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जुबैर और प्रोपेगेंडावादियों ने कपिल मिश्रा के खिलाफ FIR के ऑर्डर का फैलाया झूठ, कोर्ट ने फेरा पानी: ऐसा कोई आदेश नहीं, सिर्फ आगे की जाँच की कही थी बात, उस पर भी लग गया स्टे

दिल्ली दंगों से जुड़ी एक खबर इस महीने की शुरुआत में काफी तेजी से फैली, जिसमें कहा गया कि दिल्ली कोर्ट ने बीजेपी नेता और दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ 2020 के दिल्ली दंगों में FIR दर्ज करने का ऑर्डर दिया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यमुना विहार के मोहम्मद इलियास की अर्जी पर कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया गया है, जबकि सच में ऐसा कुछ भी नहीं था।

इसके बावजूद फेक न्यूज फैलाने में माहिर, इस्लामी प्रोपेगेंडा फैलाने वाले और खुद को फैक्ट चेकर कहने वाले मोहम्मद जुबैर और अन्य लोगों ने दावा किया कि कोर्ट ने कपिल मिश्रा पर शिकंजा कस दिया है और एफआईआर का आदेश दिया है। लेकिन अब सच सामने आया है कि कोर्ट ने ऐसा कोई ऑर्डर नहीं दिया था। दरअसल, 1 अप्रैल 2025 को मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने सिर्फ आगे की जाँच का आदेश दिया था, FIR का कोई जिक्र नहीं था।

इस मामले में इलियास की ओर से कहा गया था, कि कपिल मिश्रा और उनके साथियों ने दंगों में हिस्सा लिया। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसका विरोध किया और कहा कि मिश्रा को फँसाया जा रहा है, उनका दंगों से कोई लेना-देना नहीं। कोर्ट ने भी अपनी ऑर्डर में साफ किया कि दूसरी घटनाओं के लिए पहले से FIR दर्ज हैं, बस एक मामले में और जाँच की जरूरत है। फिर भी, मीडिया और जुबैर ने इसे FIR का ऑर्डर बताकर हंगामा मचा दिया।

Five Years After Riots, Court Orders First FIR Against BJP's Kapil Mishra, Now Delhi's Law Minister. The Delhi Police had earlier opposed an FIR against the BJP leader saying that Mishra's role had already been probed and nothing incarcerating was found. https://t.co/mjKVNW7aju— Mohammed Zubair (@zoo_bear) April 1, 2025

बहरहाल, कपिल मिश्रा ने इस जाँच के ऑर्डर के खिलाफ अपील की और बुधवार (9 अप्रैल 2025) को राउज एवेन्यू कोर्ट की जज कावेरी बवेजा ने उनकी बात मान ली। कोर्ट ने कहा कि जब दूसरी FIR पहले से दर्ज हैं और केस चल रहा है, तो नई जाँच का ऑर्डर ठीक नहीं। इसलिए 21 अप्रैल 2025 तक उस ऑर्डर पर रोक लगा दी गई।

ये खबर दिखाती है कि कैसे गलत जानकारी तेजी से फैलती है। लोग हैरान हैं कि सच को तोड़-मरोड़कर कैसे पेश किया गया। कपिल मिश्रा के लिए ये राहत की बात है, लेकिन सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या सच को दबाने की कोशिश हुई या जल्दबाजी में गलती हुई। अब सबकी नजर 21 अप्रैल 2025 पर है, जब कोर्ट अगला फैसला सुनाएगी।

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