
लंदन में रहने वाली भारत विरोधी शिक्षाविद प्रोफेसर निताशा कौल ने ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया यानी OCI कार्ड रद्द करने पर भारत सरकार की आलोचना की है।
सोशल मीडिया एक्स पर उन्होने लिखा, “आज घर पहुंचने के बाद मुझे OCI (ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया) रद्द होने की सूचना मिली। मोदी शासन की अल्पसंख्यक विरोधी और लोकतंत्र विरोधी नीतियों को उजागर करने पर मुझे दंडित किया गया है।”
प्रोफेसर कौल के पास ब्रिटिश पासपोर्ट और ओसीआई कार्ड है। फरवरी 2024 की घटना को याद करते हुए उन्होने कहा कि कैसे उन्हें कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया लेकिन भारत में एंट्री नहीं मिली। उन्होंने लिखा, “मोदी सरकार ने खुद को अपमानित किया और कर्नाटक सरकार का अपमान किया। पिछले साल मुझे आमंत्रित किया गया था और मेरे साथ बुरा व्यवहार किया गया। ‘भारत विरोधी’ कहे जाने पर मेरे 20,000 शब्दों के जवाब के बावजूद प्रवेश नहीं दिया गया।”
Modi BJP govt humiliated themselves & insulted non-BJP Karnataka state govt that invited me last year by ill-treating me & in spite of my 20,000 word response to their ridiculous inanity about ‘anti-India’, they have chosen to do this by a rigged process. https://t.co/xAqWIIDBUp— Professor Nitasha Kaul, PhD (@NitashaKaul) May 18, 2025
उन्होंने आगे कहा, “क्या भारत सरकार के विदेशी पीआर प्रतिनिधिमंडल बताएंगे कि ‘लोकतंत्र की माँ’ ने मुझे मेरी माँ तक पहुँचने से क्यों रोका?”
OCI एक विशेषाधिकार है। ये भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) को दिया जाने वाला एक दीर्घकालिक आवासीय वीजा है। 26 जनवरी 1950 या उसके बाद भारत के नागरिक को दिया जाता है। यह उन लोगों को भी दिया जाता है जिनके परिवार के सदस्य भारत में रहते हैं। कोई व्यक्ति जो किसी भारतीय से शादी की उन्हें ये वीजा मिलता है। हालाँकि पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों के नागरिकों को OCI नहीं मिलता है।
भारत सरकार को ओसीआई कार्ड रद्द करने का अधिकार भी है। ओसीआई कार्ड तब रद्द किया जा सकता है जब कार्ड धोखाधड़ी से प्राप्त किया गया हो, तथ्यात्मक जानकारी छिपाई गई हो, भारतीय संविधान के प्रति असम्मान प्रदर्शित करता हो, दुश्मन राज्य के साथ गैरकानूनी व्यापार या संचार में संलग्न हो या भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध कार्य किया हो।
निताशा का OCI कार्ड उसकी भारत विरोधी गतिविधियों के कारण रद्द कर दिया गया था। भारत सरकार ने जो पेपर दिए थे उसमें लिखा था, “ यह भारत सरकार के संज्ञान में लाया गया है कि आप भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाई गई हैं। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर अपने भारत विरोधी लेखों, भाषणों और पत्रकारिता के माध्यम से भारत और उसके संस्थानों को निशाना बना कर देश की संप्रभुत्ता को खतरे में डालती रही हैं।”
निताशा का भारत विरोधी अभियान का एक लंबा इतिहास रहा है। मई 2024 में उसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) पर संदेह जताने के लिए एक काल्पनिक कहानी साझा की। उन्होने कहा कि उसने सपना देखा था कि भारत में ईवीएम वोटों की गिनती नहीं कर रही है। उन्होंने ईवीएम के बारे में कांग्रेस पार्टी द्वारा फैलाई गई साजिश के सिद्धांत को पुख्ता करने के लिए एक मनगढ़ंत कहानी गढ़ी।
फरवरी 2024 में निताशा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया था, जिसके आधार पर उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे पर पहुंचने पर रोका गया था। भारतीय एजेंसियों ने उनके “अलगाववादी समर्थक” टिप्पणियों और सार्वजनिक तौर पर कश्मीर पर भारतीय रुख का विरोध करती रही हैं। कौल ने कहा कि उन्हें हवाई अड्डे पर अधिकारियों ने हिरासत में लिया था, जिन्होंने उन्हें देश में प्रवेश की अनुमति नहीं देने के लिए “दिल्ली से आदेश” का हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि उनके पास अपनी यात्रा के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज थे।
उन्होंने दावा किया कि वह ‘विपरीत परिस्थितियों’ के बावजूद ‘लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रता’ की वकालत करना जारी रखेंगी।
उन्होंने पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में झूठ फैलाया था, और ‘स्टैंड विद कश्मीर (एसडब्ल्यूके)’, ‘कश्मीर सॉलिडैरिटी मूवमेंट (केएसएम)’ और ‘इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी)’ जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया था।
भारत विरोधी प्रचारक ने दिसंबर 2021 में पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीओडीएस) बिपिन रावत की मौत का भी मजाक उड़ाया।
निताशा कौल ने उन्हें ‘कश्मीरियों का दुश्मन’ बताकर उनकी असामयिक मौत को सही ठहराया था।