रिपोर्टर बने

कर्नाटक के जिस लक्कुंडी में मिले थे वीरभद्रेश्वर मंदिर के निशान, वहाँ 20 साल बाद ASI ने फिर शुरू की खुदाई: होयसल राजवंश का खुलेगा इतिहास

कर्नाटक के लक्कुंडी में दूसरी बार खुदाई शुरू हुई है। 20 साल पहले यहाँ एक बार खुदाई की गई थी। इस बार कोटे वीरभद्रेश्वर मंदिर की वस्तुएँ, सिक्के और शिलालेख को जमा करने के लिए पर्याप्त जगह बनाई गई है। सेवानिवृत वैज्ञानिक केशव और एएसआई की टीम साथ में काम कर रही है।

इतिहासकार खुदाई में निकलनेवाली कलाकृतियों को लेकर काफी उत्साहित है। इससे पहले लक्कुंडी में खुदाई के काम के लिए 10 टीमें लगाई गई थी। इनलोगों ने 5 कुएँ, 6 शिलालेख और 600 नक्काशी की गई ऐतिहासिक पत्थर को निकाला था।

इस बार एएसआई अधिकारियों ने एक खुला संग्रहालय बनाया है जहाँ खुदाई में मिलनेवाली वस्तुओं को एकत्रित किया जाएगा। लक्कुंडी हेरिटेज डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक राष्ट्रकूट, कल्याणी, चालुक्य और होयसल काल के सिक्के, कुछ और कुएँ, मंदिर और दूसरी वस्तुएँ खुदाई में यहाँ मिलने की उम्मीद हैं।

दक्षिण के साम्राज्य की समृद्ध कला

राष्ट्रकूट राजवंश और होयसल राजवंश के साक्ष्य उनकी कला, वास्तुकला, अभिलेख और साहित्यिक स्रोतों से मिलते हैं।

राष्ट्रकूट सामाज्य ने 8वीं से 10 वीं शताब्दी तक दक्कन के क्षेत्र में फैला सबसे अहम साम्राज्यों में एक था। दन्तिदुर्ग ने इस साम्राज्य की स्थापना की थी। इस साम्राज्य में करीब साढ़े सात लाख गाँव शामिल था। राष्ट्रकूटों ने दक्कन की स्थापत्य कला में जबरदस्त योगदान दिया।

एलोरा की गुफाएँ राष्ट्रकूट राजाओं ने बनवाई

राष्ट्रकूट साम्राज्य की वास्तुकला में एलोरा की गुफाएँ, खासकर कैलाशनाथ मंदिर महत्वपूर्ण हैं, ये मंदिर चट्टान को काटकर बनाए गए हैं। मंदिरों की दीवारों पर शिव-पार्वती और दूसरे देवी-देवताओं की कथाओं की शानदार मूर्तियाँ बनाई गई है। इनलोगों ने हाथी के शानदार रॉक कट गुफा का निर्माण करवाया।

वहीं होयसल ने हलेबिड का होयसलेश्वर मंदिर और बेलूर का चेन्नाकेशव मंदिर समेत कई मंदिरों का निर्माण कराया। इनकी नक्काशी और मूर्तियाँ समृद्ध कला को दर्शाती हैं। मंदिरों के शिलालेख होयसल शासकों के बारे में जानकारी देती हैं। UNESCO ने बेलूर, हेलबिदु और सोमनाथपुरा के मंदिर को विश्व धरोहर माना है।

होयसल साम्राज्य के अवशेष खास कर मंदिर और शिलालेख उनके शासनकाल में कला और संस्कृति की संपन्नता को दर्शाता है।

10वीं से 14वीं शताब्दी तक दक्कन क्षेत्र में होयसल राजवंश का शासन था। इनलोगों ने 317 वर्ष तक शासन किया। मूल रूप से कर्नाटक और कावेरी नदी के उपजाऊ क्षेत्र वाले तमिलनाडू में इसका शासन था। नृप काम द्वितीय 1026 ई. में होयसल राज की नींव रखी। विंष्णुवर्धन जैसे कई प्रभावशाली राजा हुए जिनके कार्यकाल में वैष्णव संप्रदाय यहाँ फला-फूला।

  • Related Posts

    US में भगवान मुरुगन के मंदिर के विरोध में उतरे ईसाई कट्टरपंथी, रिपब्लिकन नेता बोला- ‘ईसाई राष्ट्र’ में कैसे बन रही मूर्ति?: जानें सोशल मीडिया पर कैसे चलाया जा रहा हिंदूफोबिया?

    टेक्सास में हनुमान प्रतिमा और गणेश चतुर्थी समारोह के विरोध के बाद अब अमेरिका के केरोलिना में बन रही मुरुगन मंदिर ‘हिन्दु घृणा’ का केन्द्र बन गया है। अमेरिका के…

    गुजारत में बेमौसम बारिश से नष्ट हुईं किसानों की फसलें, AAP ने शुरू की राजनीति: व्यापारियों की ‘ऋण माफी’ के नाम पर फैला रही झूठ: वोट के लिए ‘किसान हितैषी’ होने का ढोंग

    कवि दुष्यंत कुमार की प्रसिद्ध पंक्तियाँ हैं, “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए” गुजरात की राजनीति में कदम रखने की चाहत रखने…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com