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‘कावेरी’ इंजन की रूस में हो रही टेस्टिंग, UCAV एयरक्राफ्ट में लगेगा: सोशल मीडिया में फंड कैम्पेन के बाद आई नई जानकारी, रिपोर्ट में बताया- तेजस-AMCA में भी इंटीग्रेट करने का प्लान

सोशल मीडिया में वर्तमान में Fund Kaveri Engine (फंड कावेरी इंजन) का ट्रेंड चल रहा है। नेटीजेंस की माँग है कि भारत के स्वदेशी फाइटर इंजन प्रोग्राम कावेरी को और भी फंड स मुहैया करवाए जाएँ। इस बीच इसको लेकर एक सकारात्मक खबर सामने आई है।

ANI की एक खबर के अनुसार, कावेरी इंजन की वर्तमान में रूस में टेस्टिंग चल रही है। यह टेस्टिंग DRDO कर रहा है। अभी कावेरी इंजन को 25 घंटे और टेस्ट किया जाना है। इसके बाद यह भारत के स्टेल्थ अटैक ड्रोन UCAV में इंटीग्रेट किया जाएगा। UCAV को भारत में बनाया जा रहा है और इसके भी जल्द अंतिम रूप लेने की संभावना है।

रिपोर्ट बताती है कि कावेरी इंजन की टेस्टिंग के लिए रूस की एजेंसियों ने स्लॉट भी मुहैया करवा दिए हैं। यह टेस्टिंग रूस की राजधानी मॉस्को के निकट एक टेस्ट फैसिलिटी में हो रही है। यहाँ इस कावेरी इंजन को एक IL-76 कार्गो एयरक्राफ्ट पर लगाया जाता है और अलग-अलग पैमानों पर जाँच की जाती है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि DRDO इसे आगे UCAV के अलावा भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट LCA तेजस में भी इंटीग्रेट करने की योजना पर काम कर रहा है। DRDO इसी के साथ इसे भारत के पाँचवी पीढ़ी के एयरक्राफ्ट AMCA में भी इंटीग्रेट करने पर विचार कर रहा है।

रूस में टेस्टिंग का कारण भारत के पास इससे जुड़ा इन्फ्रा नहीं होना है। कावेरी या ऐसा कोई भी इंजन बड़े कार्गो विमानों पर टेस्ट किया जाता है। इन्हें ‘टेस्टबेड’ कहा जाता है। भारत के पास कोई ऐसा टेस्टबेड नहीं है। इसके चलते कावेरी इंजन की टेस्टिंग भारत में नहीं हो पाती।

फंड कावेरी इंजन अभियान चलाने वालों की माँग है कि भारत ऐसा ही एक टेस्टबेड तैयार करे। इसके अलावा जिन भी टेस्टिंग सुविधाओं के लिए भारत को विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है, उन्हें भी भारत में विकसित किया जाए। यदि यह इंजन पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो भारत को विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

क्या है कावेरी इंजन?

‘कावेरी’ उस इंजन प्रोग्राम का नाम है, जिसे डिफेन्स रिसर्च एंड डेवेलपमेंट आर्गेनाईजेशन (DRDO) भारत के लिए विकसित कर रहा है। DRDO की GTRE लैब इसे बना रही है। योजना है कि यह कावेरी इंजन आने वाले समय में हमारे स्वदेशी लड़ाकू विमानों में लगाया जाएगा।

इस पर लम्बे समय से काम चल रहा है। कुछ तकनीकी सीमाओं और कभी कभार फंडिंग की कमी के चलते यह प्रोजेक्ट लटका हुआ है। सबसे पहले कल्पना की गई थी कि कावेरी इंजन को भारत के अपने लड़ाकू विमान LCA तेजस में लगाया जाएगा।

कावेरी इंजन के समय पर तैयार ना हो पाने और इसका प्रदर्शन आशानुरूप ना होने के चलते इसे LCA तेजस प्रोग्राम से अलग कर दिया गया था। इसके LCA तेजस में अमेरिकी कम्पनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के बने F404 इंजन लगाए गए हैं।

भारत अब बड़ी संख्या में तेजस विमान बना रहा है लेकिन अमेरिकी कम्पनी GE इंजन की डिलीवरी में देरी कर रही है। इसके चलते नए तेजस मार्क-1A विमानों का निर्माण धीमी गति से हो रहा है। इसका सीधा प्रभाव भारत की एयरफ़ोर्स पर पड़ रहा है, जो विमानों की कमी से जूझ रही है।

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