
यूरोप के कई शहरों में टूरिस्टों की भरमार के खिलाफ रविवार (15 जून 2025) को बड़े प्रदर्शन होने वाले हैं। स्पेन, इटली, पुर्तगाल और फ्रांस के लोग इस भीड़ से तंग आ चुके हैं। ‘साउथर्न यूरोप अगेंस्ट टूरिस्टिफिकेशन’ नाम का संगठन इस आंदोलन को चला रहा है।
स्पेन के बार्सिलोना, ग्रेनेडा, पाल्मा, सैन सेबेस्टियन, मिनोर्का और इबीसा में लोग सड़कों पर उतरेंगे। पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन और इटली के वेनिस, जेनोवा, पलेर्मो, मिलान और नेपल्स में भी टूरिस्टों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होंगे। फ्रांस के कुछ शहर भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
पिछले साल जुलाई में बार्सिलोना में प्रदर्शनकारियों ने टूरिस्टों पर वाटर गन से पानी फेंका था। बार्सिलोना और पाल्मा में पहले हुए प्रदर्शनों में करीब 20,000 लोग शामिल थे। इस साल अप्रैल में एक वर्कशॉप भी हुई, जिसमें प्रदर्शनकारी टूरिस्टों के लिए जगहों पर घुसने से रोकने या हवाई अड्डों पर धरना देने की योजना बना रहे थे।
यूरोप में हर साल टूरिस्टों की तादाद बढ़ रही है। इस साल टूरिस्टों के खर्च में 11% की बढ़ोतरी हुई, जो 838 बिलियन डॉलर तक पहुँच गई। बार्सिलोना में 2024 में 26 मिलियन टूरिस्ट आए, जिससे वहाँ के मेयर ने 2028 तक शॉर्ट-टर्म किराये के घर बंद करने का ऐलान किया। पिछले 10 साल में वहाँ किराया 68% और घर खरीदने की कीमत 38% बढ़ी। बार्सिलोना के 31% लोग टूरिस्टों को नुकसानदेह मानते हैं। ग्रीस के सेंटोरिनी और बेल्जियम के ब्रुगेस जैसे शहरों ने टूरिस्टों की संख्या कम करने के लिए टैक्स और नियम लागू किए हैं।
टूरिस्टों की भरमार से स्थानीय लोगों को कई दिक्कतें हो रही हैं। घरों के किराये आसमान छू रहे हैं, सड़कों पर भीड़ बढ़ रही है, और स्थानीय संस्कृति को नुकसान हो रहा है। प्रदर्शनकारी टूरिस्टों की संख्या पर रोक लगाने की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकारों को टूरिस्टों और स्थानीय लोगों के बीच बैलेंस बनाना चाहिए। इस आंदोलन से यूरोप में टूरिज्म की नीतियों पर बहस तेज हो गई है। क्या ये प्रदर्शन टूरिस्टों की संख्या कम कर पाएँगे या ये सिर्फ गुस्सा निकालने का जरिया बनकर रह जाएँगे?