
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता आने के बाद विवादित एजेंसी USAID पर ताला लगा दिया गया। साल 1960 से ये एजेंसी विश्व भर में मानव भलाई के नाम पर अमेरिकियों का पैसा उल-जुलूस कामों में खर्च करती थी और सबसे ज्यादा इसकी खास रूचि भारत में उथल-पुथल करने में थी। जानकारी के मुताबिक, इस एजेंसी ने ऐसे तमाम गैर सरकारी संगठनों को पैसा दिया था जो भारत और हिंदुओं के विरोध में काम करते थे। इनमें एक तो थी एटलांटिक काउंसिल और दूसरी ईसाइयों द्वारा संचालित होने वाली वर्ल्ड विजन।
वर्ल्ड विजन को मिली मदद
एटलांटिक काउंसिल के बारे में पढ़ने के दौरान तो पता चलता है कि इसे फंड जॉर्ज सोरोस तक से मिला है। ये संगठन भारत के पत्रकारों और फैक्टचेकर्स का इस्तेमाल करके पीएम मोदी के खिलाफ माहौल बनाने का काम कर रहा था। वहीं वर्ल्ड विजन की बात करें तो ऊपर-ऊपर से इनके बारे में पढ़ने पर लगता है कि ये संगठन इंसानों की भलाई की दिशा में काम करता है और धर्म को महत्व नहीं देता। हालाँकि जब इनके कनेक्शन को समझेंगे तो पता चलेगा कि इस संगठन की ईमानदारी तो सिर्फ चर्चों के प्रति है।
वर्ल्ड विजन की साइट पर जुड़ी जानकारी
ये संगठन भारत के अलग-अलग इलाकों में काम कर रहा है और लोग इसके प्रभाव में ऐसा है कि उड़िसा के गजपति जिले के गुम्मा ब्लॉक में तो 85 से 90% लोग ईसाई हो चुके हैं। इनका एक साझेदार ‘वर्ल्ड एवेंजेलिकल एलायंस (WEA)’ भी है।
इस संगठन का उद्देश्य ही हर राष्ट्र में ईसाई धर्म स्थापित करना है और बच्चों के लिए चर्च बनाना है। ये बात धर्म की आजादी की करते हैं लेकिन उससे इनका मतलब ईसाई धर्म में लोगों को परिवर्तित करना होता है। जानकर हैरानी होगी कि WEA धर्मांतरण की बातों को खुलेआम साल 2008 में स्वीकार भी कर चुके हैं।
वहीं एक मुस्लिम संगठन से तो इनका एक समझौता भी हुआ था जिसका सार यही था कि जब दोनों ही समुदायों का उद्देश्य धर्मांतरण है तो फिर बाद में विवाद नहीं होना चाहिए।
अब वर्ल्ड विजन पर दोबारा लौटें तो पता चलेगा कि ये संगठन हमास आतंकी संगठन को पैसे देने के कारण भी बदनाम हुआ है। साल 2021 में इजरायलियों ने इसकी एक ब्रांच को बंद करने के लिए आवाज उठाई थी। उस समय वर्ल्ड विजन का गाजा में मैनेजर मोहम्मद अल हबाबी था जिसपर हमास को 50 मिलियन डॉलर की मदद देने का आरोप था। जब इस पर सवाल उठे तो वर्ल्ड विजन के अन्य अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।
इसी तरह वर्ल्ड विजन का कनेक्शन उस वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्चेस से भी है जिसके संपर्क में ब्रेड फॉर द वर्ल्ड जैसी संस्था है जो भारत में हर्ष मंदर जैसे हिंदू विरोधियों, अलगाववादियों और अर्बन नक्सलियों को सहायता करते हैं। इनको भी यूएसएड मदद करती है। खुद यूएसएड की एडमिनिस्ट्रेटर ने इसकी तारीफ कुछ ही महीने की थी।
गौरतलब है कि साल 2024 में जब यूपी सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किया तो वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्चेस, वर्ल्ड इवेंजेलिकल अलायंस और वर्ल्ड विजन ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों के खिलाफ रैली निकाली थी। वहीं 2014 से पहले WEA हिंदुओं को निशाना बनाने का काम और तथ्यों को गलत दिखाने का काम करता था। इनकी यही भारत विरोधी हरकतों के साथ जनवरी 2024 में मोदी सरकार ने वर्ल्ड विजन का एफसीआरए लाइसेंस निलंबित कर दिया जिससे वामपंथी काफी नाराज हुए थे।
नोट: मूल रूप से यह लेख अंग्रेजी में नुपूर शर्मा द्वारा लिखा गया है। विस्तृत रूप से पढ़ने के लिए इसे इस लिंक पर क्लिक करें।