतने स्पष्ट और पारदर्शी (transparent) होने चाहिए कि उपयोगकर्ता और नियामक दोनों यह समझ सकें कि सिस्टम कैसे काम करता है। AI का निर्णय ‘ब्लैक बॉक्स’ जैसा न हो, बल्कि उपयोगकर्ता को यह बताया जाए कि उसका परिणाम किस आधार पर आया। यही समझ, भरोसे की नींव रखती है।

7. सुरक्षा, लचीलापन और स्थिरता (Safety, Resilience & Sustainability): AI सिस्टम सुरक्षित, मजबूत और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार (sustainable) होने चाहिए। इनमें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि किसी भी गड़बड़ी या खतरे का समय रहते पता चल सके। संसाधनों की बचत करने वाले और हल्के (lightweight) मॉडल्स को बढ़ावा दिया जाए ताकि तकनीक पर्यावरण पर बोझ न बने।

अपने संबोधन में  प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ अजय कुमार सूद ने कहा कि पूरे ढाँचे की भावना ‘Do No Harm’ (किसी को नुकसान न पहुँचाना) पर आधारित है। यानी, AI का हर उपयोग समाज के हित में हो और किसी भी रूप में हानिकारक न साबित हो।

AI शासन के 6 स्तंभ

गाइडलाइंस के दूसरे भाग में छह प्रमुख स्तंभों पर सिफारिशें दी गई हैं, जिन्हें तीन मुख्य क्षेत्रों में बाँटा गया है –

1. इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure): गाइडलाइंस में कहा गया है कि भारत को AI के लिए मजबूत आधारभूत ढाँचा तैयार करना चाहिए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके। इसमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का उपयोग करके AI को बड़े पैमाने पर और समावेशी रूप से फैलाने की बात कही गई है।

सरकार द्वारा 38,231 GPUs स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और डेवलपर्स को रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 3,000 आधुनिक GPUs वाला सुरक्षित क्लस्टर रणनीतिक कार्यों के लिए तैयार किया जा रहा है।

AIKosh प्लेटफॉर्म पर अब तक 1,500 डेटा सेट और 217 AI मॉडल जोड़े गए हैं, जो 20 सेक्टरों की 34 संस्थाओं से लिए गए हैं। MSME (लघु उद्योग) के लिए टैक्स छूट, AI से जुड़े ऋण और सस्ती कंप्यूटिंग सुविधाओं जैसी प्रोत्साहन योजनाओं की सिफारिश की गई है।

2. क्षमता निर्माण (Capacity Building): यह स्तंभ शिक्षा, प्रशिक्षण और जागरूकता पर केंद्रित है। AI साक्षरता को बढ़ाने के लिए टियर-2 और टियर-3 शहरों, व्यावसायिक संस्थानों और सरकारी अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की सिफारिश की गई है।

मौजूदा कार्यक्रम जैसे IndiaAI FutureSkills और FutureSkills PRIME को आगे बढ़ाने और विस्तार करने की जरूरत बताई गई है ताकि AI का लाभ अधिक लोगों तक पहुँचे।

3. नीति और नियमन (Policy & Regulation): इस भाग में एक लचीला और संतुलित नियामक ढाँचा अपनाने की बात कही गई है। सुझाव दिया गया है कि नई ‘AI Act’  लाने के बजाय मौजूदा कानूनों (जैसे IT Act 2000, DPDP Act, कॉपीराइट कानून आदि) में संशोधन करके AI से जुड़े मुद्दों को शामिल किया जाए।

खास तौर पर, IT Act में यह स्पष्ट करने की आवश्यकता बताई गई है कि डिजिटल इंटरमीडियरी और AI सिस्टम की कानूनी जिम्मेदारी किस पर होगी।

4. जोखिम प्रबंधन (Risk Mitigation): गाइडलाइंस में भारत के संदर्भ में एक जोखिम मूल्यांकन ढाँचा (Risk Assessment Framework) तैयार करने की बात कही गई है। शुरुआत में उद्योगों के लिए स्वैच्छिक (voluntary) नियम लागू करने और बाद में कानूनी ढाँचा बनाने की सलाह दी गई है।

संवेदनशील क्षेत्रों जैसे सरकारी सेवाएँ या कमजोर वर्गों से जुड़ी परियोजनाएँ में अतिरिक्त सुरक्षा नियम लागू होंगे। साथ ही डीपफेक, कंटेंट ऑथेंटिकेशन, डेटा स्रोत की सत्यता (dataset provenance) और जेनरेटिव एआई में कंटेंट की पहचान (attribution) पर भी सख्त निगरानी रखने की जरूरत बताई गई है।

5. जवाबदेही (Accountability): जिम्मेदारी तय करने के लिए ग्रेडेड लायबिलिटी सिस्टम की सिफारिश की गई है। यानी किसी के कार्य, जोखिम स्तर और सावधानी के आधार पर उसकी जवाबदेही तय की जाए। AI वैल्यू चेन के हर हिस्से, डेवलपर, डिप्लॉयर और थर्ड-पार्टी प्रदाता के बीच पारदर्शिता आवश्यक बताई गई है, ताकि नियामक संस्थाएँ सही और उचित कार्रवाई कर सकें।

6. संस्थान (Institutions): गाइडलाइंस में ‘Whole-of-Government’ दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई है, यानी सभी सरकारी संस्थाएँ मिलकर एआई गवर्नेंस को लागू करें। एक AI Governance Group (AIGG) बनाया जाएगा जो नीति और क्रियान्वयन की निगरानी करेगा।

इसके तहत एक Technology & Policy Expert Committee (TPEC) और एक तकनीकी निकाय AI Safety Institute (AISI) का गठन प्रस्तावित है। इसके साथ BIS, TEC, राज्य सरकारें और सेक्टोरल रेगुलेटर भी इस ढाँचे में भाग लेंगे।

कार्य योजना: लघु, मध्यम, दीर्घकालिक

भारत की नई AI गवर्नेंस गाइडलाइंस में एक स्पष्ट कार्ययोजना (Action Plan) दी गई है, जिसे तीन चरणों, लघु अवधि (Short-term), मध्यम अवधि (Medium-term) और दीर्घ अवधि (Long-term) – में बाँटा गया है।

लघु अवधि (Short-term) लक्ष्य: AI गवर्नेंस के लिए मुख्य संस्थान (Institutions) स्थापित किए जाएँ। भारत-विशिष्ट जोखिम ढाँचे (Risk Frameworks) तैयार किए जाएँ। उद्योग जगत से स्वैच्छिक प्रतिबद्धताएँ (Voluntary Commitments) ली जाएँ ताकि जिम्मेदार AI उपयोग बढ़े।

कानूनी संशोधन (Legal Amendments) के सुझाव दिए जाएँ और जिम्मेदारी तय करने की व्यवस्था (Liability Regime) स्पष्ट की जाए। कंप्यूटिंग और डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर तक पहुँच बढ़ाई जाए। जनजागरूकता अभियान चलाए जाएँ और AI सुरक्षा उपकरणों (AI Safety Tools) की पहुँच सभी तक सुनिश्चित की जाए।

मध्यम अवधि (Medium-term) लक्ष्य: साझा मानक (Common Standards) प्रकाशित किए जाएँ। संबंधित कानूनों व नियमों में संशोधन किए जाएँ। AI घटनाओं की रिपोर्टिंग प्रणाली (Incident Reporting System) को लागू किया जाए। रेगुलेटरी सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox) परियोजनाएँ शुरू की जाएँ।

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में AI के एकीकरण को बढ़ाया जाए। क्षमता निर्माण (Capacity Building) और मानकीकरण कार्य लगातार जारी रखा जाए।

दीर्घ अवधि (Long-term) लक्ष्य: समय-समय पर गवर्नेंस फ्रेमवर्क की समीक्षा और अद्यतन (Review & Update) किया जाए ताकि यह टिकाऊ और प्रभावी बना रहे। उभरते जोखिमों और नई तकनीकों के अनुसार नए कानून तैयार किए जाएँ। भारत का डिजिटल इकोसिस्टम मजबूत, लचीला और अनुकूलनशील (Resilient & Adaptive) बना रहे, यह सुनिश्चित किया जाए।

हितधारकों के लिए व्यावहारिक दिशानिर्देश

दस्तावेज का चौथा भाग व्यावहारिक दिशा-निर्देश देता है, जिसमें उद्योग, डेवलपर, नियामक और नीति-निर्माताओं के लिए साफ-साफ सुझाव दिए गए हैं।

उद्योग, डेवलपर्स और AI लागू करने वाले संगठनों के लिए सुझाव: उन्हें मौजूदा भारतीय कानूनों का पालन करना होगा, साथ ही स्वैच्छिक सिद्धांतों और मानकों को अपनाने की सलाह दी गई है। कंपनियों को पारदर्शिता या ‘सेल्फ-असेसमेंट’ रिपोर्ट जारी करने, शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने और तकनीकी व कानूनी उपायों के जरिए जोखिम कम करने के निर्देश दिए गए हैं।

नियामकों (Regulators) के लिए सुझाव: नियामकों को नवाचार (innovation) को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ AI से होने वाले संभावित नुकसान या जोखिमों पर सक्रिय रूप से ध्यान देना चाहिए। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि नियम इतने कठोर न हों कि वे नवाचार को रोक दें।

इसके बजाय, तकनीक और कानून के मिश्रित (techno-legal) दृष्टिकोण को अपनाने और समय-समय पर नीतियों की समीक्षा करने की सलाह दी गई है ताकि बदलती तकनीक के साथ तालमेल बना रहे।

गाइडलाइंस जारी करते हुए MeitY सचिव एस कृष्णन ने कहा कि भारत का उद्देश्य AI का इस्तेमाल नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए करना है, साथ ही इससे जुड़े खतरों और नुकसानों को भी संबोधित करना है।

उन्होंने जोर दिया कि जहाँ संभव हो, देश मौजूदा कानूनों का ही उपयोग करेगा और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण (human-centric approach) को केंद्र में रखेगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब इंडिया AI इम्पैक्ट समिट 2026 की तैयारियाँ चल रही हैं, जो अगले वर्ष नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी।

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