बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों के दावे और हकीकत के बीच का फर्क साफ दिखने लगा है। हर पार्टी साफ-सुथरी सरकार, लॉ एंड ऑर्डर और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का वादा कर रही है, लेकिन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट इन दावों पर पानी फेर रही है।
रिपोर्ट बताती है कि चुनाव लड़ रहे कुल 1303 उम्मीदवारों में से 32 फीसदी पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाली पार्टियाँ हैं- राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कम्युनिस्ट पार्टियाँ (CPI, CPI-M, CPI-ML) और कॉन्ग्रेस। वहीं, जनता दल यूनाइटेड (JDU) इस लिस्ट में सबसे नीचे है, जो दिखाता है कि एनडीए और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों से दूर रहने की कोशिश कर रही है। भाजपा भी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है।
इस रिपोर्ट ने विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर दिया है, खासकर RJD को जहाँ लालू परिवार के करीबियों पर भारी-भरकम केस हैं। आइए इस रिपोर्ट को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि कैसे राजनीति में दागियों का बोलबाला है।
बिहार विधानसभा चुनाव में हर तीसरा उम्मीदवार दागी
ADR और बिहार इलेक्शन वॉच ने बिहार चुनाव के पहले फेज के 121 विधानसभा सीटों पर लड़ रहे 1,314 उम्मीदवारों के एफिडेविट्स का विश्लेषण किया। ये एफिडेविट चुनाव आयोग में जमा किए गए हैं, जहाँ उम्मीदवारों को अपनी संपत्ति, शिक्षा और क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी देनी पड़ती है। लेकिन 11 उम्मीदवारों के एफिडेविट स्पष्ट नहीं थे, इसलिए विश्लेषण 1,303 उम्मीदवारों पर आधारित है।
रिपोर्ट की सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 423 उम्मीदवारों (32%) ने खुद कबूला है कि उनके ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें से 354 (27%) पर तो गंभीर अपराधों के केस हैं, जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार के।
आँकड़ों के मुताबिक…
हत्या से जुड़े केस: 33 उम्मीदवारों पर IPC की धारा 302-303 और BNS की धारा 103(1) के तहत केस।
हत्या का प्रयास: 86 उम्मीदवारों पर IPC 307 और BNS 109 के केस।
महिलाओं पर अत्याचार: 42 उम्मीदवारों पर ऐसे केस, जिसमें 2 पर रेप (IPC 376) के आरोप।
इसके अलावा कई पर भ्रष्टाचार, चुनावी अपराध, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और हत्या-बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के केस हैं।
ये आँकड़े बताते हैं कि बिहार की राजनीति में अपराधीकरण कितना गहरा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद, जहाँ पार्टियों को दागी उम्मीदवारों को टिकट देने पर सफाई देनी पड़ती है, पार्टियाँ बेझिझक ऐसे लोगों को मैदान में उतार रही हैं। रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि चुनाव आयोग ने पार्टियों को वेबसाइट पर दागी उम्मीदवारों की जानकारी डालने का आदेश दिया है, लेकिन कई पार्टियाँ इसका पालन नहीं कर रही हैं।
पार्टियों के हिसाब से दागी उम्मीदवारों की जानकारी
पार्टियों के हिसाब से बात करें तो RJD, कॉन्ग्रेस और लेफ्ट पार्टियों वाला विपक्षी गठबंधन दागी उम्मीदवारों को टिकट देने में सबसे आगे है। वहीं, NDA की पार्टियों (BJP और JDU) ने अपेक्षाकृत कम दागी उम्मीदवार उतारे हैं।
CPI(ML)(L): 14 उम्मीदवारों में से 13 (93%) पर क्रिमिनल केस। इनमें से 9 (64%) पर गंभीर केस। ये वामपंथी पार्टी हमेशा गरीबों और मजदूरों की बात करती है, लेकिन उसके उम्मीदवारों पर हत्या, दंगा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने के केस भरे पड़े हैं।CPI(M): सीपीआई-एम के 3 में से 3 (100%) उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस और सभी पर गंभीर केस। पहले चरण में सीपीआई-एम ने सिर्फ 3 उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन 100% रेट के साथ सभी दागी हैं।CPI: सीपीआई के 5 में से 5 (100%) पर क्रिमिनल केस और 4 (80%) पर गंभीर केस।
पार्टी वाइज दागी प्रत्याशियों की संख्या
RJD: 70 उम्मीदवारों में से 53 (76%) पर क्रिमिनल केस हैं। उनमें भी 42 (60%) पर गंभीर केस हैं। RJD सबसे ज्यादा दागी टिकट देने वाली पार्टी है। खुद चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की पार्टी को अब भी दागी नेताओं पर भरोसा है।कॉन्ग्रेस: पार्टी के कुल 23 उम्मीदवारों में से 15 (65%) पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इन 15 में से भी 12 (52%) पर गंभीर केस दर्ज हैं।जन सुराज पार्टी: प्रशांत किशोर की नई पार्टी तो ‘सुराज’ का वादा करती है। लेकिन 114 उम्मीदवारों में से 50 (44%) पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। उनमें भी 49 (43%) पर गंभीर केस दर्ज हैं। ये पार्टी भले ही नई है, लेकिन उम्मीदवार पुराने दागी हैं। इसे नई बोतल में पुरानी शराब भी कह सकते हैं।LJP (राम विलास): चिराग पासवान की पार्टी भी दागी लिस्ट में है। चिरागी पार्टी के 13 में से 7 (54%) उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं, जिसमें से (38%) पर गंभीर केस हैं।AAP: अरविंद केजरीवाल की पार्टी बिहार में नई है, लेकिन उसके उम्मीदवारों में भी दागी शामिल हैं। आप के 44 में से 12 (27%) उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस हैं, जिसमें से 9 (20%) पर गंभीर केस हैं।
BSP: बहुजन समाज पार्टी ने पहले चरण में 89 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जिसमें से 18 (20%) पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इन 16 (18%) पर गंभीर केस हैं।BJP: बीजेपी के 48 में से 31 (65%) पर क्रिमिनल केस हैं, जिसमें 27 (56%) पर गंभीर केस हैं। बीजेपी एनडीए की मुख्य पार्टी है, हालाँकि दागी उम्मीदवारों के मामले में वो मुख्य विपक्षी पार्टियों से पीछे नजर आती है।JDU: जदयू के 57 में से सिर्फ 22 (39%) उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस हैंष इनमें से 15 (26%) पर गंभीर केस दर्ज हैं। आँकड़ों को देखेंगे तो दागियों के मामले में इंडी गठबंधन की पार्टियों की तुलना में नीतीश कुमार की पार्टी इस लिस्ट में सबसे पीछे है। ये आँकड़े बताते हैं कि JDU अपराधी छवि वालों से दूर रहने की नीति पर चल रही है।
पार्टी के हिसाब से कितने प्रतिशत उम्मीदवारों पर केस, कितने केस गंभीर (फोटो साभार: ADR)
RJD के प्रमुख दागी नेताओं में लालू परिवार और उनके करीबी शामिल
RJD पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उसके 76% उम्मीदवार दागी हैं। लालू प्रसाद यादव खुद चारा घोटाले में सजा काट चुके हैं और उनकी पार्टी अब भी ऐसे लोगों को टिकट दे रही है।
तेजस्वी यादव (रघोपुर से): RJD के स्टार कैंडिडेट और पूर्व डिप्टी CM तेजस्वी यादव के ऊपर IRCTC घोटाले में CBI जाँच चल रही है। इसके अलावा चुनावी हिंसा और संपत्ति से जुड़े कई केस दर्ज हैं। तेजस्वी हमेशा दावे करते हैं कि ये राजनीतिक साजिश है, लेकिन कोर्ट से लेकर तमाम चार्जशीट जो दाखिल हैं, उनमें कहीं बेगुनाही की बात नहीं कही गई है। एडीआर द्वारा जारी आँकड़ों में वही जानकारियाँ हैं, जो उन्होंने अपने शपथ पत्र में दी हैं। तेजस्वी यादव पर कुच 22 केस दर्ज हैं, इसमें आईपीसी के तहत 13 और बीएनएस की तहत 4 धाराओं में केस दर्ज हैं। गंभीर मामलों की संख्या 17 है।
तेजस्वी यादव के ऊपर दर्ज केस, एफिडेविट के आधार पर (स्रोत-ADR)
रवींद्र प्रसाद यादव (महनार से): वैशाली की महनार विधानसभा सीट से उतरे RJD के वरिष्ठ नेता रवींद्र प्रसाद यादव पर 26 धाराओं में केस हैं। उनके ऊपर हत्या का प्रयास (IPC 307) से लेकर महिला विरोधी अपराध तक के केस हैं।
रिपोर्ट कहती है कि RJD के 60% उम्मीदवारों पर गंभीर केस हैं, जो हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार से जुड़े हैं। पार्टी के मुखिया लालू हमेशा कहते हैं कि ये केंद्र की साजिश है, लेकिन वोटर अब सोच रहे हैं कि क्या RJD सच में बदलाव ला सकती है? क्योंकि जब ये सरकार यानी एनडीए की सरकार नहीं थी, तब भी तो लालू यादव के खिलाफ केस चल रहे थे।
अब मतदाताओं के पाले में गेंद, जंगलराज या सुशासन: 6 नवंबर को बटन से फैसला
ये रिपोर्ट बिहार चुनाव को नई दिशा दे सकती है। विपक्ष दागी उम्मीदवारों से भरा है, जबकि NDA कम दागी टिकट देकर विश्वास जीत सकता है। बहरहाल, ये तो अब बिहार के मतदाताओं को सोचना है कि क्या दागी नेता उनके जीवन में बदलाव ला पाएँगे या फिर उन्हें चाहिए साफ-सुथरी इमेज वाली सरकार। अब 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होना है, जिसमें बिहार के मतदाता अपनी पसंद-नापसंद ईवीएम के जरिए चुन ही लेंगे। और फिर नतीजे 14 नवंबर 2025 को सामने आ जाएँगे कि बिहार के लोगों ने क्या चुना।







