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भूख से माता-पिता-बहन की मौत, खुद 128 साल जीवित रहे: कौन थे योग गुरु शिवानंद बाबा, क्यों उनके निधन को PM मोदी ने बताया ‘अपूरणीय क्षति’

वाराणसी में रह रहे लोकप्रिय योग गुरु शिवानंद बाबा का 128 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। माना जाता है कि वो इस धरती पर सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति थे। शनिवार (3 मई, 2025) को उनका निधन हुआ। उन्हें मार्च 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री का सम्मान प्राप्त हुआ था। BHU के अस्पताल में उन्होंने अंतिम साँस ली। डॉ देवाशीष ने बताया कि रात के साढ़े 8 बजे उन्होंने अंतिम साँस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर दुःख जताया है।

पीएम मोदी ने ‘X’ पर लिखा, “योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुःख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था। शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे प्रेरणा लेने वाले करोड़ों लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं इस दुःख की घड़ी में उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ।”

बता दें कि शिवानंद बाबा अन्न ग्रहण नहीं करते थे। वो योग साधना में दक्ष थे। इस उम्र में भी वो प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में स्नान करने के लिए पहुँचे थे। दुर्गाकुंड स्थित आश्रम पर उनका पार्थिव शरीर लाया गया। शिष्यों द्वारा हरिश्चंद्र घाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। शिवानंद बाबा ने पूरी उम्र ब्रह्मचर्य का पालन किया। वो लंबे समय से भेलूपुर स्थित कबीरनगर में रह रहे थे। 8 अगस्त, 1896 में पश्चिम बंगाल के श्रीहट्टी में एक भिक्षुक गोस्वामी परिवार में जन्मे शिवानंद बाबा के परिवार को विभाजन के बाद देश छोड़ना पड़ा था। आज ये जगह बांग्लादेश में है।

योग साधक और काशी निवासी शिवानंद बाबा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा। योग के जरिए समाज की सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया था।शिवानंद बाबा का शिवलोक प्रयाण हम सब काशीवासियों और उनसे… pic.twitter.com/nm9fI3ySiK— Narendra Modi (@narendramodi) May 4, 2025

उनके माता-पिता भीख माँगकर जीवन-यापन चलाते थे। उनके परिवार ने उन्हें नवद्वीप के रहने वाले बाबा ओंकारनंद गोस्वामी के सुपुर्द कर दिया, जिनसे उन्हें आध्यात्मिक शिक्षा मिली। वो मात्र 6 वर्ष के थे जब माता-पिता और बहन तीनों भूख से चल बसे। उनकी कहानी संघर्ष भरी है। वो वाराणसी में अपने मताधिकार का प्रयोग करना नहीं भूलते थे। शिवानंद बाबा अपने स्वास्थ्य का राज बताते हुए कहते थे कि इच्छा ही समस्त समस्याओं की जड़ है, उन्हें न किसी चीज से लगाव है और न तनाव।

बताया जाता है कि वह स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के काफी करीब रहे थे। दोनों के बीच बेहद ही अच्छा रिश्ता था। बताया जाता है कि दोनों हमउम्र थे और एक ही एरिया में रहते थे। इसके अलावा यह भी दावा किया जाता है कि उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को काफी करीब से देखा है। 1977 में वृंदावन चले गए। दो साल वृंदावन में रहने के बाद 1979 में वाराणसी आ गए। तब से यहीं रह रहे थे। आने वाले हर शख्स को बाबा खुद अपने हाथों से खाना परोस कर खिलाते हैं। विश्वमारी के दौरान कोरोना टीका लगाने के बाद उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को आशीर्वाद भी दिया था।

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