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जिनको मुर्शिदाबाद में इस्लामी कट्टरपंथियों ने मारा, उनकी विधवाओं को धमका रहे TMC के गुंडे: राज्यपाल को पत्र लिख माँगी सुरक्षा

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के गुंडे और पुलिस हिंसा में मारे गए हिन्दू पिता-पुत्र की पत्नियों को धमकी दे रहे हैं। चंदन दास और उनके पिता हरगोबिन्द दास को इस्लामी कट्टरपंथियों ने मुर्शिदाबाद में घर से खींच कर मार दिया था। पीड़ित महिलाओं ने अब सुरक्षा के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल CV आनंद बोस को पत्र लिखा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता पिंकी दास और पारुल दास ने 4 पन्ने का पत्र अपनी समस्याएँ बताते हुए राज्यपाल बोस को लिखा है। उन्होंने बताया है कि पुलिस ने उन्हें किडनैप करने का प्रयास किया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि यह पत्र एक छुपी हुई जगह से लिखा है।

उन्होंने पत्र में लिखा, “हम, हरगोबिंद दास और चंदन दास की दो विधवाएँ, टूटे हुए दिल और काँपते हाथों से आपको न्याय और सुरक्षा की माँग करते हुए पत्र लिख रही हैं। हम यह पत्र एक गुप्त स्थान से लिख रही हैं, ना केवल सत्ताधारी पार्टी बल्कि पुलिस भी हमें लगातार धमका रही है।”

दोनों महिलाओं ने पत्र में बताया कि उन्हें राज्यपाल बोस सुरक्षा उपलब्ध करवाएँ। दोनों महिलाएँ वर्तमान में मुर्शिदाबाद स्थित अपने घर में भी नहीं रह रहीं। उन्होंने दूसरी जगह शरण ले रखी है। दोनों महिलाएँ रविवार (4 मई, 2025) को कोलकाता पहुँची।

यहाँ उन्होंने अपने साथ हुई प्रताड़ना को बताया। उनके साथ इस दौरान कई भाजपा नेता भी मौजूद थे। पीड़ित महिलाओं ने सारी समस्याएँ बताते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीशों और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को भी पत्र लिखा है।

वहीं पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस मामले पीड़ित हिन्दू महिलाओं के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दावा किया है कि वह शनिवार (3 मई, 2025) को महिलाओं के घर के एक शिकायत के बाद पहुँची थी और वह दोनों वहाँ नहीं मिलीं। पुलिस बताया कि दोनों महिलाएँ इस दौरान एक घर में ठहरी हुई थीं।

गौरलतब है कि 11 अप्रैल, 2025 को मुर्शिदाबाद के धुलियान और शमशेरगंज इलाकों में वक्फ कानून के विरोध के नाम पर इस्लामी भीड़ ने भारी हिंसा की थी। इस हिंसा के दौरान हिन्दुओं के घरों-दुकानों को निशाना बनाया गया था। 3 हिन्दू मार भी दिए गए थे।

चंदन दास और हरगोबिंद दास को उनके घर से खींच कर मारा गया था। वह दोनों मूर्तियाँ बनाने का काम करते थे। इसके बाद उनका परिवार भागने पर विवश हो गया था। पीड़ित परिवार को अपने परिजनों के संस्कार के लिए नाई और पंडित भी नहीं मिले थे।

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