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जैन समुदाय ने 5000 गज में खोली ‘बकराशाला’, ₹44 लाख देकर ‘कुर्बानी’ वाले 400 बकरे बचाए: कहा- हम अहिंसक, जीवों को भी अपनी पूरी उम्र जीने का हक

बकरीद के मौके पर एक तरफ मुस्लिम समुदाय ‘कुर्बानी’ देने के लिए कई हजार देकर बड़े से बड़ा बकरा खरीद रहा है, और दूसरी तरफ जैन समुदाय के लोग हैं जो इन बकरों को बचाने के लिए इनपर लाखों खर्च भी कर रहे हैं। इस काम के लिए उन्होंने एक बकराशाला भी खोली हुई है जो कि बागपत के अमीननगर सराय में है। इसका नाम ‘जीव दया संस्था’ है।

दैनिक जागरण की रिपोर्ट बताती है कि इस बार इस संस्था ने कुर्बानी के लिए बिकने आए 400 से अधिक बकरों की जान बचाई है। इन्होंने बकरीद के लिए जामा मस्जिद, सीलमपुर व गाजीपुर जैसे इलाकों तथा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित गुलावठी बकरा मंडी से इन बकरों की खरीद में करीब 44 लाख रुपए खर्च किए हैं। आगे कुछ दिनों में और 15 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है क्योंकि कुर्बानी सोमवार तक दी जानी है।

जानकारी के अनुसार, जीव दया संस्थान नाम के इस संस्थान के पास इस बकराशाला के लिए अच्छी खासी जमीन है, जो कि 5000 गज में बनी है। इसमें एक साथ अधिकतम 1800 बकरे रखे जाने की क्षमता है। वर्तमान में यहाँ 650 से अधिक बकरे हैं। इन बकरों की इस बकराशाला में खास देखरेख की जाती है। बकराशाला को संचालित करने वाले लोग जैन समाज के हैं। जो भगवान महावीर के जीयो और जीने दो संदेश के प्रति समर्पित हैं। उनका मानना है कि बकरे की अपनी एक उम्र होती है और उन्हें अपनी पूरी उम्र जीने का अधिकार होना चाहिए।

गौरतलब है कि इस संस्थान की वजह से दिल्ली से लेकर यूपी तक से ऐसे बकरे बचाए गए जिनके गले पर धागा बँधा था यानी कि वे कुर्बानी के लिए तैयार थे। बकराशाला से जुड़े दिनेश जैन बताते हैं कि ये बकराशाला 10 वर्ष पूर्व शुरू की गई थी। इसे लेकर राजेंद्र मुनि ने जन समाज को प्रेरणा दी थी।

गोशाला की तर्ज पर बागपत, यूपी में जैन समाज ने "बकराशाला" खोली है। फिलहाल इसमें 650 बकरे मौजूद हैं। समाज के ऋषि–मुनि चाहते हैं कि बकरी अपनी मौत मरें, उनका कटान न हो। बकरीद के लिए मार्केट में जो बकरे बेचे जा रहे, उन्हें भी "बकराशाला" से जुड़े लोग खरीद रहे हैं।@Benarasiyaa pic.twitter.com/wLQhtA1Qhp— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) June 6, 2025

उन्होंने कहा कि देश में गौशाला बहुत है। आप लोग बकराशाला बनाएँ। दिनेश ने कहा कि पहले ये बकराशाला 800 गज की जगह में शुरू हुई थी। बाद में सहयोग मिला तो ये बकराशाला 5000 गज की जमीन में खोली गई। अभी तक संस्था द्वारा हजारों बकरों की जानें बचाई जा चुकी हैं। वर्तमान में 650 बकरे हैं।

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