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Movie Review Azaad: घोड़े, इंसानी जज़्बात और 1920 के भारत की अनकही कहानी, ‘उई अम्मा’ नहीं बल्कि दमदार है ‘आजाद’

अमूमन हर शुक्रवार को बॉक्स ऑफिस पर फिल्में रिलीज होती हैं, कोई बड़ा त्यौहार या मौका न हो, तो शुक्रवार से ही टिकट खिड़की पर फिल्मों का इम्तिहान होता है। इसी कड़ी में शुक्रवार (17 जनवरी 2025) को ‘आजाद’ नाम की फिल्म भी रिलीज हुई है, जिसके चर्चे आगे सुनने को मिल सकते हैं। हाँ, तो हम बात कर रहे हैं ‘आजाद’ की। डायरेक्टर अभिषेक कपूर की फिल्म का मुख्य पात्र है महाराणा प्रताप के महापराक्रमी घोड़े ‘चेतक’ की तरह का शानदार घोड़ा ‘आजाद’।

अभिषेक कपूर ने ‘रॉक ऑन,’ ‘काई पो छे!’ और ‘केदारनाथ’ जैसी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है। अभिषेक इस बार एक ऐसा विषय लेकर आए हैं, जो भारतीय सिनेमा में कम ही देखा गया है। यह फिल्म एक घोड़े और एक लड़के के बीच की दोस्ती की कहानी है, लेकिन इसके साथ-साथ यह गुलामी और विदेशी हुकूमत के अत्याचारों को भी बखूबी उजागर करती है। अभिषेक कपूर ने दर्शकों को 1920 के उस दौर में ले जाने की पूरी कोशिश की है, जब भारतीय मजदूरों को जबरन गुलामी के लिए विदेशों में भेजा जाता था। यह तथ्य फिल्म में हल्के लेकिन प्रभावी ढंग से सामने आता है।

पुराने समय पर आधारित अनोखी कहानी

फिल्म की कहानी 1920 के भारत में सेट है, जब अंग्रेज भारत पर हुकूमत कर रहे थे। यह वह दौर था जब भारतीय मजदूरों को जबरन गुलाम बनाकर विदेशों में ले जाया जाता था। कहानी इस दर्दनाक सच्चाई को हल्के लेकिन प्रभावी ढंग से पेश करती है।

‘आजाद’ नाम का घोड़ा केवल एक जानवर नहीं है, वह आज़ादी, स्वामिभक्ति और साहस का प्रतीक है। यह फिल्म एक घोड़े और इंसान के रिश्ते की बारीकियों को खूबसूरती से दिखाती है। इसके अलावा, यह फिल्म उन अनकही कहानियों को भी उजागर करती है, जो आजादी की लड़ाई के दौरान भारतीयों के जीवन का हिस्सा थीं।

कहानी का नयापन इस बात में है कि यह केवल देशभक्ति पर आधारित नहीं है, बल्कि इंसानी भावनाओं और रिश्तों की गहराई को भी छूती है। यह फिल्म आमिर खान की ‘लगान’ की याद दिलाती है, लेकिन इसकी कहानी और उसे पर्दे पर पेश करने का तरीका, दोनों ही अलग है।

स्टीरियोटाइप मिटाने वाली एक्टिंग

खास बात ये है कि अजय देवगन को छोड़कर कोई भी एक्टर अपने पुराने स्टीरियोटाइप इमेज में नहीं दिखा है। अजय का वैसा दिखना कहानी की माँग थी, जिसमें वो जंचे भी हैं। बाकी कहानी के मुख्य बिंदुओं को संभालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है और उन्होंने इसे पूरी शिद्दत से निभाया है। अजय का किरदार एक ऐसा व्यक्ति है, जो न केवल घोड़े ‘आजाद’ को समझता है, बल्कि उसके जरिए अपने जीवन के कई सवालों के जवाब भी ढूंढता है। अजय देवगन के किरदार में गंभीरता और गहराई है, जो हर सीन में नजर आती है।

फिल्म के मुख्य किरदारों में अजय देवगन के भतीजे अमन देवगन और रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी हैं। दोनों ने अपने करियर की शुरुआत इस फिल्म से की है, और यह कहना गलत नहीं होगा कि दोनों ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है। अमन देवगन का किरदार एक स्थिर लड़के का है, जो घोड़ों के प्रति अपने लगाव और साहस से कहानी को आगे बढ़ाता है। उनकी मासूमियत और जुनून को बड़े पर्दे पर देखना बेहद सुखद अनुभव है।

राशा थडानी का किरदार एक जमींदार की बेटी का है, जो घोड़ों से बेइंतेहा लगाव रखती है। उनके अभिनय में एक नई ताजगी और आत्मविश्वास है। उनकी स्क्रीन प्रेजेंस और डायलॉग डिलीवरी कमाल की है। यह फिल्म राशा के लिए उनके करियर की मजबूत शुरुआत साबित हो सकती है।

पीयूष मिश्रा ने राय बहादुर का किरदार निभाया है, जो अंग्रेजों का समर्थक जमींदार है। उनके किरदार की हर बारीकी को उन्होंने बखूबी निभाया है। वहीं, मोहित मलिक ने निर्दयी और क्रूर बेटे के रूप में दर्शकों को प्रभावित किया। उनकी पत्नी और अजय की प्रेमिका के किरदार में डायना पेंटी भी सीमित जगह होने के बावजूद छाप छोड़ती हैं।

गानों और डांस में दिखी ताजगी

फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी ने तैयार किया है, जो कहानी के मूड को पूरी तरह से बयाँ करता है। ‘उई अम्मा’ गाना आजकल खूब वायरल हो रहा है। इसे मधुबंती बागची ने गाया है, जो संगीत के आगरा घराने से जुड़ी हैं। उनकी आवाज में एक ताजगी और गहराई है, जो इस गाने को खास बनाती है।

फिल्म का एक गाना ‘बिरंगे’ होली पर आधारित है। इसका फिल्मांकन रंगीन और उत्साह से भरा हुआ है। इस गाने के बोल अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे हैं, जो अपनी शानदार लिरिक्स के लिए जाने जाते हैं। उनका काम इस फिल्म में भी कमाल का है। हितेश सोनिक का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को और अच्छा फील देता है, जिसके फिल्म का इमोशनल वैल्यू भी बढ़ता है।

डांस की बात करें तो अजय देवगन ‘कितने बेहतरीन’ डांसर रहे हैं, वो आप भूल जाएँगे। अमन की मेहनत दिखती है, तो राशा खास तौर पर अगली ‘स्टार’ बनने की राह पर दिखती हैं।

अभिषेक कपूर ने दिखाई मास्टरी

अभिषेक कपूर ने इस फिल्म के जरिए यह साबित कर दिया है कि वे अलग-अलग शैलियों की कहानियों को प्रभावी ढंग से पेश करने में माहिर हैं। 1920 का भारत, अंग्रेजों का अत्याचार, और एक घोड़े की अनकही कहानी को एक साथ पेश करना एक बड़ी चुनौती थी, जिसे उन्होंने पूरी शिद्दत से निभाया है। फिल्म के विजुअल्स बेहद खूबसूरत हैं। 1920 के भारत को पर्दे पर उतारने में प्रोडक्शन डिजाइन टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ी। हर सीन में उस दौर की झलक साफ नजर आती है। बाकी फिल्म के प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन जैसे कामों में उन्होंने ‘स्टार किड्स’ वाला जो फायदा उठाया है, वो सिनेमा को गंभीरता से देखने वाले लोग समझ ही जाएँगे।

ट्रेलर देखें:

क्यों देखें और क्यों न देखें यह फिल्म?

‘आजाद’ एक ऐसी फिल्म है, जो आपको भावनात्मक रूप से जोड़ती है। यह फिल्म केवल एक घोड़े की कहानी नहीं है, बल्कि इंसानी भावनाओं, रिश्तों और स्वतंत्रता के संघर्ष की भी कहानी है।

फिल्म के खूबसूरत विजुअल्स, शानदार अभिनय, और दिल छू लेने वाले संगीत इसे खास बनाते हैं। हाँ, एक्शन फिल्मों के शौकीनों को यह थोड़ा धीमा लग सकता है, लेकिन जो लोग संवेदनशील और कहानी प्रधान फिल्मों को पसंद करते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है।

स्टार रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (3.5/5)

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