रिपोर्टर बने

जिनकी फैमिली इनकम ₹25+ लाख सालाना, उनको नहीं मिलेगी स्कॉलरशिप: जानिए राजस्थान हाई कोर्ट ने क्यों लगाई रोक, क्यों कहा सरकारी पैसों का दुरुपयोग

राजस्थान उच्च न्यायालय ने 25 लाख रुपए से अधिक की वार्षिक आय वाले परिवारों के लिए सरकारी स्कॉलरशिप की व्यवस्था रोक दी है। ‘स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर हाई स्टडीज’ के तहत ये स्कॉलरशिप राज्य सरकार द्वारा दी जाती है। पहले इसका नाम राजीव गाँधी के नाम पर था। एक अंतरिम आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि उन छात्रों को ये स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी जिनकी पारिवारिक आय साल में 25 लाख रुपए से अधिक है। ये कैंडिडेट्स E3 कैटेगरी के अंतर्गत आते हैं।

राजस्थान हाईकोर्ट का कहना है कि सरकारी खजाने से लाखों रुपए ऐसे छात्रों को दे दिए गए जिनके अभिभावक अमीर हैं, इससे ऐसे ज़रूरतमंद व गरीब छात्रों को स्कॉलरशिप से वंचित रहना पड़ा जो पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि वो सरकार और उसके अधिकारियों के विवेकाधीन ऐसे फैसलों पर आँखें बंद करके नहीं रह सकता, जहाँ स्कॉलरशिप के नाम पर सरकारी खजाने से उनपर पैसे लुटाए जाएँ जो इसके अधिकारी नहीं हैं। जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने ये फ़ैसला सुनाया।

उन्होंने कहा कि करदाताओं के ख़ून-पसीने की कमाई को ग़लत तरीके से ख़र्च किया जा रहा है क्योंकि इस छात्रवृत्ति योजना के E3 कैटेगरी के अंतर्गत ऐसे संपन्न परिवारों ने इसका लाभ ले लिया है जिनकी आमदनी पर्याप्त है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे ये योजना उसी ख़ास वर्ग के लिए बनाई गई है। उच्च न्यायालय ने माना कि इसमें उत्कृष्ट अकादमिक रिकॉर्ड को मानक नहीं बनाया गया है, ऐसे में औसत प्रदर्शन वाले छात्रों को इसका फ़ायदा देना इसके मूल उद्देश्य को ही निष्फल कर देता है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, “ऐसे संपन्न परिवारों के छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिल गया जिनकी कोई जरूरत नहीं थी, और जिन छात्रों को वास्तव में इस आर्थिक सहायता की आवश्यकता थी — जो मेधावी हैं, जिनका शैक्षणिक रिकॉर्ड उत्कृष्ट है और जो देश-विदेश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करना चाहते हैं – उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया। इस तरह, यह योजना जरूरतमंदों के हक को छीनकर अमीरों की सुविधा का जरिया बन गई है।”

'Public Money Misused By State Govt': Rajasthan HC Halts Grant Of Scholarship To Students With Over ₹25 Lakh Annual Family Incomehttps://t.co/BAC8sjkwmE— Live Law (@LiveLawIndia) May 1, 2025

इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय ने इसे “छात्रवृत्ति की आड़ में सरकारी तंत्र द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग” का मामला बताते हुए संज्ञान लिया। साथ ही सरकार से जवाब माँगा कि आखिर क्यों इसे रोकने के लिए इस योजना को बंद न किया जाए। बता दें कि इस योजना के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के इच्छुक छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती है। 8 लाख रुपए से कम आय वालों को इसमें E1 और 8 से 25 लाख रूपए तक की आय वाले परिवारों को E2 कैटेगरी में रखा गया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि आज के समय में जब शिक्षा सबसे मूल्यवान और महँगी अस्तु बन चुकी है, ऐसे में छात्रवृत्तियाँ सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाले अवसर बन गई हैं।

  • Related Posts

    गंगेश सिंह को बनाया गया राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन का स्टेट प्रेसीडेंस ऑफ उत्तर प्रदेश  

      ब्यूरो संवाददाता / अशोक सागर  गोंडा । करनैलगंज के रहने वाले गंगेश सिंह को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार नियंत्रण एवं जन कल्याण संगठन का स्टेट प्रेसीडेंस ऑफ उत्तर प्रदेश चुना गया…

    गोंडा , सड़क जाम कराने में फंसे सपा के जिला उपाध्यक्ष

    गोंडा। देहात कोतवाली क्षेत्र में बालपुर बाजार के पास सोमवार शाम चलती एबुलेंस से हृदयलाल का शव फेंककर गोंडा-लखनऊ नेशनल हाईवे जाम कराने व अराजकता फैलाने के आरोप में पुलिस…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com