
वाशिंगटन डीसी में बुधवार (22 मई 2025) को हमला हुआ, जिसमें इजरायली दूतावास में काम करने वाले 2 कर्मचारियों की हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड ने पूरी दुनिया का ध्यान खीँचा है। इस हत्याकांड को इलियास रोड्रिगेज (31) ने अंजाम दिया, जब उसने कैपिटल ज्यूइश म्यूजियम के बाहर दोनों की हत्याएँ की और ‘फ्री, फ्री फिलिस्तीन’ के नारे लगाए। इस घटना ने न केवल इजरायल और अमेरिका के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि भारत के खिलाफ भी एक गहरी साजिश की ओर इशारा किया है।
दरअसल, हमलावर रोड्रिगेज का कथित संबंध एक ऐसे संगठन से है, जो न सिर्फ इजरायल का कट्टर विरोधी है, बल्कि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी अभियान चलाता रहा है। इस संगठन का नाम है पार्टी फॉर सोशलिज्म एंड लिबरेशन (पीएसएल), जिसके तार अमेरिकी करोड़पति और कथित चीनी समर्थक नेविल रॉय सिंघम और उसकी बीवी जोडी इवांस से जुड़े हैं।
रोड्रिगेज काफी समय से अमेरिकी नीतियों की खिलाफत करता रहा है, यहाँ तक कि उसने अपने पिता का भी विरोध किया था, जब वो इराकी सैनिक की वर्दी से मिनी झंडा लाए थे। रोड्रेगेज ने इसे अमेरिकी सैनिक ‘नरसंहारकारी साम्राज्यवादी युद्धों’ की ट्रॉफी करार दिया था। वो साल 2017-18 में शिकागो में एएनएसडब्ल्यूईआर कोएलिशन के प्रदर्शनों में भी शामिल रहा था।
इस हत्याकांड में इलियास रोड्रिगेज का नाम सामने आते ही पीएसएल सुर्खियों में आ गया। संगठन ने तुरंत सफाई दी कि रोड्रिगेज का उनके साथ संबंध 2017 में खत्म हो चुका था और इस हमले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। हालाँकि संदेह है कि रोड्रिगेज अभी भी पीएसएल का सक्रिय सदस्य हो सकता है।
भारत-अमेरिका दोस्ती के समर्थक और सीनेट इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कार्निन ने इस मामले में गहरी जाँच की माँग की है। कार्निन ने एटॉर्नी जनरल पामेला बोंडी और एफबीआई प्रमुख काश पटेल से पीएसएल और अन्य वामपंथी संगठनों की फंडिंग की जाँच करने को कहा है। उनका कहना है कि यह जानना जरूरी है कि कहीं ये संगठन घरेलू आतंकवाद को बढ़ावा तो नहीं दे रहे।
भारत के खिलाफ चलाता रहा है अभियान
पीएसएल और इसके सहयोगी संगठनों का भारत विरोध भी पुराना है। जून 2023 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर गए थे, तब पीएसएल ने उनकी यात्रा का कड़ा विरोध किया था। संगठन ने अपनी एक्स पोस्ट में छह कारण गिनाए थे, जिनमें मोदी सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और अल्पसंख्यकों के खिलाफ नीतियों के आरोप शामिल थे।
इसके अलावा अक्टूबर 2023 में जब भारत में न्यूज़क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ को चीनी हितों के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, तब पीएसएल ने न्यूयॉर्क में न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में संगठन से जुड़े लोगों ने मोदी सरकार और अखबार के खिलाफ नारेबाजी की थी। न्यूज़क्लिक को भी सिंघम की फंडिंग का हिस्सा माना जाता है, जिसके जरिए वह भारत में चीनी प्रचार को बढ़ावा दे रहा था।
ब्रॉन्क्स एंटी-वॉर कोएलिशन ने बताया था एंटी जायनिज्म की अभिव्यक्ति
इजरायली दूतावास कर्मियों की हत्या के बाद ब्रॉन्क्स एंटी-वॉर कोएलिशन ने एक्स पर एक पोस्ट में रोड्रिगेज की कार्रवाई को ‘एंटी-जायनिज्म की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति’ बताया। इस संगठन की स्थापना डी नाइट ने की थी, जो एक कट्टर समाजवादी और चीन समर्थक कार्यकर्ता हैं। नाइट की किताब ‘बेफ्रेंडिंग चाइना: पीपल टू पीपल पीसमेकिंग’ का भी जोडी इवांस ने समर्थन किया था। यह संगठन भी पीपल्स फोरम के साथ काम करता है और सिंघम के नेटवर्क का हिस्सा है।
कौन है चीनी एजेंडा चलाने वाला नेविल रॉय सिंघम
श्रीलंकाई मूल का अमेरिकी नागरिक नेविल रॉय सिंघम अब चीन शंघाई में रहता है। वो इस मामले के केंद्र में है। उसकी बीवी जोडी इवांस कोड पिंक नाम का संगठन चलाती है, वो भी चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सिंघम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के लिए काम करता है और दुनिया भर में चीनी प्रचार को बढ़ाने के लिए करोड़ों डॉलर खर्च कर रहा है। उनकी फंडिंग गैर-लाभकारी संगठनों और शेल कंपनियों के जरिए दी जाती है, ताकि यह छिपा रहे कि पैसा कहाँ से आ रहा है।
सिंघम का नेटवर्क पीपल्स फोरम, एएनएसडब्ल्यूईआर कोएलिशन और ब्रॉन्क्स एंटी-वॉर कोएलिशन जैसे संगठनों तक फैला है। ये सभी संगठन इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में सक्रिय रहे हैं। पीपल्स फोरम को सिंघम ने गोल्डमैन सैक्स फिलैंथ्रॉपी फंड के जरिए 20 मिलियन डॉलर से ज्यादा की फंडिंग दी है। नेटवर्क कॉन्टैजियन रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये संगठन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक आंदोलनों को हाईजैक कर रहे हैं, ताकि एक व्यापक अमेरिका-विरोधी, लोकतंत्र-विरोधी और पूँजीवाद-विरोधी एजेंडा चलाया जा सके।
न्यूजक्लिक फंडिंग के खिलाफ भारत में हो चुकी है कार्रवाई
नेविल रॉय सिंघम ने साल 1993 में थॉटवर्क्स नाम की आईटी कंपनी बनाई, जिसे उसने 2017 में 785 मिलियन डॉलर में बेच दिया। इसके बाद वह तेजी से राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गया और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थक बन गया। वह लीग ऑफ रिवॉल्यूशनरी ब्लैक वर्कर्स जैसे माओवादी संगठनों से भी जुड़ा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की के अनुसार, सिंघम का नेटवर्क दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और भारत जैसे देशों में चीनी प्रचार को बढ़ावा देता है। भारत में न्यूज़क्लिक को दी गई फंडिंग इसका एक उदाहरण है। जिसके खिलाफ भारत सरकार कार्रवाई भी कर रही है।
इजरायली दूतावास के 2 कर्मचारियों की हत्या और इलियास रोड्रिगेज का इसमें नाम आना बेहद खतरनाक बात है। यह घटना न केवल इजरायल और अमेरिका के लिए बल्कि भारत के लिए भी एक चेतावनी है। नेविल रॉय सिंघम जैसे लोग अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल कर वैश्विक स्तर पर चीनी एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं।
उसके फंड किए पीएसएल और पीपल्स फोरम जैसे संगठन इजरायल और भारत जैसे देशों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। यह जरूरी है कि इन संगठनों की फंडिंग और गतिविधियों की न सिर्फ गहरी जाँच हो, बल्कि उन पर बैन भी लगाया जाए, ताकि वो भारत और इजरायल विरोधी कार्रवाईयों को अंजाम न दे सकें।