देवरिया।तेज़ हवाएँ, ठंडी लहरें और आसमान में बादल लेकिन छठ मईया की आराधना के आगे यह सब बेअसर साबित हुआ। आस्था और विश्वास का पर्व छठ इस बार भी देवरिया के घाटों पर अद्भुत नज़ारा पेश कर गया।भोर की पहली किरण से पहले ही महिलाएं सिर पर दौरा, सूप और फल लेकर घाटों पर पहुँच गईं।हर ओर गूंज रहे थे छठ गीत, और वातावरण भक्ति से सराबोर था।देवरिया जिले के तमाम छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।नगर से लेकर गांव तक — हर नदी, तालाब और पोखरे पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब।
सूर्योपासना के इस महापर्व पर, महिलाएं और परिवारजन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे।हवा में घुली गूंज — “छठ मईया की जय!” — मानो आस्था का संगीत बन गई। माँओ की यह आस्था, यह समर्पण, यह विश्वास — सदियों से छठ पर्व की पहचान रही है।
कहा जाता है कि जब प्रकृति भी कठोर हो जाए, तब आस्था रास्ता बना लेती है।आज वही नज़ारा था — ठंड, बादल और हवाओं के बावजूद लोगों के चेहरों पर भक्ति की गर्माहट थी।बच्चे दीप लेकर घाट के किनारे दौड़ रहे थे,
महिलाएं गीत गा रही थीं —“केलवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय…”हर स्वर में थी भक्ति, हर नज़र में थी श्रद्धा।देवरिया के घाटों पर आज फिर साबित हुआ —कि मौसम कितना भी सर्द क्यों न हो, माँओ की आस्था के आगे सब झुक जाता है।छठ मईया के नाम पर यह पर्व सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि परंपरा, परिवार और विश्वास का उत्सव है।







