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पूरी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ी मुस्लिम आबादी, भारत समेत हिन्दुओं का जनसंख्या में कई देशों में घट रहा हिस्सा: Pew रिपोर्ट ने बताया- 10 साल में बढ़े 34 करोड़ मुस्लिम

इस्लाम विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला मजहब बन गया है। इस्लाम अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मजहबी समूह है। यह जानकारी एक हाल ही में आई रिपोर्ट ने दी है। इसमें यह भी बताया गया है कि जहाँ मुस्लिमों की संख्या बढ़ी है, तो वहीं हिन्दुओं की आबादी लगातार घट रही है।

सोमवार (9 जून 2025) को जारी प्यू रिसर्च सेंटर की ‘वैश्विक धार्मिक परिदृश्य अध्ययन’ रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2010 से वर्ष 2020 के बीच मुस्लिम आबादी में 34.7 करोड़ (347 मिलियन) की वृद्धि दर्ज की गई, जो सभी अन्य धर्मों की संयुक्त जनसंख्या वृद्धि से अधिक है।

इन दस सालों में जहाँ मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी, वहीं हिंदुओं सहित अन्य प्रमुख धर्मों की आबादी में गिरावट देखी गई। यह अध्ययन वैश्विक स्तर पर धार्मिक जनसांख्यिकी में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाता है।

इमेज सोर्स – प्यू रिसर्च सेंटर

पिछले 10 वर्षों में दुनिया भर में मुस्लिमों की आबादी 21% बढ़ी है, जो 1.7 अरब से बढ़कर 2 अरब हो गई। यह बढ़ोतरी बाकी दुनिया की आबादी की तुलना में दोगुनी तेज़ है, क्योंकि कुल वैश्विक आबादी इस दौरान सिर्फ 10% बढ़ी। इसी वजह से मुस्लिमों का दुनिया की आबादी में हिस्सा 24% से बढ़कर 26% हो गया है।

इमेज: प्यू रिसर्च सेंटर

अध्ययन के अनुसार, ईसाई और मुस्लिमों के बाद तीसरे नंबर पर वे लोग हैं जो किसी धर्म से नहीं जुड़े हैं। हिंदू चौथे स्थान पर हैं, जिनकी हिस्सेदारी वैश्विक आबादी में 15% है।

दुनिया के हर हिस्से में बढ़े मुस्लिम

इस शोध के अनुसार, दुनिया के सभी हिस्सों में मुस्लिम आबादी बढ़ी है, लेकिन हर जगह बढ़ोतरी का स्तर अलग रहा। 2020 तक सबसे ज्यादा बढ़ोतरी उत्तरी अमेरिका में हुई, जहाँ मुस्लिम आबादी 52% बढ़ी। इसके बाद सब अफ्रीका के सहारा क्षेत्र का नंबर आता है, जहाँ मुस्लिम आबादी 34% बढ़कर 2020 में 36.9 करोड़ (369 मिलियन) हो गई। इस क्षेत्र की कुल आबादी में मुस्लिमों की हिस्सेदारी अब 33% है।

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दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है, लेकिन लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में यह वृद्धि बाकी क्षेत्रों की तुलना में कम रही। वहाँ मुस्लिम आबादी 6% बढ़ी, जबकि गैर-मुस्लिम आबादी 10% बढ़ी।

एशिया प्रशांत क्षेत्र में मुस्लिमों की कुल हिस्सेदारी 2020 में 1.4% बढ़कर 26% हो गई, लेकिन दुनिया में मुस्लिम आबादी की कुल हिस्सेदारी में इस क्षेत्र की भागीदारी 61% से घटकर 59% रह गई। प्यू की रिपोर्ट बताती है कि 2010 के बाद से अफ्रीका के मुस्लिम इलाकों में मुस्लिमों की संख्या बढ़ने लगी है।

अब दुनिया के 18% मुस्लिम इस क्षेत्र में रहते हैं, जो पहले से 2% ज्यादा है।

दुनिया के एक तिहाई मुस्लिम भारत-पाकिस्तान और इंडोनेशिया में

अध्ययन के अनुसार, दुनिया के एक तिहाई मुस्लिम सिर्फ भारत, पाकिस्तान और इंडोनेशिया में रहते हैं। 2020 में भारत में करीब 213 मिलियन (21.3 करोड़) मुस्लिम थे, जो देश की कुल आबादी का 15% हैं। इंडोनेशिया में मुस्लिमों की संख्या भारत से थोड़ी ज्यादा, करीब 240 मिलियन (24 करोड़) थी, जो दुनिया के कुल मुस्लिमों का 12% है।

दुनिया के लगभग 65% मुस्लिम केवल 10 देशों में रहते हैं। इन देशों में कुल 1.3 अरब मुस्लिम हैं। इन 10 में से 9 देशों में इस्लाम बहुसंख्यक धर्म है, सिर्फ भारत एक ऐसा देश है जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं।

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5 देश जहाँ मुस्लिम आबादी में बड़ा बदलाव आया

कजाकिस्तान, बेनिन, लेबनान, ओमान और तंजानिया जैसे पाँच देशों में मुस्लिम आबादी में बड़े बदलाव देखे गए हैं। इनमें से तीन देशों कजाकिस्तान, बेनिन और लेबनान में मुस्लिमों की संख्या बढ़ी है। कजाकिस्तान में 8.2%, बेनिन में 7.9% और लेबनान में 5.5% की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, ओमान और तंजानिया में मुस्लिम आबादी घट गई है। ओमान में 8.3% और तंजानिया में 5.5% की कमी दर्ज की गई है।

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इन पाँच देशों (कजाकिस्तान, बेनिन, लेबनान, ओमान और तंजानिया) में मुस्लिम आबादी में जो बदलाव हुए, उसका मुख्य कारण पलायन है। कुछ देशों में गैर-मुस्लिम लोग बाहर चले गए, जिससे मुस्लिम आबादी का प्रतिशत बढ़ा, जबकि कुछ जगहों पर मुस्लिम शरणार्थियों के आने से उनकी संख्या बढ़ी।

यूरोप के कई देशों में भी मुस्लिम आबादी बढ़ी है, इसका कारण आप्रवासन (immigration) और मुस्लिमों की औसत से अधिक जन्म दर है। हालाँकि, इन देशों में मुस्लिम आबादी की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी 5% से कम रही।

दूसरी ओर ईसाई अब भी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं, लेकिन पिछले दस सालों में उनकी जनसंख्या में केवल 12 करोड़ (122 मिलियन) की बढ़त हुई और उनकी वैश्विक हिस्सेदारी घटकर 28.8% रह गई, जो पहले से 1.8% कम है।

पूरी दुनिया में घट रहे हिन्दू

प्यू के रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण एशिया के चार देशों भारत, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदू आबादी में थोड़ी गिरावट दिखी, लेकिन यह गिरावट 5% से कम है। किसी भी देश या इलाके में हिंदुओं की हिस्सेदारी में कोई बड़ी बढ़ोतरी या कमी नहीं हुई है।

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ईसाई, मुस्लिम और धर्म ना मानने वालों के बाद हिंदू दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं। 2010 से 2020 के बीच हिंदू आबादी में 12% की वृद्धि हुई है, जो करीब 11 करोड़ से बढ़कर 12 करोड़ के करीब पहुँच गई है, लेकिन इस दौरान हिंदुओं का विश्व जनसंख्या में हिस्सा थोड़ा घटकर 15.0% से 14.9% हो गया। इसके पीछे की वजह रही कि गैर हिंदुओं की वृद्धि दर भी लगभग बराबर रही, इसलिए हिंदुओं का वैश्विक हिस्सेदारी लगभग स्थिर ही रही।

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दुनिया के लगभग 99% हिंदू एशिया प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं। भारत, नेपाल और मॉरीशस में वे सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं।

शोध के अनुसार, पिछले 10 सालों में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में हिंदू आबादी में 62% तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जो अब करीब 32 लाख (3.2 मिलियन) है। इसी दौरान उत्तरी अमेरिका में भी हिंदू आबादी 55% बढ़कर 36 लाख (3.6 मिलियन) तक पहुँच गई है। ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से आर्थिक अवसरों के कारण हुई है, जिससे हिंदू लोग संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूरोप और अन्य जगहों पर प्रवास कर रहे हैं।

2010 से 2020 के बीच हिंदुओं की भौगोलिक स्थिति में थोड़ा बदलाव आया है। एशिया पेसिफिक में हिंदू आबादी में 0.2% की थोड़ी कमी हुई, जबकि उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व उत्तरी अफ्रीका में हिंदुओं की संख्या में 0.1% की बढ़ोतरी हुई है।

1950-2015 के बीच 43% बढ़ी मुस्लिम आबादी

पूरी दुनिया की तरह भारत में भी तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ी है। मई 2024 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 1950 से 2015 के बीच मुस्लिमों की आबादी 43.15% बढ़ी, जबकि हिंदुओं की आबादी में 7.85% की कमी आई। इसी दौरान ईसाइयों और सिखों की आबादी में भी क्रमशः 5.38% और 6.58% की गिरावट हुई।

इस अवधि में भारत की कुल आबादी में हिंदुओं का हिस्सा 84% से घटकर 78% हो गया, जबकि मुस्लिमों की हिस्सेदारी 9.84% से बढ़कर 14.09% हो गई है। भारत के पड़ोसी देशों में जहाँ मुस्लिम या उनके संप्रदाय की आबादी 50% से ज्यादा है, वहाँ मुस्लिम समुदाय की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

बांग्लादेश में सबसे ज्यादा 18.5% की वृद्धि हुई, इसके बाद पाकिस्तान में 3.75% और अफगानिस्तान में 0.29% की बढ़ोतरी हुई है। मई 2022 में जारी पाँचवीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में मुस्लिमों महिलाओं का टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) सबसे ज्यादा है। फर्टिलिटी रेट किसी 15-49 वर्ष की महिला द्वारा जन्म दिए गए बच्चों की संख्या है।

यदि किसी समूह की महिलाओं का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.1 से अधिक है तो उसकी आबादी बढती है। यदि यह कम होता तो आबादी में कमी आती है। NFHS सर्वे बताता है हिन्दुओं में TFR पिछले कुछ वर्षों में घटकर 3.4 से 2.0 बच्चों तक आ गया है। (1992-93 से 2019-21 के बीच)। लेकिन मुस्लिम समुदाय में प्रति महिला औसत यह TFR 2.36 हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 15 से 19 साल की उम्र की मुस्लिम महिलाओं में किशोरावस्था में गर्भधारण ज्यादा होता है, यह प्रतिशत 8% है, जो अन्य धर्मों की महिलाओं से ज्यादा है। जब दूसरी संतान की बात आती है, तो मुस्लिमों में सबसे कम महिलाएँ ऐसी हैं जो दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं। 15 से 49 साल की उम्र की विवाहित महिलाओं में, 72% सिख और 71% हिंदू महिलाएँ आगे बच्चे नहीं चाहतीं, जबकि मुस्लिम महिलाओं में यह संख्या 64% है।

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