
कर्नाटक के कोप्पल में भगवान हनुमान के जन्मस्थान माने जाने वाले श्री अंजनेय मंदिर का विवाद अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है। कॉन्ग्रेस सरकार ने मंदिर के मुख्य पुजारी विद्यादास बाबाजी को हटाकर मंदिर पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हालाँकि कॉन्ग्रेस सरकार की मंशा पर पानी फिर गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उसके इस फैसले पर रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि विद्यादास बाबाजी मंदिर में पूजा-पाठ करते रहेंगे और उन्हें मंदिर परिसर में एक कमरे में रहने की सुविधा दी जाएगी। यह फैसला मार्च 2025 के घटनाक्रम के बाद आया, जब सरकार ने पुजारी को हटाने की कोशिश तेज कर दी थी।
बजरंग बली के जन्मस्थान पर कब्जे की कोशिश
तुंगभद्रा नदी के तट पर अंजनेय पहाड़ी पर स्थित श्री अंजनेय मंदिर को बजरंग बली का जन्मस्थान माना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बेहद पवित्र है। विद्यादास बाबाजी इस मंदिर के मुख्य पुजारी हैं और उनका रामानंदी समुदाय पिछले 120 साल से मंदिर में पूजा-पाठ करता आ रहा है। लेकिन 2018 में कर्नाटक सरकार ने कथित तौर पर गैरकानूनी तरीके से मंदिर का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया। जिला कलेक्टर ने कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 की धारा 23 के तहत मंदिर को अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया। इसके बाद विद्यादास को हटाने की कोशिश शुरू हुई।
विद्यादास ने इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की। 14 फरवरी 2023 को हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया कि विद्यादास को मंदिर में पूजा करने से नहीं रोका जाए और उनके खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया जाए। लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार ने इस आदेश की अनदेखी की। मार्च 2025 में कोप्पल के डिप्टी कमिश्नर और असिस्टेंट कमिश्नर ने चुनाव आयुक्त के साथ मंदिर पहुँचकर विद्यादास को पूजा करने से रोका और एक नए पुजारी को नियुक्त करने की कोशिश की। याचिका के मुताबिक, अधिकारियों ने विद्यादास को धमकाया और अपमानित किया।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
विद्यादास के वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि कॉन्ग्रेस सरकार हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्य पुजारी विद्यादास को न सिर्फ पूजा करने से रोका गया, बल्कि उनके निवास की बिजली काट दी गई और उन्हें मंदिर से हटाने के लिए साजिश रची गई। याचिका में यह भी आरोप है कि कुछ कर्मचारियों ने विद्यादास को ‘गाँजा’ (कैनबिस/ड्रग्स) केस में फँसाने की कोशिश की।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने कहा, “कर्नाटक सरकार हाई कोर्ट के 14 फरवरी 2023 के आदेश का पालन करे। विद्यादास को मंदिर में पुजारी के तौर पर काम करने और एक कमरे में रहने की इजाजत दी जाए। अगर इस आदेश का पालन नहीं हुआ, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।” कोर्ट ने सरकार को नोटिस भी जारी किया।
कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार पर उठ रहे गंभीर सवाल
ये पूरा मामला कॉन्ग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है। हिंदू समुदाय का मानना है कि यह मंदिर उनकी आस्था का केंद्र है और सरकार का इसे अपने कब्जे में लेना धार्मिक परंपराओं के साथ खिलवाड़ है। विद्यादास ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की थी, लेकिन 9 अप्रैल 2025 को हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हिंदू समुदाय के लिए राहत भरा है। हालाँकि कोर्ट का अंतिम फैसला बाकी है। फिलहाल विद्यादास बाबाजी मंदिर में पूजा-पाठ जारी रख सकते हैं।