
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को ईरान को चेतावनी दी है कि वह परमाणु समझौते को स्वीकार करे, वरना परिणाम भुगते। उन्होंने कहा कि इजरायल के पास दुनिया में सबसे बेहतरीन अमेरिकी हथियार हैं और दावा किया कि इजरायल का अगला हमला और भी घातक होगा।
ट्रंप ने कहा कि ईरान को इससे पहले समझौता कर लेना चाहिए, जब तक कि कुछ भी न बचे। उन्होंने कहा- “बस करो, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए”
60 दिन का ईरान को ट्रंप ने दिया था वक्त
सोशल मीडिया पोस्ट पर डोनाल्ड ट्रंप ने लिखा है कि उन्होंने ईरान को समझौता करने के कई मौके दिए, लेकिन वे इसे पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने चेतावनी दी थी कि हमला उनकी अपेक्षा से कहीं अधिक भयानक होगा, लेकिन कुछ ईरानी कट्टरपंथियों ने समझौते को अस्वीकार कर दिया। ट्रंप ने कहा कि ऐसे कट्टरपंथी अब मर चुके हैं। ट्रंप के मुताबिक उन्होंने ईरान को 60 दिन का वक्त दिया था लेकिन ईरान ने गँवा दिया और समझौता नहीं किया।
ट्रंप ने कहा, “मैंने ईरान को समझौता करने के लिए कई मौके दिए। मैंने उन्हें सख्त शब्दों में कहा, “बस करो”, लेकिन चाहे उन्होंने कितनी भी कोशिश की हो, चाहे वे कितने भी करीब क्यों न पहुँचे हों, वे इसे पूरा नहीं कर पाए। संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया में अब तक का सबसे बेहतरीन और सबसे घातक सैन्य उपकरण बनाता है। इजरायल के पास इसका भंडार है। वे जानते हैं कि इसका इस्तेमाल कैसे करना है? कुछ ईरानी कट्टरपंथी बहादुरी से बोलते थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि क्या होने वाला है। वे सभी अब मर चुके हैं, और स्थिति और भी बदतर होगी!”
नरसंहार को रोकने का अभी भी है वक्त-ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि इजरायली हमले को रोकने के लिए समय है। इसके लिए ईरान को एक समझौता करना होगा। उन्होंने कहा, “पहले से ही बहुत अधिक मौतें और विनाश हो चुके हैं, लेकिन इस नरसंहार को समाप्त करने के लिए अभी भी समय है। ईरान को परमाणु समझौता करना चाहिए, इससे पहले कि कुछ भी न बचे, और जिसे कभी ईरानी साम्राज्य के रूप में जाना जाता था उसे बचाओ।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्रुथ पोस्ट में कहा, “अब और मौत नहीं, अब और विनाश नहीं, बस करो, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। भगवान आप सभी का भला करे!”
ईरान नहीं करेगा अब अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता
ईरान ने आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता से हटने की घोषणा की है। यह निर्णय इजरायल द्वारा ईरानी परमाणु और सैन्य स्थलों पर हमला और तेहरान द्वारा जवाबी ड्रोन हमले के बाद लिया गया है।
इस वार्ता का उद्देश्य 2015 के परमाणु समझौते को फिर से लागू करना था। उस वक्त प्रतिबंधों में राहत के बदले ईरान की परमाणु गतिविधि को सीमित कर दिया गया था।
इस बीच ईरान ने अपने परमाणु स्थलों पर हमले और तेहरान में अपने वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व की हत्या का बदला लेने की कसम खाई है और कहा कि वह जोरदार तरीके से जवाब देगा और “इस कहानी का अंत ईरान के हाथों से लिखा जाएगा”।