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गोल्डन डोम: इजरायल के आयरन डोम से ज्यादा ताकतवर ‘रक्षा कवच’ अमेरिका को बनाएगा ‘अभेद्य’, राष्ट्रपति ट्रंप की योजना पर होंगे ₹14.52 लाख करोड़ खर्च

 राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने  मंगलवार  (20 मई 2025) को ‘गोल्डन डोम’ नामक एक नई और उन्नत मिसाइल रक्षा प्रणाली शुरू करने की घोषणा की। यह प्रणाली अंतरिक्ष से आने वाले खतरों को रोकने में सक्षम होगी। ट्रम्प ने अनुमान लगाया कि इस परियोजना की लागत लगभग 175 बिलियन डॉलर (लगभग 1,460 करोड़ रुपए) होगी और इसे तीन वर्षों के भीतर चालू किया जाएगा। उन्होंने यह भी वादा किया कि यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 2029 तक पूरी हो जाएगा, जो उनके संभावित दूसरे कार्यकाल का अंतिम वर्ष होगा।

इस नई प्रणाली का उद्देश्य हाइपरसोनिक मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों और उन्नत क्रूज मिसाइलों को नष्ट करना है। ट्रम्प ने कहा कि इसके लिए ‘आधिकारिक रूप से एक आर्किटेक्चर का चयन’ किया जा चुका है। यह प्रणाली मौजूदा अमेरिकी रक्षा बुनियादी ढांचे के साथ उन्नत तकनीकों को एकीकृत करेगी, जिससे अंतरिक्ष से प्रक्षेपित मिसाइलों समेत सभी विदेशी मिसाइल खतरों से देश की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा।

ट्रम्प ने जनवरी में ‘गोल्डन डोम’ कार्यक्रम की शुरुआत रूस और चीन से बढ़ते मिसाइल खतरों को विफल करने के लक्ष्य के साथ की थी। इस परियोजना का उद्देश्य ऐसा उपग्रह नेटवर्क स्थापित करना है, जो  संभवतः सैकड़ों की संख्या में आने वाली मिसाइलों का पता लगाने, उनका पीछा करने और उन्हें रोकने में सक्षम हो।

व्हाइट हाउस की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने घोषणा की कि अमेरिकी अंतरिक्ष बल के जनरल माइकल गुएटलीन इस रणनीतिक कार्यक्रम के प्रमुख कार्यक्रम प्रबंधक होंगे। ट्रम्प ने यह भी बताया कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए अगले वर्ष के बजट में 25 बिलियन डॉलर (लगभग 208.75 करोड़) दिए जाएंगे।

यह प्रणाली इतनी शक्तिशाली होगी कि यह मिसाइलों को दुनिया के किसी भी हिस्से से या अंतरिक्ष से दागे जाने पर भी उन्हें रोकने में सक्षम होगी। ट्रंप ने कहा कि यह प्रणाली अब तक की सबसे बेहतरीन मिसाइल रक्षा प्रणाली होगी और यह उनके उस लंबे समय से किए गए चुनावी वादे को पूरा करेगी, जिसमें उन्होंने उड़ान के किसी भी चरण में मिसाइलों को नष्ट करने वाली अत्याधुनिक सुरक्षा ढाल बनाने की बात कही थी।

उन्होंने कहा कि गोल्डन डोम अमेरिका की मातृभूमि की रक्षा करेगा। कनाडा ने भी इस परियोजना में शामिल होने की इच्छा जताई है। ट्रंप ने इस संदर्भ में पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा प्रस्तावित अंतरिक्ष-आधारित मिसाइल रक्षा प्रणाली “स्टार वार्स” का भी उल्लेख किया।

इस परियोजना की प्रेरणा उन्हें 2024 में ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों के दौरान मिली, जब इजरायल की आयरन डोम प्रणाली ने 300 से अधिक हमलों को विफल कर दिया था। ट्रंप ने अमेरिका में भी एक ऐसी ही प्रणाली की बात शुरू की। उन्होंने इस पहल को अमेरिका की सफलता और अस्तित्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।

गोल्डन डोम और इसका महत्व

गोल्डन डोम एक अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा प्रणाली होगी जिसमें अंतरिक्ष और जमीन दोनों सुरक्षित होंगे। यह सिस्टम चार महत्वपूर्ण चरणों में मिसाइल खतरों से निपटने के लिए बनाया जा रहा है, प्रक्षेपण से पहले ही खतरे को पहचानना और नष्ट करना, शुरुआती रोकथाम, रास्ते में कार्रवाई, और अंतिम समय में रोकथाम। इसका मतलब है कि यह प्रणाली मिसाइलों को उनके लॉन्च होते ही चाहे वे ज़मीन से दागी गई हों या अंतरिक्ष से ट्रैक, नष्ट और रोकने में सक्षम होगी।

यह प्रणाली विशेष रूप से हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे खतरों को ध्यान में रखकर विकसित किया जा रहा है। हाइपरसोनिक मिसाइलें अपनी बेहद तेज गति और ग्लाइड चरण में कम ऊँचाई पर उड़ने के कारण पारंपरिक रडार सिस्टम से ट्रैक नहीं होता है। इसलिए उन्हें जमीन या समुद्र से रोकना मुश्किल होता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरिक्ष-आधारित ट्रैकिंग और अवरोधन प्रणालियाँ अधिक प्रभावी साबित होती हैं, क्योंकि वे मिसाइलों को उनके बूस्ट चरण में ही पहचान सकती हैं, जब उनका उड़ान मार्ग पहले से ही पता होता है, जिससे लक्ष्य साधने और समय पर प्रतिक्रिया संभव हो पाती है।

पेंटागन के प्रमुख पीट हेगसेथ के अनुसार, गोल्डन डोम का डिज़ाइन मौजूदा जमीनी रक्षा क्षमताओं के साथ ताल मेल में काम करेगा और यह क्रूज़ मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों, हाइपरसोनिक मिसाइलों और ड्रोन से, चाहे वे पारंपरिक हों या परमाणु, अमेरिका की रक्षा करने में सक्षम होगा। पेंटागन के योजनाकार पिछले कई महीनों से इस प्रणाली के विभिन्न संस्करणों पर काम कर रहे हैं, जिनमें लागत के हिसाब से ‘मध्यम’, ‘उच्च’ और ‘अतिरिक्त उच्च’ श्रेणियाँ शामिल हैं। इन संस्करणों में अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर को भी शामिल किया गया है, और उनकी कुल लागत और क्षमता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितने सेंसर और उपग्रह तैनात किए जाते हैं। एक अमेरिकी योजना अधिकारी ने बताया कि इस समय  आवश्यकताओं और प्रणाली की जटिलता को लेकर चर्चाएँ चल रही हैं।

एसोसिएटेड प्रेस (AP) की रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार अमेरिका अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर खरीदेगा। कॉन्ग्रेस के बजट कार्यालय ने अनुमान लगाया है कि गोल्डन डोम प्रणाली के अंतरिक्ष आधारित घटकों की लागत अगले 20 वर्षों में 542 बिलियन डॉलर  (लगभग 45.25 लाख करोड़ रुपए) तक पहुँच सकती है। ट्रंप के प्रस्तावित कर राहत विधेयक में इस कार्यक्रम के लिए शुरुआती चरण में 25 बिलियन डॉलर (लगभग 2.075 लाख करोड़ रुपए) की राशि की माँग की गई है, जो फिलहाल कॉन्ग्रेस में लंबित है।

पेंटागन लंबे समय से चेतावनी देता आ रहा है कि चीन और रूस की अत्याधुनिक मिसाइल क्षमताओं के चलते अमेरिका को नए प्रकार की प्रतिरक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। गोल्डन डोम के अतिरिक्त उपग्रह और अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर इन परिष्कृत मिसाइलों को उनकी उड़ान के शुरुआती या मध्य चरण में ही नष्ट करने में सक्षम होंगे। यही अंतरिक्ष तत्व इस परियोजना की सबसे अधिक लागत के लिए ज़िम्मेदार माने जा रहे हैं।

अमेरिकी अंतरिक्ष बल के प्रमुख जनरल चांस साल्ट्ज़मैन ने सांसदों को बताया कि गोल्डन डोम में इस्तेमाल होने वाले हथियार ऐसी नई और उभरती हुई आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्हें अब तक किसी सैन्य संगठन ने पूरा नहीं किया है। उन्होंने चेतावनी दी कि रूस और चीन पहले ही अंतरिक्ष में आक्रामक हथियार तैनात कर चुके हैं, जिनमें ऐसे उपग्रह शामिल हैं जो अमेरिकी उपग्रहों को निशाना बनाकर गिरा सकते हैं, जिससे अमेरिका की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।

गोल्डन डोम की आवश्यकताओं को पेंटागन द्वारा अभी भी विकसित किया जा रहा है। एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, पेंटागन और अमेरिकी उत्तरी कमान वर्तमान में एक ‘प्रारंभिक क्षमता दस्तावेज़’ पर काम कर रहे हैं, जो यह निर्धारित करेगा कि इस प्रणाली से क्या-क्या हासिल किया जाना चाहिए। उत्तरी कमान, जो अमेरिका की मातृभूमि की रक्षा के लिए ज़िम्मेदार है, इस बात को परिभाषित कर रही है कि उसे किस प्रकार की क्षमताओं की आवश्यकता है।

ट्रंप ने वादा किया है कि गोल्डन डोम प्रणाली का पूरा निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका में ही किया जाएगा, जिसमें जॉर्जिया, अलास्का, फ्लोरिडा और इंडियाना जैसे राज्यों में प्रमुख सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अमेरिकी संस्करण इज़राइल की आयरन डोम प्रणाली से प्रेरित होगा, लेकिन इसे कहीं अधिक व्यापक और शक्तिशाली बनाया जाएगा ताकि यह चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे दुश्मनों से आने वाले लंबी दूरी के मिसाइल खतरों का मुकाबला कर सके।

गौरतलब है कि इज़राइल की आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली 2011 में सक्रिय हुई थी और तब से उसने हमास और अन्य विरोधियों द्वारा दागे गए हजारों कम दूरी के रॉकेट और प्रोजेक्टाइल को सफलतापूर्वक रोकने का काम किया है।

ट्रंप ने इस बात पर भी जोर दिया कि पूरी प्रणाली का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी होगा। इस परियोजना के लिए रेथियॉन, एल-3 हैरिस टेक्नोलॉजीज और लॉकहीड मार्टिन जैसे प्रमुख रक्षा ठेकेदारों को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। पेंटागन उपग्रहों,  सेंसर और इंटरसेप्टर सहित विभिन्न घटकों का परीक्षण जल्द शुरू करने की योजना बना रहा है और इन तकनीकों के सफल परीक्षण के बाद उन्हें बड़े पैमाने पर गोल्डन डोम नेटवर्क के तहत खरीदा जाएगा।

ट्रंप ने वादा किया है कि गोल्डन डोम प्रणाली का पूरा निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका में ही किया जाएगा, जिसमें जॉर्जिया, अलास्का, फ्लोरिडा और इंडियाना में प्रमुख निर्माण और संचालन स्थल होंगे। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी प्रणाली इज़राइल की आयरन डोम से प्रेरित होगी, लेकिन इसे कहीं अधिक व्यापक और शक्तिशाली रूप में विकसित किया जाएगा ताकि यह चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया जैसे देशों से आने वाले लंबी दूरी के मिसाइल खतरों का प्रभावी रूप से सामना कर सके।

इज़राइल की आयरन डोम प्रणाली, जो 2011 से सक्रिय है, हमास और अन्य दुश्मनों  द्वारा दागे गए हजारों कम दूरी के रॉकेट और प्रोजेक्टाइल को रोकने में सक्षम रही है। ट्रंप ने ज़ोर देकर कहा कि गोल्डन डोम की पूरी उत्पादन प्रक्रिया स्वदेशी होगी।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए संभावित प्रमुख ठेकेदारों में रेथियॉन, एल-3 हैरिस टेक्नोलॉजीज और लॉकहीड मार्टिन शामिल हैं। पेंटागन उपग्रहों, सेंसर और इंटरसेप्टर जैसे कई प्रमुख तत्वों का परीक्षण शुरू करने की योजना बना रहा है, और इन तकनीकों की सफल जाँच के बाद उन्हें गोल्डन डोम नेटवर्क के तहत बड़े पैमाने पर खरीदा जाएगा।

गोल्डन डोम और रोनाल्ड रीगन का स्टार वॉर्स कार्यक्रम

ट्रंप के गोल्डन डोम प्रस्ताव का एक प्रमुख हिस्सा ऐसे मिसाइल पहचानने वाले यंत्र  और मिसाइल मारक यंत्र उपग्रहों का नेटवर्क बनाना है, जिन्हें पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस प्रणाली में हजारों छोटे उपग्रह शामिल होंगे, जो किसी मिसाइल के पनडुब्बी या साइलो से लॉन्च होते ही, महज कुछ सेकंड के भीतर उस पर हमला करने में सक्षम होंगे। कुछ साल पहले तक इतने बड़े उपग्रह नेटवर्क की कल्पना भी मुश्किल थी, लेकिन अब यह तकनीकी रूप से संभव होता नजर आ रहा है।

इस दिशा में एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स पहले ही अग्रणी भूमिका निभा रही है, जिसने स्टारलिंक नामक एक विशाल इंटरनेट संचालित उपग्रह नेटवर्क तैनात करना शुरू किया है। स्पेसएक्स के अनुसार, स्टारलिंक नेटवर्क में इस समय लगभग 7,000 उपग्रह कक्षा में सक्रिय हैं। जो कि अंतरिक्ष आधारित मिसाइल रक्षा के लिए आवश्यक उपग्रहों की संख्या के अधिकांश अनुमान के करीब है।

दिलचस्प बात यह है कि एक अरबपति, जो हाल ही में बने यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) के प्रमुख हैं और ट्रंप प्रशासन में सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं, वो  गोल्डन डोम परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी सहयोगी के रूप में भी जाना जाता है। पलांटिर और एंडुरिल जैसी प्रमुख रक्षा टेक कंपनियों के साथ, स्पेसएक्स अब सिस्टम के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष घटकों के निर्माण के लिए एक प्रमुख दावेदार बन गई है।

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) में मिसाइल डिफेंस प्रोजेक्ट के निदेशक टॉम कराको ने कहा कि गोल्डन डोम प्रयास ‘काफी समय से विचाराधीन’ है और इसे अब सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने यह भी माना कि अंतरिक्ष से आने वाली मिसाइलों को रोकना एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भविष्य का अगला बड़ा सैन्य संघर्ष संभवतः पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपर, अंतरिक्ष में ही लड़ा जाएगा।

उनका मानना है कि गोल्डन डोम की क्षमताएँ संयुक्त राज्य अमेरिका को एक मजबूत और बहुआयामी रक्षा प्रदान करेंगी, जिसका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर उपग्रह विरोधी युद्ध जैसी स्थितियों में भी किया जा सकेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “अंतरिक्ष में मौजूद और अंतरिक्ष से गुजरने वाली बहुत सी चीजों से निपटने की आवश्यकता है,” जो इस प्रणाली की व्यापक उपयोगिता को दर्शाता है।

गोल्डन डोम और रोनाल्ड रीगन की स्टार वार्स

कई वर्षों से, अमेरिकी राजनेता अंतरिक्ष आधारित मिसाइल रक्षा प्रणाली का सपना देखते आए हैं। इस दिशा में पहली बड़ी पहल 1983 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने की थी, जब उन्होंने सोवियत संघ से आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए एक प्रणाली की योजना की घोषणा की थी। इस योजना को रणनीतिक रक्षा पहल (Strategic Defense Initiative – SDI)  कहा गया, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष-आधारित लेजर और इंटरसेप्टर के माध्यम से परमाणु हमले से अमेरिका की रक्षा करना था।

रीगन ने एक ऐसी रक्षात्मक ढाल की परिकल्पना की थी, जो दुश्मन की मिसाइलों को उनके उड़ान के हर चरण में पहचान कर नष्ट कर सके, भले ही उस समय ऐसी तकनीकें उपलब्ध न थीं। उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया, “मुझे पता है कि यह एक कठिन कार्य है, जिसे इस सदी के अंत से पहले पूरा नहीं किया जा सकता है। इसमें कई मोर्चों पर वर्षों, शायद दशकों का प्रयास लगेगा।”

रणनीतिक रक्षा पहल (SDI) की आलोचना करने वालों ने इसे ‘स्टार वार्स’ कहा, यह तर्क देते हुए कि यह योजना व्यावहारिक रक्षा प्रणाली से अधिक विज्ञान कथा जैसी थी। फिर भी, इसने 1980 के दशक की रणनीतिक चर्चाओं को गहराई से प्रभावित किया और अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हथियारों की संख्या घटाने की चर्चा को दिशा दी। उस समय SDI की अनुमानित लागत 60 बिलियन डॉलर से $100 बिलियन डॉलर  (लगभग 4.98 लाख करोड़ से 8.30 लाख करोड़) के बीच आँकी गई थी। हालाँकि यह प्रणाली पूरी तरह साकार नहीं हो सकी, सोवियत संघ उसके पहले ही बिखर गया।

रिपोर्टों के अनुसार, राष्ट्रपति रीगन की SDI को बनाए रखने की जिद के कारण सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव के साथ कई अहम हथियार वार्ताएँ रुक गई थीं। अब ट्रंप का गोल्डन डोम उसी उद्देश्य को दोहराता है। एक ऐसी मिसाइल रक्षा प्रणाली जो अमेरिकी मातृभूमि को अंतरिक्ष से आने वाले खतरों से बचा सके।

गोल्डन डोम और SDI दोनों ही ऐसे ऐतिहासिक क्षणों का प्रतीक हैं जब अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने ऐसी सैन्य प्रौद्योगिकियों की योजना बनाई जो उस समय की क्षमताओं से कहीं आगे थीं। यदि गोल्डन डोम सफल होता है, तो यह पहले के ‘स्टार वार्स’ कार्यक्रम की तरह वैश्विक हथियार नियंत्रण, सैन्य अंतरिक्ष नीति और परमाणु निरोध की अमेरिकी रणनीति को मौलिक रूप से बदल सकता है।

ट्रंप ने दावा किया, “रोनाल्ड रीगन (40वें अमेरिकी राष्ट्रपति) इसे कई साल पहले चाहते थे, लेकिन उनके पास उस समय तकनीक नहीं थी। यह अब कुछ ऐसा है जो हमारे पास होने जा रहा है। हम इसे उच्चतम स्तर पर बनाए रखेंगे और हम वास्तव में वह काम पूरा करेंगे जिसे राष्ट्रपति रीगन ने 40 साल पहले शुरू किया था।” उन्होंने यह भी जोर दिया कि गोल्डन डोम प्रणाली कीकनीक ‘जितनी हो सके उतनी परिपूर्ण है,’ हालाँकि इसके कुछ हिस्सों का अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है।

ट्रंप का सपना

अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने अमेरिकी अंतरिक्ष बल की स्थापना का समर्थन किया, जिसे 20 दिसंबर 2019 को औपचारिक रूप से सेना की एक नई शाखा के रूप में गठित किया गया। इसका उद्देश्य चीन और रूस द्वारा अंतरिक्ष में बढ़ती सैन्य गतिविधियों के जवाब में अमेरिका की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना था। अब ट्रंप द्वारा प्रस्तावित गोल्डन डोम, अंतरिक्ष में तैनात की जाने वाली पहली अमेरिकी रक्षा प्रणाली बनने जा रही है। उन्होंने कहा, “मैंने अमेरिकी लोगों से वादा किया था कि मैं अपनी मातृभूमि को विदेशी मिसाइल हमले के खतरे से बचाने के लिए अत्याधुनिक मिसाइल रक्षा कवच का निर्माण करूँगा।”

पिछले साल सैन्य अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की रक्षा के लिए गोल्डन डोम जैसी मिसाइल ढाल की तत्काल आवश्यकता का संकेत नहीं दिया था, क्योंकि मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ पहले से ही सक्रिय थीं। इसके बावजूद, ‘ट्रंप की सबसे श्रेष्ठ रक्षा कवच’ बनाने की टिप्पणी को उनकी रैलियों में भारी समर्थन मिला। इस जनसमर्थन के चलते रिपब्लिकन पार्टी ने 2024 के चुनावों से पहले इस मिसाइल ढाल परियोजना को अपने आधिकारिक पार्टी मंच का हिस्सा बना लिया।

जनवरी में ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें अमेरिकी रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ से इस परियोजना को पूरा करने का आग्रह किया गया। 27 जनवरी को जारी आदेश में कहा गया, “बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों तथा अन्य उन्नत हवाई हमलों से होने वाले खतरे संयुक्त राज्य अमेरिका के सामने सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बने हुए हैं।”

पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता और रक्षा सचिव पीटर हेगसेथ के वरिष्ठ सलाहकार सीन पार्नेल ने कहा, “रक्षा विभाग ने मौजूदा अमेरिकी मिसाइल रक्षा तकनीक और अत्याधुनिक नवाचारों की समीक्षा के लिए देश के सबसे प्रतिभाशाली दिमागों और सर्वोत्तम तकनीकी विशेषज्ञों को एकत्र किया है, ताकि हमारी मातृभूमि के लिए एक भरोसेमंद सुरक्षा छतरी को तेजी से विकसित और तैनात किया जा सके।”

हालाँकि, इस प्रणाली की असली कसौटी यह होगी कि क्या यह अपने भविष्य के वादों को राजनीतिक जाँच और तकनीकी सीमाओं के सामने टिकाए रख सकेगी, जैसा कि 1980 के दशक में रणनीतिक रक्षा पहल (SDI) के साथ हुआ था।

यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी टीम की रुक्म राठोड ने लिखी है। जिसको पढ़ने के लिए लिंक पे क्लिक करे।

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