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35 वर्षो में 355 झटके, 12000+ लोगों की मौत: जानें क्यों अफगानिस्तान में आता है इतना भूचाल, नहीं मिल पाती समय पर राहत

अफगानिस्तान में सोमवार (3 नवंबर 2025) की सुबह 6.3 तीव्रता वाला भूकंप आया। इस भूकंप का केंद्र उत्तरी अफगानिस्तान में मजार-ए-शरीफ के पास खोल्म क्षेत्र में था। इसकी गहराई जमीन से 28 किलोमीटर थी।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके कारण अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। दो महीने पहले पूर्वी अफगानिस्तान में भूकंप के तेज झटकों के कारण 2200 लोगों की मौत हो गई थी। 3 नवंबर को आए इस भूकंप के झटके अफगानिस्तान के साथ साथ ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए।

❗️🇦🇫 – A 6.3-magnitude earthquake struck near Mazar-e Sharif in northern Afghanistan early on November 3, 2025, at a depth of 28 km (17.4 miles), affecting a city of about 523,000 people. At least seven people were killed and around 150 injured, according to provincial… pic.twitter.com/p5pRRsX9iq— 🔥🗞The Informant (@theinformant_x) November 3, 2025

भूकंप के प्रति क्यों संवेदनशील है अफगानिस्तान

2020 से 2025 के बीच अफगानिस्तान में दर्जनों भूकंप आए हैं। इनमें से कई की तीव्रता 6.0 या उससे अधिक रही। भूगर्भीय एजेंसियों और समाचार रिपोर्टों के अनुसार 5 वर्षों में कम से कम 50 से अधिक भूकंप दर्ज किए गए हैं।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 1990 से अब तक अफगानिस्तान में 5.0 या उससे अधिक तीव्रता वाले कम से कम 355 भूकंप आ चुके हैं। बीते 35 वर्षों में भूकंपों के कारण 12,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

आधिकारिक आँकड़े बताते हैं कि अफगानिस्तान में हर साल औसतन 560 लोगों की मौत अलग अलग भूकंप के कारण होती है। इसके कारण हर साल लगभग 8 करोड़ डॉलर (लगभग ₹660 करोड़) का आर्थिक नुकसान होता है।

USGS की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान के भूकंप की जानकारी

इसके पीछे कारण ये है कि अफगानिस्तान एक ऐसे भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, जहाँ भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है। यह टक्कर उत्तर और पूर्वी हिस्सों में फैली हिंदूकुश और पामीर पर्वत श्रृंखलाओं को जन्म देती है।

टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित बड़ी बड़ी चट्टानें हैं जो धीरे-धीरे अपनी जगह से खिसकती रहती हैं। 50 से 250 किलोमीटर मोटी ये प्लेटें पृथ्वी के ऊपरी हिस्से (लिथोस्फेयर) में स्थित होती हैं।

इनके नीचे गर्म, तरल पदार्थों वाली परत होती है जिसे एस्थेनोस्फेयर कहते हैं। जब ये प्लेटें टकराती हैं, अलग होती हैं या एक-दूसरे के पास से गुजरती हैं तो भूकंप, ज्वालामुखी जैसी घटनाएँ होती हैं या पर्वत खड़े हो जाते हैं।

भारतीय प्लेट दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ रही है। वहीं, यूरेशियन प्लेट उत्तर में स्थित है जो भारतीय प्लेट टकरा रही है। इन दोनों के अलावा अरबियन प्लेट दक्षिण-पश्चिम की ओर है और थोड़ा बहुत प्रभाव डालती है।

अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में अक्सर लगभग 1 लाख किमी गहराई वाले भूकंप आते हैं। इस तरह के भूकंप पृथ्वी की सतह पर कम नुकसान पहुँचाते हैं। हालांकि जैसे-जैसे गहराई कम होती जाती है वैसे वैसे भूकंप के ये झटके तेज होते हैं और अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।

अफगानिस्तान के आसपास के क्षेत्र में कई सक्रिय भ्रंश रेखाएं मौजूद हैं, जिनके कारण नियमित रूप से भूकंप के मध्यम से तीव्र झटके आते हैं। असल में अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति ही इसे प्राकृतिक रूप से भूकंप के लिए संवेदनशील बनाती है।

पिछले 5 वर्षों में आए कितने भूकंप

पिछले 5 वर्षों में अफगानिस्तान में कई बार विनाशकारी भूकंप आए हैं। अक्टूबर 2023 में हेरात क्षेत्र में 2 बार 6.3 तीव्रता के भूकंप आए, जिनमें 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई और 2,000 से ज्यादा घायल हुए। अगस्त 2025 में पूर्वी अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे 500 से अधिक मौतें हुईं। नवंबर 2025 में खोल्म क्षेत्र में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 4 लोगों की मौत और 60 से अधिक घायल हुए।

विस्तार से देखा जाए तो वर्ष 2025 में 12 अप्रैल को पाकिस्तान में 39 किमी की गहराई पर 5 तीव्रता के भूकंप के झटके आए। इसके अलावा 16 और 19 अप्रैल को हिंदू कुश और अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर 5.6 और 5.8 तीव्रता के भूकंप आए।

इसके बाद 10 मई और 29 जून को पाकिस्तान में 5.7 और 5.5 तीव्रता वाला भूकंप आया। इसका असर अफगानिस्तान पर भी पड़ा। इसके बाद 27 अगस्त को अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में 5.6 तीव्रता का और 19 अगस्त को 186 किमी की गहराई पर 5.2 तीव्रता का भूकंप आया। 1 सितंबर को अफगानिस्तान में 6 तीव्रता का भूंकप आया। इसमें 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।

इससे पहले वर्ष 2024 में 5 जनवरी को अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में 5 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद 11 जनवरी को अफगानिस्तान के हिंदू कुश में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद 17 अक्टूबर को एक बार फिर इसी क्षेत्र में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया।

वर्ष 2023 में 5 जनवरी को अफगानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र में ही 5.8 तीव्रता का भूकंप आया। मार्च के अंत में उत्तरी अफगानिस्तान में 6.5 तीव्रता के भूकंप के झटकों में 13 लोगों की मौत हो गई।

इसके बाद 3 मई और 5 अगस्त को एक बार फिर हिंदू कुश क्षेत्र में 5.6 और 5.7 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। 6 अगस्त को अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर 5.1 तीव्रता का भूकंप आया। अक्टूबर में अफगानिस्तान में आए कई भूकंपों में कई लोगों की मौत हो गई। 15 नवंबर को अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में 5.3 तीव्रता का भूकंप आया।

साल 2022 में 17 जनवरी को पश्चिमी अफगानिस्तान में 30 किमी की गहराई पर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। 5 फरवरी को हिंदू कुश में 5.7 तीव्रता और जून में 6 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसमें 1,000 से ज्यादा लोग मारे गए।

इसके बाद 5 और 6 सितंबर को अफगानिस्तान में लगातार दो या उससे अधिक बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसमें 8 लोग मारे गए। इसके बाद 16 दिसंबर को दक्षिण-पूर्वी अफगानिस्तान में 4.3 तीव्रता का भूकंप आया।

साल 2021 में 19 मई को अफगानिस्तान में 17.6 किमी की गहराई पर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया। 7 अक्टूबर को दक्षिणी पाकिस्तान में आए भूकंप में कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई।

इसी तरह 2020 में 22 जनवरी को अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र में 6.1 तीव्रता वाला भूकंप आया। इसके बाद 5 मार्च को हिंदू कुश में 5.4 तीव्रता वाला भूकंप आया। अगस्त में अफगानिस्तान के पूर्वी क्षेत्र में 5.5 तीव्रता वाला भूकंप आया।

आपदा से निपटने की भी हैं कई चुनौतियाँ

अफगानिस्तान में आपदा से निपटने की व्यवस्था वहाँ की सबसे बड़ी चुनौती है। 2021 में तालिबानी सत्ता आने के बाद से अतंरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश के संबंध कमजोर हुए।

इस राजनीतिक अस्थिरता के साथ आर्थिक संकट और तकनीकी संसाधनों की कमी के कारण राहत और बचाव कार्य धीमा होता है। ग्रामीण और पहाड़ी इलाकों में पहुँचना भी कठिन होता है। जिससे राहत कार्य प्रभावित होते है।

भारत करता रहा है भूकंप पीड़ितों की मदद

भूकंप के बाद कई देशों और संगठनों ने अफगानिस्तान को सहायता भेजी। भारत ने दवाइयाँ, टेंट और मेडिकल टीम भेजी। वहीं ईरान और पाकिस्तान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में प्राथमिक चिकित्सा और शरण दी।

संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस, और WHO ने भोजन, पानी, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की। हालाँकि, राहत की मात्रा जरूरत के हिसाब से बहुत कम रही और कई प्रभावित क्षेत्रों तक समय पर मदद नहीं पहुँच सकी।

अफगानिस्तान में भूकंप केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि एक मानवीय संकट बन चुका है। भूगर्भ की संवेदनशीलता के साथ-साथ देश का कमजोर बुनियादी ढांचा, सीमित संसाधन और राजनीतिक चुनौतियाँ इसे और गंभीर बनाती हैं।

इससे निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर आपदा से निपटने की तैयारी, भवन निर्माण के सख्त मानक और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

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