
केन्द्र सरकार ने बिजली की खपत को कम करने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एयर कंडीशनर (AC) को लेकर नए नियम का ऐलान किया हैं। यह जल्द ही लागू हो जाएँगे। केन्द्र सरकार ने यह नियम एयर कंडीशनर के तापमान को लेकर बनाए हैं।
इस नियम के तहत, अब पूरे भारत में सभी AC केवल 20°C से 28°C के बीच के तापमान पर ही काम करेंगे। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति अपने एसी को 20°C से कम या 28°C से ज्यादा तापमान पर सेट नहीं कर पाएगा।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि बहुत कम तापमान पर एसी चलाने से बिजली की भारी खपत होती है। इससे न केवल ऊर्जा की बर्बादी होती है, बल्कि बिजली की माँग भी तेजी से बढ़ती है। यह माँग गर्मियों में काफी तेजी से बढ़ती है। अब इस नई नीति से बिजली बचाने में मदद मिलेगी।
केन्द्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस नीति को एक साहसिक निर्णय बताया है और कहा कि यह AC के इस्तेमाल के आदतों में सुधार को देखते हुए ये कदम जरूरी है। अब इस निर्णय के बाद AC निर्माता कंपनियों को अपने उपकरणों के सॉफ्टवेयर को अपडेट करना होगा ताकि वे नए नियमों के अनुसार काम कर सकें। सरकार इस नीति के अमल पर नजर रखेगी।
भारत ऐसी नीति लागू करने वाला कोई पहला देश नहीं है, पहले से ही AC को लेकर दुनिया भर के अलग-अलग देशों में नियम लागू हैं।
और कौन से देशों में हैं ऐसे नियम?
सिंगापुर के सार्वजनिक भवनों में AC का तापमान 24-26°C के बीच रखा जाता है, जो वहाँ की गर्म जलवायु के लिए ठीक है। सिंगापुर की सरकार ऊर्जा बचाने के लिए ‘Go 25’ अभियान चला रही है, जिससे घरों और दफ्तरों में 25°C या उससे ज्यादा तापमान रखने को बढ़ावा दिया जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया में कोई तापमान रखने पर कोई कानूनी सीमा नहीं है, लेकिन सरकार 23-25°C तापमान की सलाह देती है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया में केवल उन AC को बेचने की अनुमति है जो ऊर्जा की बचत के मानकों पर खरे उतरते हैं। जहाँ थर्मोस्टेट तापमान तय करने का कोई राष्ट्रीय नियम नहीं है।
चीन की सरकारी और व्यावसायिक इमारतों में AC का तापमान कम से कम 26°C रखने की सख्त सलाह है, खासकर गर्मियों में, ऐसा करना सार्वजनिक इमारतों में अनिवार्य है। यहाँ भी बिजली की खपत करने को यह नियम लागू किया गया है।
दक्षिण कोरिया में भी गर्मियों में AC का तापमान 26°C या उससे ऊपर रखने की नीति है। सार्वजनिक कार्यालयों को ऊर्जा बचाने के लिए इस नियम का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
भारत सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
सरकार ने AC के तापमान को 20°C से 28°C के बीच सीमित करने का फैसला इसलिए लिया है ताकि देश में बिजली की खपत को कम किया जा सके और ऊर्जा का समझदारी से उपयोग किया जा सके। भारत में बढ़ते मध्यम वर्ग के साथ लगातार AC की बिक्री बढ़ रही है, इसी से बिजली खपत भी बढ़ रही है।
एक रिपोर्ट बताती है कि अकेले 2024 में ही देश में 1.4 करोड़ AC बिके थे। यह 4 वर्षों में दोगुनी हो चुकी है। यह अंदाजा लगाया गया है कि 2050 तक भारत में 9 गुना वृद्धि AC के मामले में होने वाली है। ऐसे में बिजली की खपत तेजी से बढ़ेगी।
मई-जून जैसे महीनों में भीषण गर्मी के चलते लोग अक्सर अपने AC को बहुत कम तापमान, जैसे 20-21°C पर चलाते हैं। इसके चलते बिजली की खपत तेजी से बढ़ती है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि बहुत कम तापमान पर AC चलाने पर बिजली खपत में 20% तक की बढ़ोतरी होती है। एकाएक बिजली की माँग बढ़ने से पॉवर ग्रिड पर भी दबाव पड़ता है।
भारत की ज़्यादातर बिजली कोयले से बनने के कारण, बिजली की ज्यादा खपत का मतलब ज्यादा प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ब्युरो ऑफ एनर्जी इफिशन्सी (BEE) का कहना है कि तापमान को 20°C से कम या 28°C से ज्यादा पर सेट करना अकुशल और नुकसानदायक है।
ऐसे में सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और बिजली बचत, दोनों देखते हुए यह निर्णय लिया है।
इस कदम से क्या फायदे?
सरकार चाहती है कि देश में सभी लोग AC का इस्तेमाल एक तय तापमान सीमा यानि 20°C से 28°C के बीच ही रहे, इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बिजली की खपत कम होगी और देश को ऊर्जा की बचत में मदद मिलेगी।
जब कम बिजली खर्च होगा, तो देश को आर्थिक लाभ होगा और साथ ही प्रदूषण भी घटेगा, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा। यह नियम हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद होगा, सभी के लिए एक समान तापमान पर AC चलने से न केवल आराम मिलेगा बल्कि बिजली का बिल भी कम आएगा।
सरकार इस बदलाव को जल्द ही लागू करने जा रही है और लोगों को इसके फायदे समझाकर जागरूक भी किया जा रहा है। इस नियम का मकसद सिर्फ तापमान सीमित करना नहीं है, बल्कि लोगों की सोच बदलना है ताकि वे ऊर्जा का उपयोग ज्यादा जिम्मेदारी से करें।