
यूपी के पीलीभीत में धर्मांतरण तेजी से हो रहा है। ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के अध्यक्ष हरपाल सिंह ने इसका दावा किया है। वहीं पीलीभीत गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य परमजीत सिंह के मुताबिक पीलीभीत में 3 हजार सिखों को ईसाई बनाया गया है। नेपाल- भारत सीमा से लगे एक गाँव में जब चर्च बन रहा है। इसके बाद लोगों का ध्यान इस ओर गया है। सिख संगठन के मुताबिक ये साजिश इन इलाकों में डेमोग्राफिक बदलाव के लिए की जा रही है। संगठन का आरोप है कि नेपाल से ड्रग्स और दूसरे नशीले पदार्थ की बड़ी खेप मँगाई जाती है।
इस इलाके में नेपाल से होते हुए कुछ पादरी ईसाई धर्म के प्रचार के लिए 2002 में आए थे। 2025 तक यहाँ की फिजा बदल गई है। पिछले 23 साल में यहाँ विदेशी फंडिंग होने का शक है। लोगों को पैसों और घर का लालच देकर धर्मांतरण कराए जाने की बात सामने आ रही है। नौकरी का झाँसा भी दिया जाता है और बेरोजगार लोगों को फँसाया जाता है। इन घरों में दक्षिण कोरिया का कैलेंडर देखा जा सकता है।
पीलीभींत में टाइगर रिजर्व के साथ घने जंगल हैं लेकिन शारदा नदी पार करते ही आराम से बेल्हा गाँव पहुँच सकते हैं जो भारत का यहाँ अंतिम गाँव है। इससे सटे भागीरथ और सिंघाड़ा गाँव है। ये तीनों गाँवों में पादरी की पैठ काफी है और लोग बड़ी संख्या में ईसाई धर्म अपना रहे हैं। यहाँ से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर नेपाल का कंचनपुर का रिछा टाउन है जहाँ काफी विशालकाय चर्च बना हुआ है।
नेपाल- भारत का ये बॉर्डर दूसरी सीमाओं से बिल्कुल अलग है। यहाँ कटीले तार नहीं देखा जाते बल्कि पिलर बने हैं जिस पर नंबर लिखा हुआ है। इनके बीच काफी गैप है। इससे होकर लोग आराम से आना-जाना करते हैं। दोनों ओर खड़ी फसल खेतों में लहलहा रही होती है इसके बीच से लोगों को आते जाते बीएसएफ के जवान भी नहीं रोक पाते।
धर्मांतरण के मामले में अब यूपी प्रशासन ने कड़ा तेवर अपनाया है। इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये गए हैं। 2 लोगों को नारकोटिक्स भेजे गये हैं।
इस बीच धर्मांतरण के खिलाफ सिख समुदाय में आवाज उठने लगी है। अब तक करीब 500 लोगों ने घर वापसी की है। हालाँकि सिख संगठन का कहना है कि ये लोग धर्म बदल रहे हैं लेकिन नाम नहीं बदल रहे। इससे थोड़ी दिक्कत आ रही है।