
दुनिया के साथ कदम से कदम बढ़ाते हुए भारत नित नए कीर्तिमान रच रहा है। फिर चाहे बात भारतीय सेनाओं के कौशल की हो, भारतीय न्याय संहिता की हो और या फिर संस्कृति की, देश ने हमेशा से ही अपना परचम बुलंद रखा है। इसी कड़ी में सोमवार (26 मई 2025) को देश ने अत्याधुनिक ‘भारत पूर्वानुमान प्रणाली’ यानी ‘भारत फोरकास्ट सिस्टम’ (BFS) का अनावरण किया है।
ये प्रणाली 6 किलोमीटर के रिजॉल्यूशन के साथ दुनिया का सबसे सटीक मौसम पूर्वानुमान कर सकती है। इसे सुपरकंप्यूटर अर्का से संचालित किया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे खराब से खराब मौसम का पैटर्न भी विश्लेषण कर बेहद सटीक और विस्तृत पूर्वानुमान दिया जा सकता है।
सोमवार (26 मई 2025) को पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस नए सिस्टम का उद्घाटन किया। स्वदेशी विकसित हाई-रिजोल्यूशन ग्लोबल फोरकास्ट मॉडल (HGFM) को ही भारत फोरकास्ट सिस्टम कहा जा रहा है। यह प्रणाली इंडियन इंटीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM) ने विकसित की है।
Launched first indigenously developed world-class high-resolution weather forecast system, "Bharat Forecast System" #BharatFS.As India celebrates the rise of her economy to Rank 4 and looks forward to moving up to Rank 1, the forecast precision aims to consolidate India's… pic.twitter.com/Fm1H5nRpl6— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) May 26, 2025
इस नए सिस्टम से भीषण सर्दी हो या झमाझम बरसात, हर तरह के मौसम में बेहद सटीक और स्थानीय जगहों पर भी सही पूर्वानुमान किया जा सकता है।
BFS के साथ अब भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघों से भी आगे निकल गया है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि इन सभी देशों में उपयोग हो रहा मॉडल 9 से 14 किलोमीटर के रेजोल्यूशन पर काम करता है। लेकिन BFS का कार्यप्रणाली 6 किलोमीटर के रेजोल्यूशन पर काम कर सकता है। यानी ये अधिक सटीक जानकारी देने में सक्षम है।
12 किमी से 6 किमी रेजोल्यूशन की छलांग
अब तक भारत का मौसम पूर्वानुमान भी 12 किलोमीटर ग्रिड मॉडल पर आधारित था। नए BFS ने इस दूरी को 6 किलोमीटर तक घटा दिया है। इसके कारण पूर्वानुमान की परिधि 4-5 गाँवों के समूह के बजाय हर गाँव का पूर्वानुमान दिया जा सकता है। इस विकास के कारण वैश्विक स्तर पर भारत के इस पूर्वानुमान मॉडल की सटीकता अधिक बेहतर सिद्ध हो रही है।
मंत्रालय के अनुसार, इस छलांग से बारिश के पूर्वानुमान में 30% तक की बेहतरी देखी जा सकती है। साथ ही मानसून कोर क्षेत्र की सटीकता भी 64% तक बढ़ सकती है। इस लिहाज से देखा जाए तो इससे खेती-किसानी को काफी हद तक फायदा पहुँचेगा।
भारत- निर्मित प्रणाली, भारत के लिए प्रभावी
उद्घाटन के अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “ये स्वदेशी उपलब्धि भारत को मौसम पूर्वानुमान में वैश्विक स्तर के बीच स्थापित करती है। भारतीय प्रयास हैं, तकनीक भी भारतीय है और लाभार्थी भारतीय है। यही असली आत्मनिर्भरता है।”
#WATCH | Delhi: On IMD (India Meteorological Department), Union Minister Dr Jitendra Singh says, "The time has come to see what will be our contribution to our target of 2047 in the context of IMD… We have succeeded in backing IMD in bringing India's economy to the top level,… pic.twitter.com/rnly2FPaZI— ANI (@ANI) May 26, 2025
ये पूरी प्रणाली ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत तैयार की गई है। इसके तहत त्रिकोणीय घनीय अष्टफलक ग्रिड (Triangular Cubic Octahedral Grid) मॉडल पर काम करता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो ये प्रणाली पूर्वानुमान के लिए त्रिकोण, घन और अष्टफलक- तीन तरह की संरचना के उपयोग के साथ विशेष तरह का 3डी ग्रिड का इस्तेमाल किया जाता है।
इससे यह पृथ्वी की सामान्य सतह को सामान्य वर्गाकार ग्रिड की तुलना में अधिक समान रूप से बाँट देता है। इससे भविष्यवाणी अधिक सटीक हो जाती है। इसके तहत यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 30° दक्षिण से 30° उत्तर अक्षांश तक में भी काम करेगा। इन क्षेत्रों में भारत के साथ कई विकासशील देश शामिल हैं।
नए सिस्टम से स्थानीय प्रशासन के साथ किसानों को अधिक सटीक पूर्वानुमान और समय पर मौसम के अलर्ट मिल सकेंगे।
BFS के लिए सुपरकंप्यूटर ‘अर्का’ को चुना गया है। ये एक हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग सिस्टम है। वर्तमान में IITM पुणे और NCMRWF नोएडा में है। 11.77 पेटाफ्लॉप्स की कंप्यूटिंग स्पीड और 33 पेटाबाइट्स की स्टोरेज क्षमता के साथ, अर्का मॉडल रन टाइम महज 4 घंटे कर देता है। पहले की ‘प्रत्यूष’ प्रणाली को मौसम पूर्वानुमान चलाने में 10 घंटे लगते थे।
महिला वैज्ञानिकों का नेतृत्व
BFS की एक सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ये है कि इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व 4 महिला वैज्ञानिक कर रही हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘नारी शक्ति’ की झलक को दिखलाता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस पर कहा, “अब विज्ञान मंत्रालय महिलाओं को सशक्त नहीं कर रहा बल्कि हम उनके द्वारा सशक्त किया जा रहे हैं।”
The all-women-led team behind the first-of-its-kind, state-of-the-art indigenous “Bharat Forecast System” #BharatFS, launched by the India Meteorological Department under the Ministry of Earth Sciences.A brilliant reflection of PM Sh @narendramodi's push for greater women… pic.twitter.com/VuJANvbY84— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) May 26, 2025
इस अत्यधिक प्रणाली के पीछे डॉ. सुवर्णा फडनवीस, डॉ. स्वप्ना पनिक्कल, डॉ. सुष्मिता जोसेफ और डॉ. मेधा देशपांडे ने अहम भूमिका निभाई है।
जलवायु वास्तविकता के अनुरूप सच्चाई
सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में पहले ही ये बात सामने आ चुकी है कि मौसम अस्थिरता की वजह से अचानक बारिश या हीट वेव जैसी परिस्थितियों आती हैं। इनकी वजह से फसलों की बर्बादी और खाने के सामानों में महँगाई को बढ़ाया है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2022 से 2024 के बीच 18% दिनों में हीटवेव देखी। 2020-21 में ये सिर्फ 5% थी।
BFS को देशभर में 40 डॉपलर वेदर रडार के साथ काम करेगा। इससे इन चुनौतियों का समाधान निकल सकता है। हालाँकि सरकार रडार की संख्या बढ़ाकर 100 करने की योजना बना रही है। इससे रियल-टाइम अलर्ट और ‘नाउकास्टिंग’ यानी अगले दो घंटे की मौसम भविष्यवाणी पूरे भारत में संभव होगी।
संपूर्ण सरकार, संपूर्ण विज्ञान दृष्टिकोण
डॉ. जितेंद्र सिंह ने BSF के सपने को धरातल पर लाने में IITM, IMD, ISRO समेत अन्य संस्थानों के प्रयासों की सराहना की है। भारत में 20 से अधिक मंत्रालय रोजाना मौसम के डेटा पर निर्भर रहते हैं।
इनमें कृषि से लेकर परिवहन तक सभी शामिल हैं। भारत फोरकास्ट सिस्टम केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि ही नहीं है बल्कि वह राष्ट्रीय संपत्ति है जो आगामाी नुकसान कम करेगी और लाभ बढ़ाएगी। इससे भारत के शीर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह में भी तेजी आएगी।