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मेरा नाम अजीत झा है, शहजाद पूनावाला ने मुझे नहीं कहा ‘Jha2’; आपको कहा तो AAP के ऋतुराज का पकड़िए गला

दिल्ली में सड़कों की हालत खस्ता है। पीने का पानी लोगों को नहीं मिल रहा है। बिजली का संकट अलग है। कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा का चुनाव BSP (बिजली+सड़क+पानी) के मुद्दे पर भी लड़ा जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य से यह आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित है। अब लड़ाई मैथिल ब्राह्मणों को ‘झा2’ कहने पर सीमित हो गई है। ऐसा करने का आरोप बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला पर है।

पूरा विवाद ‘रिपब्लिक भारत’ नाम के टीवी चैनल पर हुई एक चर्चा के बाद खड़ा हुआ है। इस चर्चा में पूनावाला के अलावा किराड़ी से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक ऋतुराज भी शामिल थे। ऋतुराज को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया है। उनकी जगह चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से आए अनिल झा को उम्मीदवार बनाया गया है।

इस चर्चा के दौरान ऋतुराज ने पहले पूनावाला के सरनेम को बिगाड़ते हुए उन्हें ‘चूनावाला’ कहा। जवाब में शहजाद ने कहा कि ऐसी बातें मैं भी कर सकता हूँ। मैं भी कह सकता हूँ कि संजय झा ‘Jha1’ और ऋतुराज झा ‘Jha2’। मैं भी बोल सकता हूँ कि Jha2 हो आप। पर मैं ऐसी बातें नहीं करता।

स्पष्ट है कि शहजाद पूनावाला ने मैथिल ब्राह्मणों या झा सरनेम वाले समाज को लक्षित कर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने ऋतुराज के ‘चूनावाला’ का प्रत्युत्तर ‘Jha2’ से दिया। ऐसा भी नहीं है कि ‘Jha2’ शब्द पहली बार सुनने को मिला है। यदि आप सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, आपका सरनेम ‘झा’ है तो आए दिन आपको कोई न कोई ‘Jha2’ कह कर चला जाता है। मैं खुद इसका पीड़ित हूँ। ऐसी टिप्पणी करने वाला व्यक्ति या तो आपसे घृणा कर रहा होता है या फिर उसे सार्वजनिक मंचों पर किसी विचार से असहमत होने पर खीझ मिटाने के लिए शब्द नहीं मिल रहे होते। पीड़ित होते हुए भी मुझे नहीं लगता है कि इस तरह की टिप्पणी करने वाले व्यक्ति की घृणा उस पूरे समाज के प्रति होती है जिससे मैं आता हूँ।

यदि इस टिप्पणी को उस व्यक्ति की एक पूरे समाज से घृणा मान ली जाए तो फिर AAP के ऋतुराज पहले दलित मुस्लिमों से घृणा के अपराधी हैं। बावजूद आम आदमी पार्टी ने ‘Jha2’ शब्द को चुनावी मुद्दा बनाया। सोशल मीडिया में कुछ सेकेंड के ऐसे क्लिप सर्कुलेट करवाए जिसमें शहजाद पूनावाला का ‘Jha2’ तो सुनाई पड़ता है, लेकिन उससे पहले क्या हुआ इसका पता नहीं चलता। जाहिर है कि AAP चाहती थी कि ऐसा नैरेटिव बने जिससे मैथिल ब्राह्मणों को लगे कि बीजेपी का नेता उन्हें गाली दे रहा है।

Live TV पर BJP ने पूर्वांचलियों को दी गंदी गाली‼️BJP के प्रवक्ता ने पूर्वांचल के विधायक @MLARituraj झा को राष्ट्रीय चैनल पर दी गंदी गाली। ये मैथिली ब्राह्मण समाज का अपमान है, ये पूर्वांचलियों का अपमान है। pic.twitter.com/K8m5mipQ2Z— AAP (@AamAadmiParty) January 14, 2025

इस नैरेटिव को AAP समर्थकों के अलावा उन लोगों ने भी आगे बढ़ाया जो दिल्ली विधानसभा चुनाव में मैथिल ब्राह्मणों की कथित उपेक्षा करने से बीजेपी से नाराज हैं। इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो बीजेपी समर्थक रहे हैं। लेकिन इस उपेक्षा का जवाब एक फर्जी नैरेटिव का शिकार बनकर उसे आगे बढ़ाना नहीं है।

यह बात सही है कि बीजेपी जैसी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता को किसी भी स्थिति में ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से बचना चाहिए था। लेकिन जब राजनीति में संयम, मर्यादा और नैतिकता गौण हो चुका है, अरविंद केजरीवाल जैसे धूर्त की पार्टी का नुमाइंदा आपके सरनेम का मजाक बनाता है, तो संयम, नैतिकता और मर्यादा का बोझ केवल बीजेपी पर ही नहीं डाला जा सकता है।

Dear friends,If i die – @AamAadmiParty is solely responsible for it..I am starting a fast unto death because of the lies spread against me by AAP and for my character assassination until AAP proves i abused anybody. Shri @MediaHarshVT , Aishwarya Kapoor of Republic know the… pic.twitter.com/cFQYAcnSep— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) January 14, 2025

इन सबके बावजूद झा उपनाम धारी मैथिल होने के कारण आपको लगता है कि गाली दी गई है तो कायदे से आपको ऋतुराज का गला पकड़ना चाहिए जिसने ऐसी स्थिति पैदा की। यदि ऐसा किए बिना हम केवल शहजाद पूनावाला का ही गला पकड़ते हैं तो यह वैसा ही टिपिकल मैथिल स्टाइल है जिसमें हम अपने बाल-बच्चों के अपराध/बदतमीजी पर तो पर्दा डालते हैं, लेकिन दियाद के बाल-बच्चों की सामान्य सी भी भूल को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं और निंदा रस से आह्लादित होते हैं।

वैसे भी ऋतुराज या AAP मिथिला/मैथिल/मैथिल ब्राह्मण का प्रतिनिधि नहीं हो सकती। इसका प्रतिनिधित्व वह बीजेपी ही कर सकती है जिसने संविधान की अष्टम अनुसूची में मैथिली को जगह दी है। जिसके शासनकाल में संविधान मैथिली में जारी हुई है। जिस पार्टी के शासनकाल में दो भागों में विभक्त मिथिला को जोड़ने वाला पुल शुरू हुआ। मैथिल समाज और बीजेपी के बीच के इस पुल को तोड़कर AAP आपको और बदहाली में धकेलना चाहती है।

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