
बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव विधायक होते हुए भी राजनीतिक कारणों से कम ही चर्चा में रहते हैं। मालदीव में ‘ध्यान’ लगाने गए तेज प्रताप यादव अब अनुष्का यादव के साथ अपनी ‘लव स्टोरी’ को सार्वजनिक कर चर्चा में हैं।
इश्क के इस सार्वजनिक कबूलनामे ने बिहार की ही एक बेटी और राजद की राजनीति के आधार समाज (यादव) से आने वाली बेटी ऐश्वर्या राय को दिए उन ‘जख्मों’ की याद भी ताजा कर दी है, जिसे उसके ससुराल से बेआबरू कर निकाला था। अपने पोस्ट में तेज प्रताप ने 12 साल से चल रही लव स्टोरी के बारे में बताया है। लेकिन बाद में इसे डिलीट या शायद हाइड कर दिया गया। थोड़ी देर बाद पोस्ट फिर से दिखने लगा।
तेज प्रताप यादव ने अपने पोस्ट में लिखा है;
मैं तेज प्रताप यादव और मेरे साथ इस तस्वीर में जो दिख रही हैं, उनका नाम अनुष्का यादव है। हम दोनों पिछले 12 सालों से एक-दूसरे को जानते हैं और प्यार भी करते हैं। हमलोग पिछले 12 सालों से एक रिलेशनशिप में रह रहे हैं। मैं बहुत दिनों से आपलोगों से यह बात कहना चाहता था, पर समझ नहीं आ रहा था कैसे कहूँ… इसलिए आज इस पोस्ट के माध्यम से अपने दिल की बात आप सबके बीच रख रहा हूँ। आशा करता हूँ आप लोग मेरी बातों को समझेंगे।
इस पोस्ट के एक-एक शब्द पर गौर करिए। राजद विधायक तेज प्रताप यादव कबूल रहे हैं कि वे 12 साल से एक लड़की के साथ रिलेशनशिप हैं। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं। उन्होंने मई 2025 में यह पोस्ट किया है। यानी इनका संबंध 2013 से है। फिर 12 मई 2018 को उन्होंने ऐश्वर्या राय जो बिहार के ही एक पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पौत्री और राजद के पूर्व नेता चंद्रिका राय की बेटी हैं, के साथ शादी क्यों की?
वे कौन से दबाव थे जिसके कारण उन्हें इस संबंध के लिए तैयार होना पड़ा? लालू परिवार को इस रिश्तेदारी से कौन राजनीतिक समीकरण सधने की उम्मीद थी जो 2019 के लोकसभा चुनाव में चंद्रिका राय की हार से पूरी होती नहीं दिखी और ऐश्वर्या राय को घर से निकाल दिया गया?
वैसे भी जिस तरीके से लालू यादव और राबड़ी देवी के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने एक ईसाई महिला से शादी की है, उससे तो लगता नहीं कि यह परिवार सामाजिक या रूढ़िवादी कारणों से प्रेम विवाह का विरोधी है। राजनीतिक तौर पर भी बिहार में ईसाइयों का ऐसा कोई प्रभाव नहीं है, जिससे MY समीकरण को विस्तार मिलने की दूर-दूर तक संभावना भी दिखे। ऐसे में तेजस्वी यादव के प्रेम विवाह के लिए रजामंदी जताने के पीछे लालू और राबड़ी का राजनीतिक कारण तो यकीनी तौर पर नहीं रहा होगा।
फिर तेज प्रताप की लव स्टोरी परिवार को कबूल क्यों नहीं थी? क्या तेज प्रताप ने परिवार को इसके बारे में नहीं बताया था? इन सवालों को घरेलू मामले बताकर खारिज नहीं किया जा सकता है। इनके जवाब बिहार का अधिकार है। वैसे भी प्रेम गुनाह नहीं है। लेकिन एक रिश्ते में रहते हुए किसी और लड़की से शादी (शायद राजनीतिक कारणों से) करना और फिर उसके जीवन को तमाशा (शायद किसी और से प्रेम में होने के कारण) बना देना, कानूनी तौर पर भले अपराध न हो, लेकिन भारत का समाज जिस नैतिकता के धरातल पर खड़ा है, अवश्य ही पाप है।
यह सही है कि बिहार में जंगलराज लाने वाले, पशुओं का चारा गटक जाने वाले, सरकारी नौकरी के बदले जमीन लिखवा लेने वाले, कथित तौर पर बेटी की शादी में शोरूम से गाड़ियों से लेकर फर्नीचर तक उठा लेने वाले परिवार से नैतिकता की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। लेकिन मीसा भारती, रोहिणी आचार्य, चंदा यादव, रागिनी यादव, हेमा यादव, अनुष्का राव और राज लक्ष्मी यादव के माता-पिता से यह तो जरूर पूछा जाना चाहिए सात बेटियों के रहते हुए भी उन्होंने बिहार की एक बेटी की जिंदगी को तमाशा क्यों बना दिया?
क्या ऐश्वर्या लालू परिवार की राजनीतिक चौसर की केवल चाल मात्र थीं? जिससे अपेक्षित नतीजे नहीं मिलने पर जैसा कि ऐश्वर्या ने खुद मीडिया को बताया था राबड़ी देवी ने उन्हें बाल खींचकर मारा। राबड़ी देवी के आवास में सुरक्षाकर्मी ने उन्हें मारा। राबड़ी देवी ने उनका फोन छीन लिया। उनके माँ-बाप को जलील किया।
जिस तरीके से इस पोस्ट को डिलीट/हाइड किया गया, संभव है कि फिर से ऐसा कुछ देखने को मिले। यह बात भी फैलाई जा सकती है कि तेज प्रताप यादव का अकाउंट हैक हो गया था। विधानसभा चुनाव तक अनुष्का यादव के साथ रिश्ते को नाम नहीं देने का तेज प्रताप पर दबाव बनाया जाए। लेकिन बिहार को बार-बार कलंकित करने वाले इस परिवार को पता होना चाहिए कि सोशल मीडिया के इस दौर में जब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी ही। उस आधार (MY) के Y को हिलाकर जाएगी, जिसकी तेल से लालटेन की लौ अब भी बची हुई है।