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मियाँ-बीवी, 4 बच्चे… POK से आकर कश्मीर में बस गए, पर पहलगाम अटैक के बाद भी नहीं जाएँगे पाकिस्तान: सुप्रीम कोर्ट ने ‘मानवीय पहलू’ का दिया हवाला, कहा- जाँच पूरी होने तक न लें एक्शन

सुप्रीम कोर्ट ने 6 लोगों के एक परिवार को पाकिस्तान भेजने पर रोक लगा दी है। उन्हें पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश छोड़ने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस परिवार के कागज जाँचे जाएँ और तब उन पर कोई एक्शन लिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कागज की जाँच पूरी होने तक उन पर कोई भी एक्शन ना लिया जाए। इस परिवार के एक शख्स ने बताया है कि वह 1997 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से भारत आए थे। उन्होंने अपने पास वैध आधार कार्ड और पासपोर्ट होने का दावा किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में कथित तौर श्रीनगर के रहने वाले इस परिवार का मामला 2 मई, 2025 को पहुँचा। इसकी सुनवाई जस्टिस सूर्य कान्त और जस्टिस NK सिंह ने की। सुप्रीम कोर्ट ने उनके दावे सुनने के बाद केंद्र सरकार से कहा कि इस परिवार को वापस पाकिस्तान ना भेजा जाए और उनके दावों की जाँच की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान ‘मानवीय पहलू’ की भी बात की।

कोर्ट ने कहा, “मानवीय पहलू के अलावा, ऐसे कई दावे भी हैं जिन्हें सत्यापित करने की आवश्यकता है … चूंकि इस याचिका में तथ्यों का सत्यापन होना है, इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी किए बिना निपटारा करते हैं, इसके साथ ही अधिकारियों को उनको दिए जाने वाले दावे और सामने लाए जाने वाले दस्तावेजों को सत्यापित करने का भी आदेश देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि वह कोई समयसीमा तय नहीं कर रहा है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक जाँच कार्रवाई पूरी ना हो जाए तब तक इस परिवार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई ना की जाए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर जाँच के बाद भी इन लोगों को भारत सरकार डिपोर्ट करने का फैसला लेती है तो वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट जा सकते हैं। वहीं केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि परिवार को वहाँ के स्थानीय प्रशासन के पास जाना चाहिए था।

क्या है मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, यह याचिका 6 लोगों के एक परिवार की तरफ से दायर की गई थी। याचिका दायर करने वाले का नाम तारिक अहमद बट है। उसने दावा किया है कि उसके पिता 1997 में पाकिस्तान के अनाधिकृत कब्जे वाले कश्मीर के मीरपुर से भारत आ गए था। उसने बताया कि बाकी परिवार 2000 में भारत आ गया था।

उसने दावा किया कि यहाँ वह श्रीनगर में अपने परिजनों के साथ रह रहा है और उसके परिवार में उसके माता-पिता के अलावा दो छोटे भाई और एक बड़ी बहन है। उसने दावा किया है कि उसके पास आधार कार्ड, पासपोर्ट समेत तमाम ऐसे कागज हैं जो उसका भारतीय होना प्रमाणित करते हैं।

बट ने आरोप लगाया कि इसके बावजूद 25 अप्रैल, 2025 के बाद उसके परिवार को पाकिस्तान वापस जाने को कहा जा रहा है। उसने दावा किया है कि उसके परिजनों को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी बता कर वापस जाने को कहा गया है और इसको लेकर एक नोटिस भी भेज दी गई है। इसी के चलते वह सुप्रीम कोर्ट पहुँचा है, जहाँ से उसे राहत मिली है।

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