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पहलगाम से पहले दिल्ली में होना था अटैक, ISI ने अंसारुल अंसारी को सौंपा था टास्क: नेपाल से कैब चलाने गया था कतर, रावलपिंडी में ट्रेनिंग लेकर आया था दिल्ली की रेकी करने

पहलगाम आतंकी हमले से पहले दिल्ली को टारगेट करने की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने साजिश रची थी। केन्द्रीय जाँच एजेंसियों ने दिल्ली से अंसारुल मियां अंसारी को और उसके सहयोगी अखलाक आजम को राँची से तीन मार्च को गिरफ्तार किया था। पहलगाम हमले से पहले दोनों की गिरफ्तारी हुई थी। इनसे पूछताछ में पता चला है कि इनलोगों ने दिल्ली को दहलाने की योजना बनाई थी।

दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक अंसारुल अंसारी ने दिल्ली के कई जगहों की रेकी की थी। वह भारतीय सेना के दस्तावेज भी आईएसआई तक पहुँचा रहा था। उससे पूछताछ में आईएसआई के नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। वह दस्तावेजों की सीडी बनाकर पाकिस्तान भेजा करता था। जब उसे गिरफ्तार किया गया तो वह पाकिस्तान भागने की फिराक में लगा था। पूछताछ में पता चला है कि आईएसआई के कई एजेंट अभी भी भारत के अलग- अलग हिस्सों में छिपे हुए हैं। भारतीय एजेंसियाँ अब उनकी तलाश कर रही हैं।

अंसारुल अंसारी ने पूछताछ में बताया कि वो नेपाल का रहने वाला है। वह नौकरी की तलाश में कतर पहुँचा था और कैब चालक के रूप में काम करने लगा। कतर में उसकी मुलाकात एक आईएसआई हैंडलर से हुई। उसे पाकिस्तान ले जाया गया और आतंकी घटनाओं को अंजाम देने की खास ट्रेनिंग दी गई। अंसारुल को भारत भेजा गया और आईएसआई के अधिकारी उसके संपर्क में लगातार रहने लगे।

अंसारुल का काम आईएसआई को भारतीय सेना के गोपनीय दस्तावेज भेजने का था। वह लगातार पाकिस्तानी नागरिक के संपर्क में था। उसे नेपाल के रास्ते भारत भेजा गया था।

अंसारुल को भारत में मदद करने वाला राँची का रहने वाला अखलाक आजम था, जिसे मार्च 2025 में गिरफ्तार किया गया। अखलाक ने अंसारुल को लॉजिस्टिक सपोर्ट और दस्तावेज इकट्ठा करने में मदद की। दोनों के मोबाइल फोन की जाँच में पाकिस्तानी हैंडलरों के साथ संदिग्ध बातचीत के सबूत मिले, जो एक बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करते हैं। दिल्ली पुलिस ने दोनों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया और मई 2025 में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।

अंसारुल और अखलाक को दिल्ली की तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया है। अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी है, ताकि वे जेल में अन्य कैदियों को प्रभावित न कर सकें। जाँच एजेंसियाँ अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी हैं।

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