
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने ‘द वायर’ के पत्रकार उमर राशिद के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया है, जब एक वायरल इंस्टाग्राम पोस्ट में एक महिला ने उन पर गंभीर आरोप लगाए। आरोपों में बलात्कार, यौन शोषण, शारीरिक हमला, मानसिक उत्पीड़न, तथा धार्मिक और सांस्कृतिक अपमान शामिल हैं। आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह कदम उठाया है।
एनएचआरसी ने उमर रशीद के खिलाफ लगाए गए विस्फोटक आरोपों पर एटीआर माँगी
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए 5 जून 2025 तक कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यह कदम इंस्टाग्राम पर वायरल हुए बयान की समीक्षा के बाद उठाया गया, जिसमें पत्रकार उमर राशिद पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आयोग ने इन दावों को ‘गंभीर’ और ‘बेहद परेशान करने वाला’ करार देते हुए मानवाधिकार उल्लंघन की जाँच के लिए अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल किया है।
शिकायतकर्ता ने ‘द वायर’ की मिलीभगत की ओर इशारा किया
एनएचआरसी में दर्ज शिकायत में शिकायतकर्ता ने ‘द वायर’ के संपादकीय तंत्र पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शिकायत में ‘द वायर न्यूज पोर्टल के प्रबंधन’ द्वारा की जा रही आंतरिक जाँच पर अविश्वास जताते हुए कहा गया है कि जाँच निष्पक्ष नहीं है और यह सिर्फ औपचारिकता भर है, जिसका उद्देश्य आरोपितों को बचाना है। साथ ही, शिकायत में हितों के टकराव और संगठन की छवि बचाने के लिए संभावित दबाव और दमन की भी आशंका जताई गई है।
एनएचआरसी ने उमर रशीद पर बलात्कार, यातना और जबरन गोमांस खिलाने के गंभीर आरोपों के संबंध में द वायर से जवाब माँगा
यह मामला ‘द वायर’ की संस्थागत जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। लंबे समय से इस पोर्टल पर प्रतिगामी दृष्टिकोणों को ‘असहमति की राय’ के रूप में पेश करने के आरोप लगते रहे हैं। अब यह संस्थान एक कथित सीरियल यौन अपराधी को बचाने के आरोपों के चलते खुद जाँच के दायरे में है, जिससे उसकी नीयत और जवाबदेही दोनों पर संदेह गहराता है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने ‘द वायर’ पोर्टल के मैनेजमेंट को निम्नलिखित प्रश्न जारी किए हैं।
पुलिस शिकायत के संबंध में:
क्या द वायर न्यूज़ पोर्टल के प्रबंधन ने आरोपित के खिलाफ लगाए गए यौन, शारीरिक और मानसिक शोषण के गंभीर आरोपों के जवाब में औपचारिक पुलिस शिकायत दर्ज की?
अगर कोई शिकायत दर्ज की गई थी, तो वह किस तारीख को दर्ज की गई थी और किस पुलिस स्टेशन में?
शिकायत दर्ज होने के बाद से संबंधित कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने क्या कार्रवाई की है?
क्या अधिकारियों को बलात्कार और गंभीर शारीरिक हमले के गंभीर आरोपों के बारे में विशेष रूप से सूचित किया गया था, जैसा कि पीड़िता ने अपने वायरल सोशल मीडिया पोस्ट में बताया है?
पीओएसएच जाँच के संबंध में:
क्या कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (पीओएसएच अधिनियम) के प्रावधानों के तहत द वायर न्यूज पोर्टल के प्रबंधन द्वारा औपचारिक जाँच शुरू की गई है?
यदि हाँ, तो जाँच की वर्तमान स्थिति क्या है? मामले को संभालने के लिए गठित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के सदस्य कौन हैं?
क्या शिकायतकर्ता/पीड़ित से आईसीसी ने संपर्क किया है, और जाँच के दौरान उसकी सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
इंस्टाग्राम पर आई गवाही से पूरे देश में गुस्सा फैल गया
एक अज्ञात महिला की वायरल इंस्टाग्राम पोस्ट में ‘द वायर’ के पत्रकार उमर राशिद पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें यौन हिंसा, शारीरिक शोषण और मानसिक उत्पीड़न का विस्तृत विवरण शामिल है। महिला ने आरोप लगाया कि राशिद ने दिल्ली के लिब्रल मीडिया जगत में अपनी प्रभावशाली स्थिति का इस्तेमाल कर उसे फंसाया। वह बताती है कि राशिद ने प्रगतिशील राजनीति पर बातचीत और लोधी गार्डन में सैर जैसे प्रतीकात्मक इशारों के ज़रिए उसका विश्वास जीता और दावा किया कि उसने यही रणनीति कई अन्य महिलाओं के साथ भी अपनाई।
उसके अनुसार, भावनात्मक रूप से जुड़ने के बाद रिश्ता हिंसक और अपमानजनक बन गया। उसने आरोप लगाया कि उसे बार-बार बलात्कार, थप्पड़, लात मारने और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, विशेषकर तब जब वह भावनात्मक रूप से कमज़ोर अवस्था में होती थी।
उसने लिखा “जब मैं बीमार थी, तब उसने मेरा बलात्कार किया, जब मैंने उससे ऐसा करने से मना किया। उसने सुरक्षा का उपयोग करने से इनकार कर दिया। मैं क्लीनिक में गई, गर्भपात करवाया, परीक्षण करवाया।”
मानसिक उत्पीड़न और धार्मिक अपमान
पीड़िता ने बहुत भावुक होते हुए अपने साथ हुए अपमान की भी बात की, जिसमें उसके पैरों पर भीख माँगने के लिए मजबूर होना भी शामिल है, जबकि राशिद ने कथित तौर पर उसकी माँ के काल्पनिक यौन शोषण का विस्तृत विवरण दिया है।
उसने आगे आरोप लगाया कि राशिद ने उसे जबरदस्ती गोमाँस खिलाया, जबकि वह उसकी धार्मिक और व्यक्तिगत घृणा से पूरी तरह वाकिफ था। उसने कहा कि ऐसा उसने अपनी कश्मीरी मुस्लिम पहचान को स्थापित करने और उसे एक गैर-मुस्लिम महिला के रूप में अपमानित करने के लिए किया था। पीड़ित के मुताबिक “मैंने इसे उगल दिया, उसने मुझे इसे फिर से खाने को कहा, वह जानता था कि मुझे यह पसंद नहीं है।”