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खालिस्तानी सांसद अमृतपाल बना रहा नया राजनीतिक दल, इंदिरा गाँधी के हत्यारे का MP बेटा भी साथ: शिरोमणि अकाली दल (आनंदपुर साहिब) होगा नाम, 14 जनवरी को ऐलान

खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह पंजाब के लिए नई राजनीतिक पार्टी बनाने जा रहा है। इंदिरा गाँधी के हत्यारे का सांसद बेटा सरबजीत सिंह खालसा भी इस काम में उसके साथ है। अमृतपाल सिंह अभी असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। वह जब बाहर आएगा तो वह इसका मुखिया बनेगा। इस पार्टी की अधिकारिक शुरुआत लोहड़ी के अगले दिन (14 जनवरी, 2025) को श्री मुक्तसर साहिब माघी मेला में होगी। पार्टी का नाम शिरोमणि अकाली दल (आनंदपुर साहिब) रखा जाएगा।

वारिस पंजाब दे मुखिया अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने बताया, “हमने माघी मेले पर श्री मुक्तसर साहिब में एक कॉन्फ्रेंस बुलाई है जिसमें एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति को नई राजनीतिक पार्टी का संविधान तैयार करने, उसका नाम तय करने, सलाहकार समिति बनाने, हर जिले समितियाँ बनाने और पार्टी के गठन के लिए आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने का काम सौंपा जाएगा।” तरसेम सिंह ने बताया कि अमृतपाल सिंह के बाहर आने तक वह खुद ही इस पार्टी के मुखिया होंगे।

इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे और फरीदकोट के सांसद सरबजीत सिंह खालसा ने कहा कि शुरुआत में वे पंजाब के लोगों से जुड़ने के लिए 5 या 11 सदस्यों वाली समिति बनाएँगे। उन्होंने कहा कि पार्टी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के चुनाव भी लड़ेगी। खालसा ने कहा है कि अच्छे चरित्र वाले और पंजाब को बचाने की मंशा रखने वाले लोग उनकी पार्टी में आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी पंजाब के लोगों को एक राजनीतिक विकल्प उपलब्ध करवाएगी।

अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने कहा कि पार्टी का मुख्य फोकस किसानों के मुद्दे, राज्य में बढ़ता धर्मांतरण और ड्रग्स की समस्या होगी। गौरलतब है कि अमृतपाल सिंह 2024 में खडूर साहिब जबकि सरबजीत सिंह खालसा ने फरीदकोट से निर्दलीय चुनाव जीता था। अमृतपाल सिंह ने यह चुनाव जेल से ही जीत लिया था। अमृतपाल सिंह का नया राजनीतिक दल राज्य में पंथिक राजनीति में असर डालेगा। अभी तक शिरोमणि अकाली दल ही मूल रूप से पंथिक मामलों की अगुवा पार्टी रही है।

बीते कुछ वर्षों में शिरोमणि अकाली दल की लोकप्रियता को गहरा झटका लगा है। उसकी पंजाब विधानसभा और लोकसभा, दोनों चुनावों में भी बुरी हालत हुई है। इसके अलावा SAD में नेतृत्व को भी लेकर संकट आया है। हाल ही में उसके मुखिया रहे सुखबीर सिंह बादल को पद छोड़ना पड़ा था। उन्हें अकाल तख़्त ने तनखैया घोषित कर दिया था। इसके बाद उन पर गुरूद्वारे में सेवा के दौरान जानलेवा हमला भी हुआ था। पंजाब में बीते कुछ सालों में कॉन्ग्रेस और SAD द्वारा खाली छोड़ी गई जगह को AAP ने भरा है। लेकिन लोग उससे भी परेशान हैं।

अमृतपाल सिंह की पार्टी का पहला टेस्ट पंजाब के 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव होंगे। हालाँकि, यह पहला मौक़ा नहीं है जब पंथिक राजनीति में SAD को चुनौती को मिली हो। इससे पहले पूर्व IPS और सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने भी इसी नाम से पार्टी बनाई थी। हालाँकि, यह पार्टी कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा पाई।

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