
भारत में बीते कुछ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व तेजी आई है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बन कर उभरा है। एप्पल, सैमसंग समेत तमाम विदेशी कम्पनियाँ भारत में अपने फोन बना रही हैं। इनके निर्यात से भारत को अरबों डॉलर का फायदा भी हो रहा है।
इस सफलता के पीछे बड़ा हाथ मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) स्कीम का है। हालाँकि, इसे भी कुछ अर्थशास्त्री ‘पेचकसबाजी’ यानी सिर्फ पार्ट जोड़ने का नाम देकर चिढ़ाते थे। हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने ऐसे आलोचकों को भी करारा जवाब दे दिया है।
20% से अधिक पार्ट भारत में ही बन रहे
बिजनेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बनने वाले एप्पल के फोन और बाकी उत्पादों में लगने वाले 20% से अधिक पार्ट देश में ही बन रहे हैं। यानी भारत में बनने वाले किसी आईफोन के लगभग 20% पार्ट स्थानीय स्तर पर ही निर्मित होते हैं।
यह उपलब्धि एप्पल को अलग-अलग पार्ट सप्लाई करने वाले वेंडर्स ने हासिल की है। एप्पल के भारत भर में पार्ट सप्लायर्स मौजूद हैं। इनमें TDK कॉर्पोरेशन, होन हाई प्रिसिजन, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, फॉक्सलिंक समेत तमाम कम्पनियाँ हैं। यह उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु समेत अलग-अलग राज्यों में पार्ट बनाती हैं।
लम्बे समय से एप्पल की सबसे बड़ी फैक्ट्री चलाने वाले चीन भी अभी तक 35%-40% के स्तर पर पहुँच पाया है। भारत ने 20% की उपलब्धि 5 ही वर्षों में हासिल कर ली है। स्थानीय स्तर पर पार्ट बनाने के मामले में सिर्फ एप्पल ही नहीं बल्कि सैमसंग ने भी बड़ी भूमिका निभाई है।
रिपोर्ट के अनुसार, सैमसंग और डिक्सन भी 20%-25% तक भारत में बने पार्ट ही उपयोग कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे आने वाले वर्षों में 35%-40% के स्तर पर ले जाया जाए। इससे भारतीय उद्योग भी मजबूत होंगे और जरूरी पार्ट्स के लिए विदेशों पर निर्भरता भी कम होगी।
स्थानीय स्तर पर पार्ट बनने से तकनीकी क्षमताएँ भी बढ़ती है और लागत में भी लगातार कमी आती है। भारत ने इससे पहले वाहन निर्माण क्षेत्र में ऐसी सफलता हासिल की है। 1980 के दशक में सुजुकी ने भारत में गाड़ियों को केवल एक साथ जोड़ना (असेम्बली) चालू किया थी लेकिन अब भारत में बनने वाली सुजुकी की हर गाड़ी में 95% पार्ट भारतीय होते हैं।
भारत ने ₹2 लाख करोड़+ के स्मार्टफोन किए निर्यात
भारत अब चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता है। जहाँ एक ओर देश में बिकने वाले अधिकांश स्मार्टफोन अब यहीं बने हुए हैं तो इससे भारत को निर्यात में भी बड़ा फायदा हो रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 24 बिलियन डॉलर ( लगभग ₹2 लाख करोड़) के स्मार्टफोन निर्यात किए थे।
यह पिछले वर्ष के मुकाबले 55% अधिक था। इनमें बड़ा हिस्सा एप्पल द्वारा निर्मित आईफोन का था। एप्पल ने वित्त वर्ष 2024-25 में 17 बिलियन डॉलर (₹1.46 लाख करोड़) से अधिक के आईफोन भारत में बनाकर निर्यात किए थे। एप्पल की हालिया दिनों में भारत पर निर्भरता और भी बढ़ गई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के चीन समेत बाकी देशों पर टैरिफ लगाने के बाद अब भारत में बने आईफोन ही अमेरिका को निर्यात किए जा रहे हैं। भारत पर जहाँ अमेरिका ने 25% टैरिफ लगाया है तो वहीं चीन पर यह टैरिफ कहीं अधिक है।
हाल ही में आई एक और रिपोर्ट बताती है कि भारत में बने 97% आईफोन को एप्पल अमेरिका निर्यात कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति एप्पल पर यह भी दबाव बना चुके हैं कि वह भारत नहीं बल्कि अमेरिका में आईफोन का निर्माण करे। हालाँकि, एप्पल ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत में आगामी दिनों में वह अपनी निर्माण क्षमता बढ़ाएगा।
वर्तमान में भारत में ताइवानी कम्पनी फॉक्सकॉन और भारतीय कम्पनी टाटा आईफोन का निर्माण करती है। इसके अलावा विस्ट्रन भी इस क्षेत्र में उतर रही है। यह कम्पनियाँ वर्तमान में तमिलनाडु और कर्नाटक में बड़े स्तर पर आईफोन का निर्माण कर रही हैं।