बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापल्ट के बाद से कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। इसमें सैन्य हस्तक्षेप से लेकर अमेरिकी की खुफिया एजेंसी CIA की भूमिका तक की अलग-अलग जगहों पर चर्चा की जा रही थी। अब एक किताब में यह दावा किया गया है कि दरअसल शेख हसीना को सत्ता से हटाए जाने के पीछे CIA का हाथ था।
न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के दौर में गृह मंत्री रहे असदुज्जमाँ खान कमाल ने इस तख्तापलट को ‘CIA की सटीक साजिश’ बताते हुए देश के सेना प्रमुख और हसीना के रिश्तेदार वकर-उज-जमाँ पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। असदुज्जमाँ खान ने दावा किया है कि वकार-उज-जमाँ CIA की जेब में है और उन्होंने हसीना की पीठ में छुरा घोंप दिया है।
यह चौंकाने वाला खुलासा दीप हलदर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकन द्वारा लिखित और जगरनॉट द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘इंशाअल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन’ में किया गया है। हालाँकि, यह पुस्तक अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है।
इंशाअल्लाह बांग्लादेश पुस्तक
पुस्तक में असदुज्जमाँ खान के हवाले से लिखा गया है, “यह हसीना को उखाड़ फेंकने के लिए लंबे समय से रची गई CIA की एक सटीक साजिश थी। हमें नहीं पता था कि वकार पर CIA का हाथ था।” कुछ समय पहले तक बांग्लादेश के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स रहे असदुज्जमाँ खान ने बताया है, “हमें नहीं पता था कि जनरल वकार-उज-जमाँ CIA के पे-रोल पर हैं।”
असदुज्जमाँ ने बताया कि उनके देश की प्राथमिक रक्षा खुफिया एजेंसी, बांग्लादेश के सैन्य खुफिया महानिदेशालय और साथ ही बांग्लादेश की प्रमुख नागरिक खुफिया एजेंसी, राष्ट्रीय सुरक्षा खुफिया ने प्रधानमंत्री हसीना को यह चेतावनी नहीं दी थी कि वकार ने उन्हें धोखा देने का मन बना लिया है। साथ ही, उन्होंने शक जताया है कि इस साजिश में में शीर्ष अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
क्यों किया CIA ने तख्तापलट?
असदुज्जमाँ खान ने दावा किया है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) दक्षिण एशिया में मजबूत नेतृत्व नहीं चाहती। उनका कहना है कि अमेरिका ऐसे देशों में कमजोर सरकारें देखना पसंद करता है ताकि अपने हितों को आसानी से साध सके। जब उनसे पूछा गया कि CIA के सहयोग से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन करने से अमेरिका को क्या फायदा होगा।
उन्होंने कहा, “इसके दो कारण हैं। पहला, दक्षिण एशिया में बहुत ज्यादा शक्तिशाली राष्ट्राध्यक्ष न हों। नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग और शेख हसीना जैसे मजबूत नेता अगर उपमहाद्वीप पर राज करें, तो CIA के लिए अपने हित साधना मुश्किल हो जाता है। अमेरिकी रणनीति हमेशा कमज़ोर सरकारों के साथ काम करने की रही है।” खान ने यह भी दावा किया कि इसके पीछे एक तात्कालिक कारण सेंट मार्टिन द्वीप था।
उनका कहना है कि भारतीय प्रेस अब इस पर रिपोर्ट कर रही है लेकिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हमें बहुत पहले ही आगाह कर दिया था कि अमेरिका उन्हें सत्ता से बाहर करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना नियंत्रण चाहता है।
सेंट मार्टिन द्वीप क्यों चाहता है अमेरिका?
सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर पहले शेख हसीना खुद भी ऐसा ही दावा कर चुकी हैं। हसीना ने सत्ता गँवाने से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था कि अगर वह इस द्वीप को अमेरिकियों को सौंप दें तो वह बिना किसी समस्या के सत्ता में बनी रह सकती हैं।
भौगोलिक दृष्टि से सेंट मार्टिन द्वीप की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दुनिया के किसी भी हिस्से से समुद्री मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। यह एक प्रमुख जलमार्ग होने के साथ-साथ रणनीतिक रूप से भी अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में, बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा के करीब स्थित 7.3 किलोमीटर लंबा यह द्वीप समुद्र तल से लगभग 3.6 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है।
माना जाता है कि लगभग 5,000 वर्ष पहले यह टेकनाफ प्रायद्वीप का हिस्सा था लेकिन धीरे-धीरे समुद्र में डूब गया। करीब 450 वर्ष पूर्व इसका दक्षिणी भाग फिर से उभरा और अगले 100 वर्षों में उत्तरी और शेष भाग भी समुद्र से ऊपर उठ आए। वर्ष 1900 में ब्रिटिश भारत ने भूमि सर्वेक्षण के दौरान इस द्वीप को अपने नियंत्रण में ले लिया और इसे चटगाँव के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर मार्टिन के नाम पर सेंट मार्टिन द्वीप कहा गया।
इस द्वीप से बंगाल की खाड़ी और आस-पास के समुद्री इलाकों पर नजर रखी जा सकती है, जिससे यह बांग्लादेश के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण बन जाता है। दक्षिण एशिया के परिप्रेक्ष्य में भी यह द्वीप जियो-पॉलिटिक्स में शक्ति संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। बंगाल की खाड़ी स्वयं दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक सेतु की तरह कार्य करती है और व्यापारिक मार्गों के माध्यम से क्षेत्रीय देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाती है।
किसी आकस्मिक युद्ध की स्थिति में भी यहाँ से संपर्क और संचालन स्थापित करना आसान होता है, यही कारण है कि शक्तिशाली देश इस द्वीप की ओर आकर्षित हैं। व्यापारिक और सामरिक हितों के कारण चीन और अमेरिका दोनों ही इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं जबकि भारत के लिए भी सेंट मार्टिन द्वीप का रणनीतिक महत्व अत्यधिक है। अमेरिका की रुचि का मुख्य कारण यह है कि यदि उसे इस द्वीप पर प्रभाव जमाने का अवसर मिलता है, तो वह यहाँ से पूरे क्षेत्र, विशेष रूप से चीन और भारत पर निगरानी रख सकता है।
अभिमन्यु की तरह घिर गई थीं शेख हसीना
दीप हलदर ने का कहना है कि यह खुलासा बांग्लादेश को और बेचैन कर सकता है। उनका कहना है कि जनरल वकार को हसीना ने अपने पद से हटने से ठीक पहले नियुक्त किया था। उन्होंने कहा, “पिछले साल और इस साल भी NCP (नेशनल सिटिजन्स पार्टी) के नेताओं द्वारा लगातार यह बयान दिया जाता रहा कि जनरल वेकर भारत के एजेंट हैं। अब यह बड़ा खुलासा हुआ है, जिससे यह सवाल उठता है कि वकार किसकी तरफदारी कर रहे हैं।”
असदुज्जमाँ खान ने अपनी बात को समझाने के लिए महाभारत का हवाला भी दिया है। उन्होंने कहा, “जैसे अभिमन्यु को चारों तरफ से घेर लिया गया और फिर युद्ध में अपने ही हाथों ढेर कर दिया गया, वैसे ही वकार ने हसीना को गिराने के लिए बांग्लादेश की कट्टरपंथी ताकतों से हाथ मिला लिया। जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश ने इससे पहले भी सभी कट्टरपंथी ताकतों को एक साथ लाया था।”
यह भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) जमात के साथ मिलकर काम कर रही थी। उन्होंने कहा, “कुछ ISI-प्रशिक्षित लोग जमात में घुसपैठ कर चुके थे और जून के अंत में पुलिसकर्मियों की हत्या में उनकी अहम भूमिका थी।”
उन्होंने दावा किया कि जब अराजकता फैली तो उन्हें शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ISI-प्रशिक्षित लोग जमात में घुसपैठ कर चुके हैं और छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि वह तत्कालीन प्रधानमंत्री हसीना के पास गए थे लेकिन उन्होंने उन्हें बताया गया कि सेना प्रमुख ने हसीना को आश्वासन दिया है कि वह आंदोलनकारी छात्रों की बढ़ती भीड़ को सँभाल लेंगे।
असदुज्जमाँ ने 4 अगस्त 2024 से पहले वाली शाम को हुई बैठक को लेकर कहा, “शेख हसीना के सामने वकार ने मुझसे कहा कि सड़कों पर हो रही हिंसा के कारण लोगों का पुलिस पर से भरोसा उठ गया है और बेहतर होगा कि सेना ही प्रवेश द्वारों पर आंदोलनकारियों को रोके। वकार ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है। वह यह सुनिश्चित करेंगे कि सेना किसी को भी प्रधानमंत्री आवास के पास न आने दे।”
असदुज्जमाँ ने कहा कि इस बैठक के अगले दिन क्या हुआ यह सब जानते हैं। दरअसल, हिंसक प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने हसीना के आवास पर धावा बोल दिया था और हजारों की संख्या में लोग उनके आवास में दाखिल हो गए थे जिसके कारण उन्हें देश छोड़कर भारत आने को मजबूर होना पड़ा।







