
न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद के उम्मीदवार और फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे जोहर ममदानी को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी सांसदों और भारतीय समुदाय के नेताओं ने मीरा नायर के बेटे ज़ोहरान ममदानी की आलोचना की है। दरअसल उन्होने पीएम मोदी को ‘वॉर क्रिमिनल’ कहा था। 15 मई को ‘न्यू मेयर न्यू मीडिया’ नाम के कार्यक्रम में उन्होने पीएम मोदी की इजरायल के पीएम नेतन्याहू से तुलना की थी।
2002 के गुजरात दंगों के लिए पीएम मोदी को दोषी ठहराते हुए उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुस्लिम समुदाय का सामूहिक नरसंहार इस हद तक करने में मदद किया की कि हम यह भी नहीं मानते कि अब गुजराती मुसलमान बचे हैं। और जब मैं किसी को बताता हूँ कि मैं गुजराती मुसलमान हूँ, तो उन्हें यह जानकर झटका लगता है।”
भारतीय मुस्लिम मूल के ममदानी भारतीय हिंदू नेताओं, खासकर पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होने 2020 में मोदी की पार्टी से जुड़े हिंदुओं को “फाँसीवादी” कहा और मोदी की निंदा न करने के लिए न्यूयॉर्क के अपने सहयोगी नेताओं जेनिफर राजकुमार और केविन थॉमस की आलोचना की। राजकुमार ने ममदानी पर पलटवार करते हुए “चरमपंथी और विभाजनकारी” कहते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी और मतदाताओं से “घृणा को अस्वीकार करने का आग्रह किया, चाहे वह वामपंथी हों या दक्षिणपंथी।”
एक पत्रकार ने ममदानी से हाल ही में पूछा कि अगर वह मेयर बनते हैं और पीएम मोदी न्यूयॉर्क में रैली करते हैं और संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की माँग करते हैं तो क्या वह पीएम मोदी के साथ मंच पर शामिल होंगे। इस पर उन्होने कहा कि वो पीएम मोदी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने गुजरात 2002 के दंगों का हवाला दिया और कहा कि उनका परिवार भारत के गुजरात से आता है और उनका परिवार मुस्लिम है, वह एक मुस्लिम हैं।
इसके बाद उन्होंने दंगों के लिए पीएम मोदी को दोषी ठहराते हुए कहा, “नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुसलमानों के सामूहिक नरसंहार को इस हद तक अंजाम देने में मदद की कि अब हम यह भी नहीं मानते कि गुजराती मुसलमान हैं। और जब मैं किसी को बताता हूं कि मैं गुजराती मुसलमान हूँ, तो उन्हें यह जानकर झटका लगता है कि ऐसा भी हो सकता है। और यह वह व्यक्ति है जिसे हमें उसी तरह से देखना चाहिए जैसे हम बेंजामिन नेतन्याहू को देखते हैं। यह एक युद्ध अपराधी हैं।”
फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे ममदानी का हिंदुओं को निशाना बनाने का इतिहास रहा है। उसने न्यूयॉर्क के 250,000 इंडो-अमेरिकन समुदाय के लोगों के भीतर चिंता पैदा की है। इनमें ज़्यादातर हिंदू हैं। जब अयोध्या में राम मंदिर बनाया जा रहा था, तो उन्होंने 2020 में इसके खिलाफ एक रैली का नेतृत्व किया था। जब वे रैली में बोल रहे थे, तो वहाँ हिंदुओं के खिलाफ़ अपमानजनक टिप्पणियाँ की जा रही थीं। रैली का आयोजन खालिस्तान समर्थकों ने किया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने दंगों में पीएम मोदी को पहले ही क्लीन चिट दे दी है और ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि वे दंगों की साजिश रचने में शामिल थे। उन्होंने गोधरा कांड को भी नजरअंदाज किया और ये नहीं बताया कि दंगे तब भड़के थे जब अयोध्या से लौट रहे 59 हिंदू कारसेवकों को गोधरा में मुस्लिम भीड़ ने जिंदा जला दिया था, इस मामले में कई मुस्लिम गुंडों को दोषी ठहराया गया था।
2011 की जनगणना के अनुसार गुजरात में मुस्लिम आबादी लगभग 10% थी, जो पिछले दशक में बढ़ी होगी। यह दावा करना कि गुजराती मुसलमान नहीं बचे हैं, एक बेतुका बयान है और न्यूयॉर्क में भारतीय उच्चायोग से मिलकर इसका विरोध किया जाना चाहिए।
सिख समुदाय के नेता और मानवाधिकार वकील जसप्रीत सिंह ने ममदानी की आलोचना करते हुए कहा, “हमारे शहर में नफरत के लिए कोई जगह नहीं है। हम सभी के लिए समानता, प्यार और सम्मान में विश्वास करते हैं। हम मानते हैं कि सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं। लेकिन ज़ोहरान ने अपने मंच का इस्तेमाल हिंदू विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा देने के लिए किया है। शब्द मायने रखते हैं और भारतीय समुदाय को एकजुट करने के बजाय, वह हमें धर्म के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। वह मुसलमानों और हिंदुओं को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं। हिंदुओं को फाँसीवाद से जोड़ना और उनके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना बेहद आपत्तिजनक है।”
उन्होंने ममदानी पर हिंदू समुदाय को ‘अमानवीय’ कहने का आरोप लगाया और सवाल किया कि क्या वह न्यूयॉर्क सिटी की सेवा करने के योग्य हैं?