रिपोर्टर बने

बनारस में करिए अब हवाई सैर, शुरू होने जा रहा देश का पहला अर्बन रोपवे सिस्टम

वाराणसी। देश की धार्मिक नगरी वाराणसी अब ट्रैफिक जाम की समस्या से ऊपर उठने को तैयार है। सकरी गलियों और सदियों पुरानी इमारतों के कारण बनारस में ट्रैफिक जाम हमेशा से बड़ी चुनौती रहा है। लेकिन अब इस समस्या से निजात दिलाने के लिए देश का पहला अर्बन रोपवे सिस्टम शुरू होने जा रहा है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

शहर का सबसे व्यस्त मार्ग कैट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक अब हवाई मार्ग से तय होगा। लगभग 3.8 किलोमीटर की यह दूरी अब केवल 16 मिनट में पूरी की जा सकेगी, जबकि सड़क से यही सफर तय करने में एक घंटे या उससे भी अधिक समय लग जाता है।

इस रोपवे सिस्टम की आधारशिला मार्च 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। 807 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा यह प्रोजेक्ट अब लगभग पूरा होने की कगार पर है। इसमें चार प्रमुख स्टेशन होंगे — कैट रेलवे स्टेशन, विद्यापीठ, रथयात्रा और गोदौलिया। यह पूरा रूट वाराणसी के मुख्य धार्मिक और पर्यटक सर्किट को जोड़ेगा, जिससे प्रतिदिन लगभग एक लाख यात्रियों के सफर की संभावना जताई जा रही है।

क्यों चुना गया रोपवे?

वाराणसी में ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए पहले मेट्रो परियोजना का प्रस्ताव भी आया था। 2019 में इसे अव्यवहारिक मानते हुए रद्द कर दिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि मेट्रो की तुलना में रोपवे की लागत कम है और इसे कम समय में पूरा किया जा सकता है।
आईआईटी-बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एस.एस. मंडल के अनुसार, “यह परियोजना 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक और पर्यावरण अनुकूल है। यह बनारस के ट्रैफिक सिस्टम को एक नया आयाम देगी।”

विश्व के चुनिंदा शहरों में शामिल होगा बनारस

इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद वाराणसी उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो जाएगा जहां शहरी परिवहन के लिए रोपवे सिस्टम का इस्तेमाल होता है — जैसे ला पाज (बोलीविया), रियो डी जनेरियो (ब्राजील), मेक्सिको सिटी (मेक्सिको), टूलूज और ब्रेस्ट (फ्रांस)।

तकनीकी विशेषताएं

रोपवे सिस्टम ‘मोनीकेबल डिटैचेबल टेक्नॉलजी’ पर आधारित है, जिसे सबसे सुरक्षित तकनीकों में गिना जाता है।
हर गोंडोला (केबल कार) में 10 यात्री बैठ सकेंगे। इन्हें विश्व प्रसिद्ध कंपनी पोर्श ने डिजाइन किया है।
गोंडोला की गति 6 मीटर प्रति सेकंड होगी और यह प्रतिदिन लगभग 96,000 यात्रियों को परिवहन करने में सक्षम होगा।
कुल 150 गोंडोला 12 से 45 मीटर की ऊंचाई पर चलेंगे, जो चार स्टेशन और 29 टावरों के जरिए जुड़े होंगे।

चुनौतियां और समाधान

प्रोजेक्ट के दौरान गोदौलिया के पास भूमि अधिग्रहण और अंतिम टावर की ड्रिलिंग के दौरान सदियों पुरानी सीवेज लाइनों को नुकसान जैसी दिक्कतें आईं।
हालांकि, नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) ने सभी तकनीकी रुकावटों को दूर कर लिया है और अब अंतिम चरण का काम जारी है।

बनारस की उड़ान

प्रोजेक्ट के पूरा होते ही वाराणसी का दृश्य बदल जाएगा। पुराने शहर की संकरी गलियों में फंसे वाहन अब हवा के रास्ते का विकल्प पाएंगे। शहर के व्यापारी, होटल संचालक और श्रद्धालु इसे आधुनिकता की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं।

बनारस होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा का कहना है, “अगर करीब 80 हजार लोगों का बोझ सड़क से हटकर रोपवे पर शिफ्ट हो जाता है, तो ट्रैफिक में भारी राहत मिलेगी। यह बनारस के लिए गेम चेंजर साबित होगा।”

अब वह दिन दूर नहीं जब श्रद्धालु और पर्यटक काशी की गलियों के ऊपर से उड़ते हुए घाटों का नजारा देखेंगे

  • Ajay Gupta

    Bureau chief

    Related Posts

    वृद्धाश्रम में हुआ स्वास्थ्य परीक्षण, कंबल व फल वितरण

    देवरिया।मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सौजन्य से मंगलवार को मेहाड़ा पुरवा स्थित वृद्धाश्रम में बुज़ुर्गों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर एवं कम्बल व फल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम…

    कानपुर में तैनात सीओ पर 100 करोड़ का भ्रष्टाचार केस, गृह विभाग सख्त

    उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। कानपुर में तैनात डिप्टी एसपी और पीपीएस अधिकारी ऋषिकांत शुक्ला को आय से अधिक संपत्ति के गंभीर…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com