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6 साल में ₹35000 करोड़ बढ़ा घाटा, 45% बसें कबाड़: DTC को भी AAP सरकार ने कर दिया बर्बाद; ₹2000+ करोड़ की दारू में लगाई चपत, दिल्ली वालों के स्वास्थ्य में भी ‘घोटाला’

दिल्ली विधानसभा में मंगलवार (25 फरवरी 2025) को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की गई, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की 2021-22 की शराब नीति से ₹2,026 करोड़ से अधिक का राजस्व नुकसान होने का खुलासा हुआ। यही नहीं, इस नीति के जरिए दिल्ली की जनता के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया गया। इस रिपोर्ट ने न केवल शराब नीति में अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन को उजागर किया, बल्कि दिल्ली परिवहन निगम (DTC) सहित अन्य क्षेत्रों में भी भारी वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा किया।

यह रिपोर्ट AAP के शासनकाल (2017-2022) के दौरान की गई 14 लंबित ऑडिट रिपोर्ट्स का हिस्सा है, जिन्हें अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नई सरकार ने सदन में पेश करने का फैसला किया है। इन रिपोर्ट्स से AAP सरकार के प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

CAG की 14 रिपोर्ट्स में से शराब नीति पर एक के अलावा 13 अन्य रिपोर्ट्स भी पेश की जानी हैं। इनमें राज्य वित्त ऑडिट, वाहन प्रदूषण पर खर्च, शीश महल (मुख्यमंत्री आवास नवीकरण) पर ₹33.66 करोड़ का अतिरिक्त खर्च, सार्वजनिक स्वास्थ्य ढाँचे (मोहल्ला क्लीनिक), शिक्षा विभाग, सामाजिक योजनाएँ (मुफ्त बिजली-पानी), आर्थिक परियोजनाएँ (सड़कें-पुल), सार्वजनिक उपक्रमों की स्थिति, सामान्य प्रशासनिक खर्च, पर्यावरण नीतियाँ (कचरा प्रबंधन), और डीटीसी का वित्तीय प्रबंधन शामिल हैं।

डीटीसी का घाटा ₹35 हजार करोड़ बढ़ा

दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की स्थिति को लेकर CAG रिपोर्ट ने सबसे चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी का घाटा 2015-16 में ₹25,300 करोड़ था, जो 2021-22 तक बढ़कर ₹60,750 करोड़ हो गया। पिछले छह वर्षों में यह घाटा ₹35,000 करोड़ तक बढ़ा, जिसे AAP सरकार की लापरवाही और ठोस योजना की कमी का परिणाम माना जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि डीटीसी की 45% बसें कबाड़ हो चुकी हैं और मार्च 2022 तक इसके पास केवल 3,937 बसें थीं। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट ने 2007 में 11,000 बसों का बेड़ा अनिवार्य बताया था। यह संख्या बाद में कैबिनेट द्वारा 5,500 तक सीमित कर दी गई, लेकिन वह भी हासिल नहीं हुई।

डीटीसी की समस्याएँ यहीं खत्म नहीं होतीं। साल 2009 से बस किराये में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, और महिलाओं को मुफ्त बस सेवा शुरू करने से वित्तीय बोझ और बढ़ गया। CAG ने बताया कि 468 रूट्स पर चलने वाली बसें अपनी परिचालन लागत भी वसूल नहीं कर पाईं, जिससे 2015-22 के बीच ₹14,199 करोड़ का अतिरिक्त नुकसान हुआ। अरविंद केजरीवाल ने 2015 में 10,000 नई बसें लाने का वादा किया था, लेकिन 2022 में केवल 300 बसें खरीदी गईं। FAME-I योजना के तहत ₹49 करोड़ की केंद्रीय सहायता का लाभ भी नहीं उठाया गया, और FAME-II के तहत इलेक्ट्रिक बसों के अनुबंध की अवधि 12 से घटाकर 10 साल कर दी गई।

रिपोर्ट में रूट प्लानिंग की कमियों को भी उजागर किया गया। डीटीसी की बसें हर 10,000 किमी में 2.9 से 4.5 बार खराब होती हैं, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। इसके विपरीत, निजी क्लस्टर बसें बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन और सीसीटीवी सिस्टम जैसे प्रोजेक्ट्स भी नौ साल बाद अधूरे हैं। दिल्ली सरकार ने 2015-22 के बीच डीटीसी को ₹13,381 करोड़ का अनुदान दिया, लेकिन घाटा कम करने के लिए कोई ठोस बिजनेस प्लान या MoU तैयार नहीं किया गया।

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