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ब्रिटिश काल में ऑक्सफोर्ड संग्रहालय ले जाए गए 200 से अधिक पूर्वजों के अवशेषों की वापसी के लिए नागा पहुँचे ब्रिटेन, म्यूजियम की निदेशक ने अतीत की गलतियों को किया स्वीकार

नागा जनजाति समुदाय के वरिष्ठ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों यूनाइटेड किंगडम (UK) की यात्रा पर है। यह प्रतिनिधिमंडल ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में ले जाए गए नागा पूर्वजों के मानव अवशेषों की वापसी की माँग कर रहा है।

प्रतिनिधिमंडल में नागा जनजातीय निकायों, फोरम फॉर नागा रिकॉन्सिलिएशन (FNR) और रिकवर, रिस्टोर एंड डीकोलोनाइज (RRaD) टीम के सदस्य शामिल हैं। बताया गया है कि ब्रिटिश शासन के दौरान नागा जनजातियों के 200 से अधिक मानव अवशेषों को ईक्ठा कर के यूनाइटेड किंगडम ले जाया गया।

इन अवशेषों में से काफी सारे अवशेषों को 2020 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पिट रिवर म्यूजियम (PRM) में प्रदर्शित किया गया था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में शनिवार (14 जून 2025) को नागा प्रतिनिधिमंडल ने एक घोषणा की।

इसमें कहा गया कि यह वापसी प्रक्रिया नागा लोगों के लिए उपचार और आत्म-सम्मान की दिशा में एक जरूरी कदम है। उन्होंने कहा, “हमें खेद है कि इसमें कई दशक लग गए, लेकिन अब हम अपने पूर्वजों को उनकी मातृभूमि में सम्मानपूर्वक लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

प्रतिनिधिमंडल ने संग्रहालय से अपील की कि वे इस प्रक्रिया में सहयोग करें और इन अवशेषों को सम्मानजनक विश्राम स्थल तक पहुँचाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम नागा जनजातियों की एकता और सभी पीढ़ियों के लिए शांति का प्रतीक बनेगा।

नागालैंड ट्रिब्यून

पिट रिवर म्यूजियम की निदेशक प्रोफेसर डॉ. लॉरा वैन ब्रोकहोवेन ने नागा प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और कहा कि यह प्रक्रिया अतीत की गलतियों को स्वीकार करने और भविष्य में सुलह की दिशा का एक अवसर है।

RRaD के समन्वयक और FNR के सदस्य रेवरेंड डॉ. एलेन कन्याक जमीर ने कहा, “यह यात्रा हमारे पूर्वजों की वापसी की एक पवित्र शुरुआत है। हमें PRM के नैतिक रुख की सराहना है और हमें आशा है कि यह प्रक्रिया हमारे समुदायों को संतोष देगी।”

पिट रिवर म्यूजियम, जो विश्व के प्रमुख नृवंशविज्ञान संग्रहालयों में से एक है, उन्होंने हाल ही  के वर्षों में औपनिवेशिक काल के मानव अवशेषों को हटाना शुरू कर दिया है। 2020 में मिस्र की ममियों और सिकुड़े हुए मानव सिर को प्रदर्शनी से हटाया गया था। नागा प्रतिनिधिमंडल की यह पहल वैश्विक स्वदेशी अधिकार आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें जनजाति समुदाय अपने पूर्वजों और सांस्कृतिक विरासत की वापसी की माँग कर रहे हैं।

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