
जल जीवन मिशन यानी जेजेएम बुंदेलखंड के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने अपने स्टडी में इसकी जानकारी दी है। जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर जल परियोजना का फायदा 7 जिलों के 70 गाँवों को हो रहा है। इससे ये पता चलता है कि कैसे पाइप से पीने के पानी ने स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, सामाजिक संरचना और ग्रामीण विकास में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं?
A recent study by Bundelkhand University underscores how the Jal Jeevan Mission has transformed rural life across 70 villages, improving health, education, and livelihoods.@jaljeevan_ pic.twitter.com/7wrUnRxc8s— Government of UP (@UPGovt) May 26, 2025
सामाजिक कार्य विभाग ने राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन के अनुरोध पर यह अध्ययन किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शोध का निष्कर्ष क्षेत्र- सर्वेक्षण, सामुदायिक साक्षात्कार और जमीनी अवलोकन पर आधारित हैं। अध्ययन में गुणात्मक सुधार और परिवर्तन की मानवीय कहानियों दोनों को शामिल किया गया है।
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने अपने अध्य्यन में कहा कि 7 जनपदों में 10-10 गाँवों में सर्वे किया है। इसमें कहा गया है कि इन गाँवों में हर परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो रहा है। इससे लोगों की सेहत में सुधार आया है। पाचन समेत जल से होने वाली बीमारियों से लोगों को छुटकारा मिल रहा है।
यूनिवर्सिटी की टीम ने ढाई महीने में ये शोध किया है। 4 संकाय सदस्यों और शोधकर्ताओं की एक टीम ने बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, झांसी, जालौन, महोबा और ललितपुर के दस-दस गाँवों को कवर किया। टीम का नेतृत्व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यतींद्र मिश्रा ने किया। अध्ययन में महिलाओं, युवाओं, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्कूली शिक्षकों, छात्रों और लाभार्थियों के साथ बातचीत को शामिल किया गया है।
डॉ. यतीन्द्र मिश्रा ने कहा, “हर घर जल पहल ने पानी उपलब्ध कराने से कहीं ज़्यादा काम किया है। इसने उन लोगों को सम्मान, स्वास्थ्य और स्थिरता प्रदान की है जो लंबे समय से पानी की कमी से जूझ रहे थे। लेकिन अब हमें पानी की उपलब्धता से जिम्मेदारी की ओर बढ़ना होगा और संरक्षण और स्थिरता को ग्रामीण प्रगति के अगले चरण का केंद्र बनाना होगा।”
रिपोर्ट में स्वास्थ्य सुधार, शिक्षा, रोजगार, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक सामंजस्य और दृष्टिकोण समेत पाँच बिन्दुओं पर अध्ययन किया गया है।
शिक्षा पर योजनाओं का असर
जल जीवन योजना में हर स्कूल शामिल है। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है और स्कूल छोड़कर जाने वाले बच्चों की संख्या कम हुई है। स्कूल की टंकी में अब पानी रहता है। शौचालय की व्यवस्था होने की वजह से लड़कियों की संख्या स्कूल में बढ़ी है।
मातृ मृत्युदर में कमी
इन गाँवों में माँओं की मृत्युदर में कमी आई है। बच्चे-जच्चे की सेहत में सुधार हुआ है। दूर से जल लाने की वजह से महिलाओं के गर्दन और कमर में दर्द रहता था जिससे निजात मिली है। दूषित जल से ग्रामीणों को मुक्ति मिली है। दुषित जल से हड्डियाँ कमजोर होती है। इसके इलाज में काफी खर्च होता है।
आर्थिक और सामाजिक फायदा
शुद्ध पेयजल की मौजूदगी से रहन-सहन का स्तर ऊपर उठा है। लोगों के बीच भेदभाव में कमी आई है। महिलाएँ सेहतमंद हो रही हैं जिससे खेती-बाड़ी, पशुपालन और दूसरे उत्पाद में भागीदारी बढ़ी है। महिलाओं के रोजगार में वृद्धि हुई है। महिलाओं के चिकित्सा खर्च पर 95 फीसदी कमी आई है।
जातिगत दूरियाँ हुई कम
गाँवों में सामाजिक संबंध मजबूत हुए हैं। लोगों के बीच आपसी सहयोग में वृद्धि हुई है साथ ही सामाजिक तनाव में कमी आई है। महिलाओं का आत्मबल मजबूत हुआ है। ग्रामीण सामाजिक समरसता मजबूत हुई है। बाल विवाह और दहेज प्रथा में 93 फीसदी कमी आई है।
स्वरोजगार में बढ़ोतरी
गाँव में स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं। कृषि लायक जमीन बढ़ी है क्योंकि बंजर जमीन को जल मिल रहा है। इससे फसलों का उत्पादन बढ़ रहा है। सरकार के स्वरोजगार का काम आगे बढ़ा है जिससे युवाओं का पलायन कम हुआ है। कृषि और पशुपालन के कार्य बढ़ रहे हैं। स्वरोजगार के कारण करीब 92 फीसदी युवाओं ने गाँव में रहने को प्राथमिकता दी है