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‘इज्जत से समझौता’ कर कॉन्ग्रेस सरकार में महिलाओं को मिलती थी नौकरी: असम CM सरमा का दावा, विरोध पर कहा- जाकर जाँच कमीशन का गला पकड़ो

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया है कि राज्य में कॉन्ग्रेस के शासनकाल में महिलाओं को सरकारी नौकरी पाने के लिए ‘इज्जत से समझौता’ करना पड़ता था। उनके इस बयान पर कॉन्ग्रेस बौखला गई है। वहीं मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि उन्होंने सिर्फ तथ्यों के आधार पर बात कही है।

असम में वर्तमान में पंचायत चुनावों के लिए प्रचार चल रहा है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा इसके लिए चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। उन्होंने इसी दौरान एक रैली में पूर्ववर्ती कॉन्ग्रेस सरकार पर यह आरोप जड़े। उन्होंने एक जाँच आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि कॉन्ग्रेस सरकार के दौरान महिलाओं को राज्य में नौकरी के लिए अपने ‘सम्मान से समझौता’ करना पड़ता था।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि कॉन्ग्रेस सरकार में नौकरियों में हुई गड़बड़ी को लेकर बनाए गए जस्टिस बिप्लब शर्मा जाँच आयोग के सामने एक पीड़िता ने अपने बयान में यह सभी बातें बताई थीं। उन्होंने कहा था कि यह गड़बड़ियाँ असम लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 2013-14 में हुई थी।

मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी इस दौरान कहा कि जब से राज्य में भाजपा सत्ता में आई है, तब से यह स्थिति बदल गई है और अब नौकरियों में गड़बड़ियाँ बंद हो गई हैं। हिमंता बिस्वा के इस बयान को कॉन्ग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया। कॉन्ग्रेस ने दावा किया किया कि यह राज्य की महिलाओं का अपमान है।

वहीं मुख्यमंत्री सरमा ने इसका जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि रैली में कही गई सारी बातें उन्होंने जस्टिस बिप्लब शर्मा जाँच आयोग की रिपोर्ट के आधार पर कही थीं। उन्होंने कहा कि अगर कॉन्ग्रेस को अधिक समस्या है तो वह जस्टिस शर्मा से जाकर प्रश्न पूछ सकती है। उन्होंने यह जवाब असम कॉन्ग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा के आरोपों के बाद दिया।

गौरलतब है कि 2016 से पहले 15 वर्ष तक लगातार असम में कॉन्ग्रेस की सरकार रही थी। इस दौरान कॉन्ग्रेस नेता तरुण गोगोई राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे। उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे। उनकी सरकार पर नौकरियों में 2013-14 में गड़बड़ी का आरोप लगा था। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद इसको लेकर दो जाँच कमीशन बनाए थे।

रिपोर्ट में पता चला था कि इस दौरान अभ्यर्थियों के नम्बर बढ़ाए गए थे, उत्तर पुस्तिकाओं में छेड़छाड़ हुई थी। इसके अलावा और भी कई गड़बड़ियाँ पाई गईं थी। यह रिपोर्ट फरवरी, 2025 में असम विधानसभा में रखी गई थी। अब इसी में आए एक बयान को लेकर बवाल मचा है।

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